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मोदी सरकार का शपथ ग्रहण और ज्‍योतिषीय योग

Narendra modi prediction for 2017 astrological prediction by astrologer sidharth

मोदी सरकार का शपथ ग्रहण और ज्‍योतिषीय योग Swearing in ceremony of Narendra Modi and his government

भारत के नए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी (Narendra Modi) ने 26 मई को शाम 6 बजकर 11 मिनट पर दिल्‍ली स्थित राष्‍ट्रपति भवन के प्रांगण में पद और गोपनीयता की शपथ ली। उनके बाद उनके पूरे मंत्रिमण्‍डल ने शपथ ली। चुनाव परिणाम 16 मई को आ चुके थे, इसके बाद चयनित संगठन द्वारा शपथ ग्रहण में इतना विलंब किए जाने के कई अर्थ निकाले गए। इसी प्रकार ज्‍योतिषियों ने भी अपने अनुमान लगाए।

शपथ ग्रहण के समय को लेकर बहुत रोचक बातें सामने आती हैं। सबसे प्रमुख बात है शुक्र का मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश। दूसरा तुला लग्‍न के समाप्‍त होने के समय में शपथ ग्रहण कार्यक्रम शुरू करना और पहले नौ मंत्रियों द्वारा शपथ ग्रहण किए जाने के बाद लग्‍न का बदल जाना। तीसरा महत्‍वपूर्ण बिंदू है शपथ ग्रहण के लिए सुबह का समय यानी जब सूर्य लग्‍न में हो, लेने के बजाय शाम के समय का चुनाव करना। आइए देखते हैं कि इन सभी गैर परम्‍परागत बिंदुओं को क्‍यों शामिल किया गया… पहले देखते हैं उस क्षण की कुण्‍डली जब मोदी शपथ ग्रहण कर रहे थे। चित्र में दर्शाए अनुसार


तुला लग्‍न (Lagna Tula)

लग्‍न गुरू के नक्षत्र व सूर्य के सबलॉर्ड में
(Lagna in Jupiter Star and Sun Sublord)

लग्‍न में राहु और शनि की युति

सप्‍तम भाव में मेष राशि में शुक्र, केतु और चंद्र की युति

अष्‍टम में वृष राशि का सूर्य

नवम भाव में मिथुन राशि के गुरु और बुध

द्वादश भाव में कन्‍या का मंगल


तुला लग्‍न में कारक ग्रह शनि होता है। लंबे समय से शनि और राहु तुला राशि में ही बने हुए हैं। ऐसे में शुद्ध या कहें राहु से मुक्‍त शनि प्राप्‍त करना व्‍यवहारिक रूप से संभव नहीं था। अब बात करें राहु और शनि की युति की, इसे काटवे ने इच्‍छाधारी सर्प की संज्ञा दी है। जातक कुण्‍डली में शनि राहु युति वाला जातक किसी भी प्रकार की स्थिति में खुद को ढाल लेने की क्षमता वाला होता है।

अब हमें यह देखना होगा कि नरेन्‍द्र मोदी और उसके मंत्रिमण्‍डल का शपथ ग्रहण हमें क्‍या क्‍या सूचनाएं दे सकता है। इसे इस प्रकार समझिए कि यह वो क्षण है जब वह सरकार बनाते हैं, जो सरकार जनता की सेवा करेगी। यह एक पंचवर्षीय नौकरी का बांड है, यह बांड भी स्‍थाई नहीं है। घोटालों या जनता के विरोध में यह बांड बीच में निरस्‍त भी किया जा सकता है। ऐसे में यह शपथ केवल पंचवर्षीय अस्‍थाई नौकरी के लिए ली गई है।

ऐसे में हमारे विश्‍लेषण का आकार भी इसी पांच सालों के भीतर ही रहेगा। इसी के साथ छह बजकर ग्‍यारह मिनट की जो कुण्‍डली बनी है, वह केवल सरकार के मुखिया की है, ऐसे में पूरी सरकार इसी से चले, यह मानना भी ठीक नहीं होगा। आज मोदी की स्थिति और पूर्ण जनादेश देखकर कोई भी यह कह सकता है कि सरकार तो पूरे पांच साल चलेगी, या मोदी पांच साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे, लेकिन शपथ ग्रहण के समय की कुण्‍डली के लिए यह कोई बाध्‍यता नहीं है। साथ ही मोदी के व्‍यक्तित्‍व, कृतित्‍व और सरकार से इतर संबंध इस कुण्‍डली से परे होंगे। ऐसे में हम जिस स्थिति का आकलन कर रहे हैं, वह केवल इस शपथ ग्रहण से संचालित होने वाले एक सीमित दायरे के भीतर ही होगी।

