स्त्री जातक के लिए फलित ज्योतिष
(Women Astrology)
फलित ज्योतिष का विकास कुछ इस तरह हुआ कि पहले ज्योतिषी दरबारी हुए और बाद में व्यवसायियों के हित में काम होने लगा। पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों से संबंधित फलित ज्योतिष के बिंदू उपेक्षित होते गए। इक्कीसवीं सदी में महिलाओं की भूमिका बढ़ने के साथ ही ज्योतिष में भी स्त्री जातकों (Women Astrology) पर फिर से काम होने लगा है।
हालांकि कई पुस्तकें यह भी दावा करती हैं कि पुरुष को संबोधित कर बताए गए योगायोग स्त्रियों पर भी उसी प्रकार लागू होते हैं, लेकिन कई जगह बताया गया है कि बुध और शनि जैसे ग्रहों का व्यवहार स्त्री जातकों के मामले में बदल जाता है। आइए देखते हैं दैनिक जीवन में ज्योतिष स्त्रियों की मदद किस प्रकार कर पाता है।
ग्रहों और राशियों को भी स्त्री और पुरुष वर्गों में बांटा गया है। मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ को पुरुष राशि और वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशियों को स्त्री राशि कहा गया है। इसी प्रकार चंद्रमा और शुक्र जहां स्त्री स्वभाव ग्रह है वहीं सूर्य, मंगल और गुरु पुरुष ग्रह हैं। स्त्री जातकों में स्त्री राशि और स्त्री ग्रहों का प्रभाव अधिक होने पर स्त्रैण गुण अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होंगे। ऐसा देखा गया कि जिन मामलों में पुरुष जातकों की तुलना में स्त्री जातकों का विश्लेषण किया जाता है, उनमें स्त्री जातकों के लिए अलग नियम दिए गए हैं। शेष योगायोगों के मामले में स्त्री और पुरुष जातकों को कमोबेश एक ही प्रकार से फलादेश दिए जाते हैं।
जिस स्त्री की कुण्डली में पुरुष राशियों और पुरुष ग्रहों की भूमिका अधिक होती है, उनका जीवन में कमोबेश पुरुषों की तरह होता है।
भारी आवाज, बड़े डील-डौल, उत्साह के साथ आगे बढ़कर काम करने वाली महिलाओं को देखकर ही समझा जा सकता है कि उनकी कुण्डली में पुरुष राशियों और सूर्य, मंगल और गुरु जैसे ग्रहों का प्रभाव अधिक है।
स्त्री जातक की कुंडली में बृहस्पति (गुरु) का प्रभाव
(Effects of Jupiter in Women Astrology)
पुरुष कुण्डली में जहां शुक्र सांसारिकता और दैहिक सुख के लिए देखा जाता है वहीं स्त्री जातक के लिए गुरु महत्वपूर्ण है। स्त्री जातक के लिए उसके पति का प्रगति करना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
जिस स्त्री जातक की कुण्डली में वृहस्पति (Jupiter in Women Horoscope) शुभ स्थान और शुभ प्रभाव में होता है, उसे सामाजिक मान प्रतिष्ठा और सांसारिक सुख सहजता से मिलते हैं। वृहस्पति खराब होने पर स्त्री जातक को अपमान और उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में अधिकांश स्त्री जातकों को गुरु का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज रत्न सोने की अंगूठी में पहनने से गुरु का प्रभाव बढ़ जाता है। जिन जातकों के गुरु मारक अथवा बाधकस्थानाधिपति होता है, उनके अलावा सभी स्त्री जातकों को बेधड़क पुखराज पहनाया जा सकता है।
स्त्री जातक की कुंडली में मंगल का प्रभाव
(Effects of Mars in Women Astrology)
सामान्य तौर पर ऋतुस्राव के दौरान स्त्रियों के रक्त की हानि होती है। ज्योतिष में इसे मंगल के ह्रास के रूप में देखा जाता है। मंगल के इस नुकसान की भरपाई के लिए सुहागिनों को लाल बिंदी लगाने, लाल चूडि़यां पहनने, लाल साड़ी एवं लाल रंग का सिंदूर लगाने की सलाह दी जाती है।
