भाग्यशाली पुरुषों के लक्षण Physical character of A Lucky Man – 1
कोई पुरुष कितना भाग्यशाली (LUCKY) होगा यह उसके अंग लक्षण (BODY) और शारीरिक संकेत (Physical Character) देखकर ज्ञात किया जा सकता है।
किसी भी पुरुष जातक की अंगुलात्मक ऊंचाई, शरीर का वजन, चलने का अंदाज, संहति, सार, वर्ण, स्नेह यानी स्निग्धता, स्वर यानी शब्द, प्रकृति, सत्व, अनूक, क्षेत्र, मृजा यानी पंचमहाभूतमयी शरीर छाया को जानकर किसी पुरुष के भाग्यशाली होने के लक्षण पता किए जाते हैं। वृहत्संहिता में पुरुषों और स्त्रियों के शुभ एवं अशुभ लक्षण दिए गए हैं। इस लेख में मैं चर्चा करूंगा पुरुषों के शुभ लक्षणों की…
पांव
स्वेद रहित, कोमल तल वाले, कमलोदर के समान, सम्मिलित अंगुलियों वाले, ताम्र वर्ण के सुंदर नख वाले, सुंदर एडि़यों से युक्त, गरम, शिराओं से रहित, पांव की गांठी छिपी हुई और कछुए के भांति पृष्ठ हो तो जातक राजा समान होता है।
जंघा
विरल तथा सूक्ष्म रोमों से युक्त, गजशुण्ड के समान सुंदर ऊरू वाले तथा पुष्ट और समान जानु वाले मनुष्य राजा होते हैं। राजाओं की जंघा के रोम कूपों में एक एक रोम, पंडित और श्रोत्रिय की जंघाओं के रोम कूपों में दो दो रोम होते हैं। छोटी जंघा वाला भाग्यशाली और बड़ी जंघा वाला जातक दीर्धजीवी होता है।
लिंग
छोटे लिंग वाला मनुष्य धनी और संतानरहित होता है। दाहिनी ओर झुके हुए लिंग वाला मनुष्य पुत्रवान, स्थूल ग्रंथियुक्त लिंग वाला सुखी मनुष्य होता है। समान अण्ड वाला मनुष्य राजा होता है और लंबे अण्ड वाला जातक दीर्धजीवी होता है।
मणि
लिंग का अग्र भाग यानि मणि जिस जातक की लाल रंग की हो वह धनी होता है। जिन मनुष्यों की मणि स्निग्ध, ऊंचे और सम हो वह पुरुष धन, स्त्री और रत्नों को भोगने वाला होता है। जिनका मणि मध्य ऊंचा हो वे बहुत पशुओं के स्वामी होते हैं। जिनके मणि न हो वे निश्चय ही धनी होते हैं।
मूत्र
जिनके मूत्र विसर्जन में ध्वनि हो वे सुखी जातक होते हैं। जिनकी मूत्र की धार दक्षिणावर्त क्रम से दो, तीन या चार धारा होकर गिरती हो वे राजा होते हैं। वेष्टित एक मूत्रधारा सुंदर बनाती है, लेकिन पुत्र नहीं देती।
वीर्य
जिन मनुष्य के वीर्य में पुष्प के समान गंध हो वह राजा होते हैं। जिनके शहद के समान वीर्य की गंध हो वे धनी होते हैं। जिनके मछली के समान वीर्य में गंध हो वे बहुत संतान वाले कहे गए हैं। थोड़ा वीर्य हो तो कन्या के पिता होते हैं। मांस के समान वीर्य में गंध होने पर अधिक भोगी होते हैं। मद्य के समान वीर्य में गंध हो तो यज्ञ करने वाला होता है।
नाभि
गोल ऊंची और विस्तीर्ण नाभि वाले मनुष्य सुखी होते हैं। दक्षिणावर्त नाभि तत्वज्ञानी बनाती है। दोनों पार्श्व में आयत नाभि दीर्घायु, ऊपर की ओर आयत नाभि ऐश्वर्य और नीचे की ओर आयत नाभि गायों से युक्त बनाती है। कमल कोर की तरह नाभि हो तो जातक राजा बनता है।
- पुष्ट कोमल और दक्षिणावर्त रोमों से युक्त पार्श्व वाले मनुष्य राजा होते हैं।
- सुभग पुरुष वे जातक होते हैं जिनके चुचुक यानी स्तन का अग्र भाग ऊपर की ओर न खिंचा हो।
- कठोर, पुष्ट और नीचे चुचुक वाला जातक राज भोगता है।
- राजाओं का हृदय ऊंचा विस्तीर्ण और कंपरहित होता है।
- धनी जातकों के कंधों के जोड़ पुष्ट होते हैं।
- राजा की ग्रीवा शंख जैसी होती है।
- धनियों की पीठ अभग्न और रोम रहित होती है।
- धनियों की कांख पसीने से रहित, पुष्ट, ऊंची, सुगंधयुक्त, समान तथा रोमों से व्याप्त होती है।