अब वापस कुण्‍डली पर आते हैं। तुला लग्‍न में वक्री शनि और राहु की युति हमें बताती है कि यह सरकार या शपथ लेने वाला मंत्रिमण्‍डल का प्रधान बेहतरीन रणनीतिकार होगा, इसके बावजूद उसके अधिकांश कार्य गुप्‍त होंगे। शपथ ग्रहण का समय दस दिन तक आगे ले जाने का प्रमुख कारण यह रहा कि तब शुक्र उच्‍च का छठे यानि शत्रु भाव में बैठा था। जब शुक्र का गोचर मेष राशि में हो गया, तब छठे भाव का अधिपति भी पीडि़त हो गया, लेकिन इसके साथ एक दूसरी समस्‍या भी पैदा होती है, मोदी को अपने ही मंत्रिमण्‍डल में अपने शत्रु शामिल होंगे। क्‍योंकि अरिभाव का स्‍वामी शुक्र खिसककर सातवें भाव में पहुंचा है।

एकादश भाव का अधिपति सूर्य अष्‍टम स्‍थान में होने से यह निष्‍कर्ष निकलता है कि मंत्रिमण्‍डल के कार्य शुरू करने के साथ ही जनता में उसकी लोकप्रियता तेजी से घटेगी। एकादश भाव मण्‍डेन में आम जनता से जुड़ा भाव है। इसका दूसरा अर्थ यह भी लगाया जा सकता है कि आमजन मंत्रिमण्‍डल के निर्णयों से पीडि़त रहेगा।

एक बार फिर सातवें भाव में चलते हैं, यहां मेष राशि में केतू, चंद्रमा और शुक्र की युति है। इसका एक प्रभाव हम देख चुके हैं कि मंत्रिमण्‍डल में सात महिलाओं को केबिनेट का दर्जा दिया गया है, यहीं पर चंद्रमा यह संकेत करता है कि मंत्रिमण्‍डल में नियंत्रित विस्‍तार और संकुचन होता रहेगा। सातवें भाव का केतु कहता है कि मंत्रिमण्‍डल के प्रधान के साथियों में लगातार असंतोष घर किए रखेगा, लेकिन विरोध कभी मुखर नहीं हो पाएगा। सातवें भाव का अधिपति मंगल बारहवें भाव में स्थित है। ऐसे में साथियों के समय समय पर विलग होने की सूचनाएं भी मिलेंगी। यह कहना कठिन बात है, लेकिन मंत्रिमण्‍डल के सहयोगी ही प्रधान को छोड़ देंगे।

जिस समय मंत्रिमण्‍डल ने शपथ ली उस समय शुक्र का नक्षत्र शुरू ही हुुआ था। लेकिन इस शुक्र का लाभ केवल पहले तीन या चार मंत्रियों को ही मिल पाएगा। क्‍योंकि छह बजकर 14 मिनट पर लग्‍न वृश्चिक राशि में चला गया था। इन चार मंत्रियों के अलावा जितने भी लोगों ने मंत्रिमण्‍डल में शपथ ली है, उनका कार्यकाल अपेक्षाकृत कम रहेगा।

नवम भाव में गुरु और बुध की युति बताती है कि मंत्रिमण्‍डल के सदस्‍य लगातार विदेशी यात्राएं करेंगे, विदेशों से अच्‍छा प्रभाव लेकर आएंगे। छोटी और अर्थपूर्ण यात्राएं सार्थक सिद्ध होंगी। क्‍योंकि भाग्‍य भाव का अधिपति भाग्‍य भाव में ही बैठा है। इस मंत्रिमण्‍डल द्वारा किए जाने वाले प्रयासों का परिणाम बड़े स्‍तर पर मार्च 2016 के बाद ही दिखाई देना शुरू होगा। इससे पूर्व 7 अगस्‍त को कुछ और सकारात्‍मक परिवर्तन दृष्टिगोचर हो सकते हैं।


ध्‍यान रखने योग्‍य बातें

– विरोधी पीडि़त रहेंगे

– सहयोगी छोड़कर जाएंगे

– मंत्रिमण्‍डल के निर्णय लोकरंजक नहीं होंगे

– महिला सदस्‍य अच्‍छी संख्‍या में है, इनकी संख्‍या अच्‍छी ही रहेगी

– मंत्रिमण्‍डल के काम काज की प्राथमिकताओं में

रसायन, औषधि, इनकम टैक्‍स, सेल्‍स टैक्‍स,

रेवेन्‍यू, अदालतें, धार्मिक स्‍थान, अस्‍पताल रहेंगे।