मंगल की भूमिका अधिकार एवं तेज के रूप में होती है। लाल रंग को धारण करने से मंगल का तेज महिलाओं को फिर से प्राप्त हो सकता है। हालांकि लोकमान्यता में अधिकांशत: इसे सुहाग से जोड़ा जाता है, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह मंगल के नुकसान की भरपाई है। सामाजिक मान्यताओं में वैधव्य का दोष स्त्रियों को दिया जाता है। स्त्री के मांगलिक हो और उसका पति मांगलिक न हो तो ऐसा माना जाता है कि स्त्री हावी रहेगी और दांपत्य जीवन में तनाव रहेगा। अगर मंगल और शनि आठवें स्थान (Mars in Women Horoscope) पर हो तो उसे चूंदड़ी मंगल कहा जाता है। ऐसी स्थिति में मंगल वैधव्य के योग बनाता है। कुण्डली मिलान में इसका बहुत ध्यान रखा जाता है। विधुर की तुलना में विधवा को पुरुष प्रधान समाज में अधिक समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए कुण्डली मिलान के समय पुरुष की तुलना में स्त्री के मंगल पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
स्त्री जातक की कुंडली में बुध और शनि का प्रभाव
(Effects of Mercury and Saturn in Women Astrology)
बुध और शनि ग्रहों को नपुंसक ग्रह (barren planets) बताया गया है। पुरुष कुण्डली में जहां शनि (Saturn in Men Horoscope) पीड़ादायी ग्रह है वहीं स्त्री जातक के लिए बुध (Mercury in Women Horoscope) पीड़ादायी ग्रह सिद्ध होता है। बुध के प्रभाव में एक ही रूटीन में लंबे समय तक बने रहना और एक जैसी क्रियाओं को लगातार दोहराते रहना पुरुष के लिए आसान है, पर स्त्री जातकों के लिए यह पीड़ादायी सिद्ध होता है। ऐसे में महिलाओं को अपनी दिनचर्या, कपड़े, रहने का तौर तरीका लगातार बदलते रहने की सलाह दी जाती है। इससे उनकी जिंदगी में दुख और तकलीफ का असर कम होता है। परिधान (costumes) की बात की जाए तो महिलाओं को परिधानों का रंग भी लगातार बदलना चाहिए। सोमवार क्रीम, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को गुलाबी, शनिवार को नीला और रविवार को धूसर अथवा गहरा बैंगनी रंग पहनने की सलाह दी जाती है। यह प्रतिदिन का बदलाव उन्हें सभी ग्रहों के अनुकूल परिणाम दिलाता है।
स्त्री जातक की कुंडली में चंद्रमा का प्रभाव
(Effects of Moon in Women Astrology)
जिस स्त्री जातक की कुण्डली में चंद्रमा (Moon in Women Horoscope) अच्छी स्थिति में होता है, वे हंसमुख और रचनात्मक होती हैं। राहू, केतू, बुध और शनि के कारण चंद्रमा पीडि़त हो तो स्त्री कर्कशा, रुदन करने वाली या कलहप्रिय होती है। ऐसी स्त्रियों को रोजाना सुबह खाली पेट मिश्री के साथ मक्खन खाने की सलाह दी जाती है। चंद्रमा पीडि़त होने पर शरीर में खनिज तत्वों और कैल्शियम की कमी हो जाती है। मक्खन (butter) में उपलब्ध खनिज तत्व एवं कैल्शियम जातक के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (central nervous system) को फिर से दुरुस्त करता है और जातक हंसने खिलखिलाने लगता है।
स्त्री जातक की कुंडली अंग लक्षण
(Body Language and Physical Signs in Women Astrology)
स्त्री जातकों के अंग लक्षणों के बारे में अधिकांशत: वैवाहिक संदर्भ ही देखा जाता है। विवाह से संबंधित ग्रंथों में स्त्री के सुलक्षणी होने के कई सूत्र बताए गए हैं। इसके अनुसार भाग्यवान स्त्री के सिर के केश लंबे होने चाहिए, ललाट चौड़ा एवं उन्नत होना चाहिए। शरीर के अंगों पर बाल कम होने चाहिए।
अधिक बालों वाली महिला को भाग्यहीन माना गया है। ऐसी स्त्री जातकों को अपने जीवन में अधिक संघर्ष देखना पड़ता है। सौभाग्यशाली कन्याओं की आंखों की पोरों में ललासी होनी चाहिए। हाथ और पैरों के नाखून चिकने और साफ सुथरे होने चाहिए, हथेलियां, पैरों के तलुए और एडी मुलायम एवं चिकने होने चाहिए। लोक मान्यता में गोरे रंग (fair colour) को तरजीह दी जाती है लेकिन सौभाग्यदायी अंग लक्षणों के संबंध में ललासी को तो महत्वपूर्ण माना गया है लेकिन कहीं त्वचा के रंग का उल्लेख नहीं मिलता है। शारीरिक चिह्नों (moles, scars) के आधार पर स्त्री को पुरुष के लक्षण अलग अलग बताए गए हैं।
पुरुष की कुण्डली में जहां शंख, पद्म एवं चक्र जैसे चिह्न शरीर के दाएं अंग में शुभ बताए गए हैं, वहीं स्त्री जातक की कुण्डली में ये चिह्न बाएं अंग में शुभ माने गए हैं। स्त्री जातक के ललाट, आंख, गाल, कंधे, हाथ, वक्ष, उदर एवं पांव के बाएं भागों में तिल को शुभ माना गया है। अंगों की स्फुरण के मामले में भी स्त्री के बाएं अंगों में स्फुरण को शुभ बताया गया है।
