अगर किसी सटोरिए (Bookmaker) को भगवान खुद आकर बता दे कि आज A टीम जीत रही है और मैच में भाव B टीम के चल रहे हों तो सटोरिया एकबारगी भगवान पर भी भरोसा नहीं कर पाएगा। यह बात मुझे एक सटोरिए ने तब कही, जब मैं लगातार तीन क्रिकेट के मैच की सटीक भविष्यवाणियां कर चुका था, असल में ज्योतिषीय कोण से सट्टा जुआ खेलने speculation और लाभ benefit प्राप्त करने के अलग अलग योग होते हैं।
अब प्रश्न यह है कि अगर किसी सटोरिए को सट्टा करने का लाभ नहीं मिल रहा है तो फिर वह सट्टा क्यों खेल रहा है? आपने भी ऐसे जुआरी gambler और सटोरिए bookmaker देखे होंगे जिन्हें चाहे लंबे समय से कोई लाभ न हो रहा हो, चाहे अपनी पूरी जमापूंजी खर्च कर चुके हों, चाहे अपनी पत्नी के गहने बेच चुके हों, चाहे बाजार का जर्रा जर्रा उनसे पैसा मांग रहा हो, लेकिन सटोरिए किसी नशेड़ी तरह मैच शुरू होते ही भाव लेने लगता है और मैच खत्म होने तक विस्फारित नेत्रों से मैच और भावों को देखता रहता है।
पहली बार 2013 में आईपीएल (Indian Premier league) के मैच के दौरान मेरे सानिध्य में ऐसे सटोरिए आए, जो हारकर खेलते हैं। कुछ ने अपनी सीमाएं तय कर रखी हैं कि इतने नुकसान तक खेलेंगे, फिर नहीं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो हर साल कर्ज के पहाड़ के नीचे थोड़ा और दब जाते हैं। तब से लगातार देख रहा हूं कि खिलाड़ी सटोरिए और कमाई वाले सटोरिए अलग अलग दिखे हैं।
ज्योतिषीय कोण से सट्टा (Astrology of speculation) खेलने की रुचि होना और सट्टे से कमाई होने के योग अलग अलग होते हैं। अगर कोई सट्टे का बहुत अच्छा खिलाड़ी भी हो तो यह इस बात की गारंटी नहीं है कि वह सट्टे से पैसा कमा भी लेगा। अगर किसी को मैच की हार जीत की पहले से जानकारी भी हो तो भी मैच में सौदा करके कमा लेना, बिना उचित लक्ष्मी योग (Lakshmi yog) हुए संभव नहीं होगा।
मैंने अपने गुरूजी से क्रिकेट मैच निकालना सीखने के बाद कुछ साल तक अभ्यास किया और अपने श्रेष्ठतम प्रदर्शन के दौरान दस में से आठ मैच सटीक निकाले। मेरे गुरूजी का भी लगभग यही स्कोर रहा है। इसकी बहुत सरल पद्धति है, दो लोग आपस में लड़ रहे हों और उनके बीच में एक चाकू कर दिया जाए, अब हमें देखना है कि इन दोनों में से कौन जीतेगा।
ज्योतिष की दृष्टि से इनमें से एक योद्धा लग्न है, आमतौर पर वह योद्धा आपका फेवरेट होता है और उसका प्रतिद्वंद्वी सप्तम भाव होता है। हमें विभिन्न विधियों से यह देखना है कि लग्न जीत रहा है या सप्तम। जो भारी होगा, उसके जीतने के चांसेज अधिक होंगे।
इस विधि की एक कमी यह है कि यह परिणाम देता है, तो सौ प्रतिशत परिणाम देता है, लेकिन जब फेल होता है, तो बिना किसी स्पष्ट कारण के बुरी तरह फेल होता है। जिन कारणों से पिछले दिन का मैच सही निकला है, ठीक उन्हीं कारणों को लेकर आज का मैच गलत हो जाता है। दस में से दो मैच ऐसे आ ही जाते हैं जो बिना किसी ठोस कारण के गलत हो जाते हैं।
दस में से दस मैच सही निकालने और दस में से आठ मैच सही निकल पाने में कितना बड़ा अंतर होता है, यह प्रयोग को व्यवहारिक रूप से देखने पर ही पता चलता है। इसके लिए एक उदाहरण बताता हूं, जो मेरे और एक सटोरिए के बीच बनी स्थिति है…
