वैसे तो पूरा विश्व तरंगों से बना है। सूक्ष्म तरंगों से लेकर ब्रह्माण्डीय तरंगों का उल्लेख किया गया है लेकिन देवकीनन्दन सिंह की ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक (Astrology Books in Hindi) में मनुष्य के जीवन को खूबसूरती से आठ तरंगों में विभाजित कर फलित ज्योतिष को विस्तार से समझाया गया है।
ज्योतिष पढ़ने के शुरूआती दौर में अगर यह पुस्तक हाथ लग जाए तो समझिए कि आपने आधा रास्ता आसानी से तय कर लिया है।
देवकीनन्दन सिंह की पुस्तक का प्रथम संस्करण 1934 में बाजार में आया था। आज भी इसे मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशित करते हैं। कुछ साल पहले जब मैंने इसे खरीदा तब यह करीब ढाई सौ रुपए की थी।
मुझे आज की कीमत तो पता नहीं लेकिन बहुत अधिक नहीं होगी। कम से कम ज्योतिष सिखाने वाली इस गंभीर पुस्तक का मूल्य इसके कंटेट की तुलना में बहुत कम है। आप आसानी से खरीद सकते हैं।
तीन प्रवाह, आठ तरंग और 1100 पृष्ठ
पुस्तक मुख्य रूप से तीन प्रवाह में विभाजित है। प्रथम प्रवाह में सिद्धांत ज्योतिष या कह सकते हैं ज्योतिष के गणितीय भाग के बारे में विस्तार से समझाया गया है।
खगोल, नक्षत्र, राशियां, ग्रह और उनका भ्रमण काल, स्त्री पुरुष भेद, काल पुरुष, राशियों का अंशों में विभाजन, लग्न बनाने की रीति, होरा, गुलिक तथा दशा- अन्तरदशा का विशद वर्णन पहले प्रवाह में दिया गया है।
दूसरा प्रवाह यानि ज्योतिष रहस्य
इसे आठ तरंगों में विभाजित किया गया है। पहली तरंग बालारिष्ट, दूसरी में बाल्यकाल और बालक के परिवार से संबंध, तीसरी तरंग में विद्या, बुद्धि आदि के बारे में, चौथी तरंग में विवाह और स्त्री के बारे में, पांचवी तरंग में संतान, छठी तरंग में राजसुख, वाहन, संपत्ति, शत्रु, वाणिज्य आदि के बारे में, सातवीं तरंग में धर्म, योग और यज्ञ के बारे में और आठवीं तरंग में आयु तथा मृत्यु के बारे में विशद वर्णन है।
व्यवहारिक प्रवाह
इसमें ज्योतिष की व्यहारिक बातों का समावेश है। जैसे अष्टकवर्ग, द्वादश जन्मलग्न फल, ग्रहों के स्वभाव, ग्रहों और भावों का संबंध, प्रमुख योग, दशाफल, गोचर आदि के बारे में विशद जानकारी दी गई है।
96 कुण्डलियां आमतौर पर पुस्तकों में दी गई कुण्डलियों पर प्रश्नचिह्न रहता है कि वे कितनी सही हैं और कितनी गलत। देवकी नन्दन सिंह की पुस्तक के परिशिष्ट में 96 कुण्डलियों का विश्लेषण भी दिया गया है।
इन सभी कुण्डलियों को बिल्कुल सही माना जा सकता है। इन पर किया गया विश्लेषण उससे भी अधिक सटीक लगता है
कुछ हटकर है ज्योतिष रत्नाकर (Astrology Books in Hindi) में :
पुस्तक के अंत में देवकीनन्दन सिंह ने कुछ बातें अपने पाठकों के साथ शेयर की हैं। इन बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। मसलन भारत गौरव लेख। इसमें लेखक ने प्राचीन भारतीय मनीषियों द्वारा किए गए प्रयासों और अर्जित ज्ञान पर गर्व किया गया है।
दूसरा लेख है ज्योतिष का जन्म स्थान। इसमें उन्होंने सिद्धांत ज्योतिष की जन्मस्थली भारत सिद्ध किया है। इसके अलावा फलित ज्योतिष की प्राचीनता, तारागण का प्रभाव, जनता की निमर्म दृष्टि, पतन के कारण और विद्वानों से अपेक्षा लेख प्रभावित करने वाले हैं।
मेरा आग्रह है कि अगर आप ज्योतषि शास्त्र को गंभीरता से पढ़ना चाहते हैं तो देवकीनन्दन सिंह की ज्योतिष रत्नाकर पुस्तक अवश्य पढि़ए।