हस्तरेखा शास्त्र (palmistry) में ऐसा माना जाता है कि पुरुष का बायां हाथ उसे अपने पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार मिला है, जबकि दायां हाथ इस जीवन के भाग्य और कर्म का लेखा जोखा रखता है, इसके उलट स्त्री जातक के बाएं हाथ को अधिक तरजीह दी जाती रही है। अब कुछ ज्योतिषी काम-काजी अथवा खुद निर्णय लेने वाली स्त्रियों के दाएं हाथ का निरीक्षण भी करने लगे हैं।
स्त्री जातक में ऋतुस्राव, कमर दर्द और छोटी चिंताएं
Women Astrology and Sexual Problems
महिलाओं की दो समस्याएं ऐसी हैं जो आम है। पहली खून की कमी व कमर दर्द और दूसरा छोटी चिंताएं जिन पर वे बहुत अधिक विचार करती हैं। पहली समस्या मासिक धर्म से जुड़ी है। बहुत सी महिलाएं इन समस्याओं के साथ ही जिंदगी बिता देती हैं तो कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो इन समस्याओं को मरते दम तक केन्द्र में रखती है जिससे उनकी खुद की जिन्दगी और परिवार भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
ज्योतिष गुरु के एस कृष्णामूर्ति ने मासिक धर्म की समस्याओं का समाधान सिंदूर में बताया है। केवल सिंदूर ही नहीं लाल चूडियां, लाल साड़ी, लाल अंत:वस्त्र, लाल बिंदिया और लाल लिपिस्टिक समस्या का समाधान कर सकते हैं। ज्योतिषी दृष्टिकोण से इसका कारण यह माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान मंगल का ह्रास होता है। इस मंगल की पूर्ति करने के लिए महिलाओं को लाल रंग का अधिक से अधिक इस्तेमाल उन्हें पुन: शक्ति प्राप्त करा सकता है। इसके अलावा स्त्री–पुरुष संबंध भी सुधारने में यह मदद करता है। मांगलिक स्त्रियों या ऐसी स्त्रियों जिनकी शादी मांगलिक पुरुष से हुई है, यह उपचार करें तो बेहतर है।
दूसरी समस्या है छोटी चिंताओं की, पहले मैं इसे गंभीरता से नहीं लेता था। क्योंकि मुझे यह स्त्री विशेष या कह दें पर्सनेलिटी विशेष की समस्या लगती थी। जो केवल स्त्री ही नहीं किसी इंडीविजुअल पुरुष में भी हो सकती थी। ज्योतिष अध्ययन के अनुसार चिंता करने की समस्या के कारण स्त्रियों और पुरुषों में एक जैसे होते हैं। यानि इसमें फर्क नहीं किया गया है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि पूर्व में जातक हमेशा पुरुष ही रहे होंगे। ज्योतिष की पुस्तकें पढ़ने के दौरान ही एलन पीज की पुस्तक हाथ लगी। इसमें स्त्रियों और पुरुषों के सोचने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया था। तो मेरा भी ध्यान इस ओर गया।
अब सवाल यह है कि छोटी चिंताओं का स्वरूप क्या है और इसका एक साथ समाधान कैसे किया जा सकता है? ज्योतिष की ही पुस्तकों में इसका सपाट और सटीक उपाय बताया गया है। जिस तरह एक आदमी को सुखमय वैवाहिक और संबंध की दृष्टि से संतुष्टिदायक जिंदगी के लिए शुक्र की आवश्यकता होती है वैसे ही स्त्रियों के लिए इसे गुरु (Jupiter in Women Astrology) के रूप में देखा गया है। गुरु का नाम गुरु है तो ऐसा लगता है जैसे स्त्रियों को ज्ञान देने वाले की जरूरत है लेकिन वास्तव में गुरु नहीं बल्कि सांसारिकता ज्ञान और सांसारिकता का लाभ देती है। गुरु इसी सांसारिकता को रिप्रजेंट करता है। अब चूंकि गुरु किसी भी स्थिति में नुकसान नहीं करता। हां फल कम या अधिक दे सकता है। ऐसे में अधिकांश स्त्रियों को आँख मूंदकर पुखराज पहनने की सलाह दे दी जाती है। इससे उनके सोचने का नजरिया वृहद् हो जाता है। इसी के साथ मोती पहनने की सलाह भी दी जाती है। चंद्रमा का उपचार विचार शृंखला को थामे रखता है।
गुरु और चंद्रमा का कांबिनेशन प्राथमिक स्तर पर ही अधिकांश समस्याओं का समाधान कर देता है। उन विचारों और कारणों को बढ़ने ही नहीं देता जो चिंताओं को हवा दे। इस तरह महिलाओं को फैशन में ही सही पुखराज और मोती पहन लेने चाहिए। भले ही वे ज्योतिष से संबंधित स्टोन हैं, लेकिन खूबसूरत होने के कारण ग्राह्य भी हैं।