ज्योतिष में जातकों के भी प्रकार होते हैं। एक ज्योतिषी के रूप में अपने 27 वर्ष के कॅरियर में मेरा सहस्रों जातकों से संपर्क हुआ है। अधिकांश बहुत भले और श्रद्धावान जातक हैं लेकिन कुछ जातक विभिन्न प्रकार के भी रहे। समय के साथ मैंने जातकों के प्रकार बना लिए। बातचीत की शुरूआत में ही मुझे भान हो जाता है कि जातक और मेरा संवाद सफल होगा या विफल।
ज्योतिष मे चार प्रकार के जातक ऐसे होते हैं जिनकी ज्योतिषी कभी मदद नहीं कर सकता। अगर ज्योतिषी अपने स्तर पर चाहे अथवा जातक का कोई रिश्तेदार ज्योतिषी से संपर्क करे और जातक की मदद करने के लिए और अगर जातक इन चार में से किसी एक प्रकार का हो तो ज्योतिषी जातक की मदद नहीं कर पाता है। ये चार प्रकार इस प्रकार हैं….
जातक अज्ञानी हो : यहां अज्ञान से अर्थ अक्षर ज्ञान नहीं बल्कि ज्योतिष विषय से अनभिज्ञ हो। हो सकता है बहुत से लोगों से ज्योतिष नाम सुना हो, बहुत से लोगों ने इस विषय की बुराई अलग अलग स्रोतों से सुन रखी होती है, लेकिन यह विषय उनकी क्या मदद कर सकता है, इसके बारे में उन्हें बिल्कुल जानकारी नहीं होती। ऐसे जातक ज्योतिषी के पास पहुंच भी जाए तो ऐसे उलूल जुलूल सवाल करते हैं कि ज्योतिषी अपना सिर पीट ले। ऐसे जातक बिना क्लू के आते हैं और बिना क्लू के ही लौट जाते हैं।
जातक में श्रद्धा न हो : ऐसा जातक जो ज्योतिष के बारे में तो जानता हो, लेकिन ज्योतिष विषय के प्रति उसकी बिल्कुल श्रद्धा न हो, अथवा ज्योतिषी के प्रति बिल्कुल श्रद्धा न हो। ऐसा जातक ज्योतिषी के लिए एक बंद किताब की तरह होता है। जातक चाहकर भी अपने मन की बात नहीं बता पाता है और ज्योतिषी चाहकर भी सही बिंदू पर नहीं पहुंच पाता है। ऐसे श्रद्धाहीन जातक का ज्योतिषी के पास नहीं जाना ही बेहतर होता है।
जातक में विवेक न हो : भविष्य में झांकना विज्ञान नहीं है, ज्योतिष का गणित भाग जहां पूरी तरह से विज्ञान है वहीं फलित भाग पूरी तरह से ज्योतिषी पर निर्भर करता है। भविष्य में झांकते हुए ज्योतिषी को क्या दिखाई दे रहा है और ज्योतिषी उसे किस प्रकार प्रकट कर रहा है, यह प्रत्येक ज्योतिषी का विशिष्ट तरीका होता है। अब जातक में अगर विवेक न हो तो ज्योतिषी के बताए सूत्र का सत्यानाश भी हो सकता है। परिणाम यह होता है कि ज्योतिषी द्वारा पूर्व में सचेत किए जाने के बावजूद जातक बुरी तरह मुंह की खाता है। कई बार कई जातक जो कि थोड़ी बहुत ज्योतिष जानते हैं, वे ज्योतिषी को ट्रिक करते हुए अपनी बात निकालने का प्रयास करते हैं, यह भी विवेकहीन कृत्य ही है। मैंने इसके सदा विपरीत परिणाम ही आते हुए देखे हैं।
जातक में संशय हो : फलित ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण भाग ज्योतिषीय उपचार हैं। एक बार ज्योतिषी बता दे कि अमुक समय प्रतिकूल है अथवा अमुक लक्ष्य अर्जित करने में बाधा आ सकती है तो जातक का अगला प्रश्न होता है कि इन बाधाओं से पार पाने के लिए क्या ज्योतिषीय उपचार किए जा सकते हैं। ज्योतिषी द्वारा बताए गए उपचार तभी कारगर सिद्ध हो सकते हैं जब जातक बिना किसी संशय के पूरी श्रद्धा के साथ उन उपचारों को करे, तो अभीष्ट की प्राप्ति कर सकता है, अन्यथा नहीं।
किसी ज्योतिषी और जातक के सफल संवाद और सफल परिणाम के लिए जरूरी है कि जातक में ज्ञान हो, श्रद्धा हो, विवेक हो और किसी प्रकार का संशय न हो। जातक के समक्ष ज्योतिषी की भूमिका दैवज्ञ की होती है। वह अपने प्रश्न लेकर आता है और उचित उत्तर और समाधान लेकर जाता है। उपरोक्त चारों में किसी भी एक अवस्था में होने पर जातक ज्योतिषी संवाद विफल होने की आशंका सर्वाधिक होती है।