शनि देव के नाम से अधिकांशत: लोग भयभीत ही रहते है. जबकि सच्चाई यह है कि शनिदेव कर्मों को कराकर फल देते हैं. मेहनत तथा परिश्रम कराते हैं. जन्म कुण्डली में शनि की महादशा अथवा अन्तर्दशा चल रही हो या शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैय्या का प्रभाव चल रहा हो तब शनि के मंत्र जाप अवश्य करने चाहिए.
शनि के किसी भी मंत्र का जाप किया जा सकता है. मंत्र जाप की संख्या 23 हजार है और मंत्र जाप संध्या समय में किया जाता है. 23 हजार मंत्रो का जाप आप अपने द्वारा निर्धारित समयावधि में पूर्ण कर सकते हैं. एक बार जब 23 हजार मंत्र जाप पूर्ण हो जाए तब दशांश हवन करना चाहिए. दशांश हवन का अर्थ है कि जाप संख्या के दस प्रतिशत मंत्र जाप हवन करते हुए करने चाहिए. उसके बाद नियमित रुप से शनि के मंत्र की एक माला संध्या समय में करनी चाहिए.