एक सटोरिया लगातार बड़ा दांव खेलने की फिराक में लगा हुआ था, अपने संबंधों से बुकीज के जरिए या पराभौतिक ज्ञान से मैच के बारे में पता कर, बड़ा पैसा बनाने की फिराक में था। उसे पता चला कि मैं मैच निकाल रहा हूं, तो एक दिन मुझसे मिला। स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि उसे मैच चाहिए, बस इधर उधर की बातचीत करता रहा, और बीच बीच में मुझे चैलेंज करता रहा कि किसी भी सूरत में ज्योतिष से मैच नहीं निकाला जा सकता। हालांकि मैं ऐसे चुनौती देने वाले लोगों से पहले भी दो चार होता रहा हूं, लेकिन उस दिन उस बंदे के ट्रैप में फंस गया और दावा करने के अंदाज में बोला कि मैं दस में आठ सटीक निकालता हूं, कौनसे दो गलत होंगे, कह नहीं सकता, लेकिन कुल दस गिनोगे तो उनमें से आठ सही होंगे। अब बंदे ने एक और दांव खेला, उसने कहा कि अगर कोई बंदा मुझे एक मैच भी सही निकालकर दिखा दे, तो उसे मैं हर मैच का दस हजार रुपया दूंगा। जब उसने यह बात कही, कई लोग बैठे थे।
अब बात धन से उतरकर चार लोगों के बीच प्रतिष्ठा की आ गई थी। मैंने कहा ठीक है, मैच से एक घंटे पहले फोन करना, मैं बता दूंगा। अगले दिन बंदे का फोन आया, मैंने मैच बता दिया, मैच आखिरी ओवर तक चला और लास्ट बॉल पर बाउंड्री की ओर उड़ती जा रही बॉल कैच होकर मेरा फलादेश सही हो गया (यह संभवत: 2013 की बात होगी, मैच कौनसा था, अब याद नहीं)। शाम को बंदे ने कोई कॉल नहीं किया और अगले दिन मैच से पहले फिर फोन आ गया। मैंने कहा पिछले दिन के दस हजार रुपए का क्या हुआ, तो बोला कि दस मैच के बाद एक साथ दे देगा। ठीक है, मैंने दूसरे दिन का मैच भी बता दिया, सही गया, तीसरे दिन का मैच भी सही गया, बंदा लगातार फोन कर रहा था, मैच सटीक जा रहे थे। चौथे दिन मैच गलत चला गया, मैच खत्म होते होते बंदे का फोन आ ही गया, वह लगभग चिल्ला रहा था कि मैंने उसे बर्बाद कर दिया। मैं अवाक। ऐसा कैसे??
उसने बताया कि पहले दिन उसे भरोसा नहीं था, सो उसने केवल मैच देखा, लेकिन लगाया कुछ नहीं, दूसरे दिन हिम्मत करके थोड़ी सी राशि लगाई, चूंकि मैच सभी कांटे की टक्कर के जा रहे थे, वह बड़ा दांव खेलने की स्थिति में नहीं था। तीसरे दिन कुछ अधिक दांव पर लगाया तो अच्छा लाभ कमा लिया। चौथे दिन उसने दूसरे और तीसरे दिन कमाया सारा पैसा लगाया सो लगाया, मेरे फलादेश पर भरोसा करते हुए 50 हजार रुपए ऊपर और खेल गया। अब मैच उल्टा पड़ चुका था। मैंने उसे याद दिलाया कि दस में से आठ ही सही होने थे, अभी तक केवल एक गलत हुआ है, लेकिन वह बुरी तरह बौखलाया हुआ था। छोटा सटोरिया था, सो 50 हजार की रकम से ही उलझ गया। तीन दिन में उसका विश्वास जम गया था कि पंडितजी की भविष्यवाणियों के साथ वह होटल ताज खरीद लेगा, लेकिन चौथे दिन फिर से जमीन सूंघ चुका था। बौखलाहट इस बात की अधिक थी कि जिस जमीन पर वह होटल ताज बना रहा था, वही हिल गई थी। कभी वह शक करता कि मैंने उसे जानबूझकर गलत बताया है तो कभी शक करता कि किसी ने उस पर जादू टोना किया है, कई दिन तक डिस्टर्ब रहा। बाद में मुझसे संपर्क तोड़ लिया। उसके बाद से कभी किसी सटोरिए को मैंने खुद पर निर्भर नहीं होने दिया।
एक दूसरा सटोरिया कहता है “पंडितजी आप पर भरोसा है, उसमें कोई फर्क नहीं है, लेकिन अगर भगवान भोलेनाथ भी आकर किसी पंटर को यह कह दे कि आज मैच अमुक टीम जीतेगी, तो भी कुशल सटोरिया बाजार की हवा के खिलाफ कभी नहीं खेलेगा। वह केवल टीम को फेवरेट बनाकर खेल सकता है, पूरी तरह निर्भर होकर नहीं।”
सट्टे की प्रवृत्ति (Speculation tendencies) देने वाले योग
ज्योतिष में सट्टे को प्रमुख रूप से पंचम भाव से देखा जाता है। अगर पंचम भाव बहुत अच्छा है तो जातक कभी सट्टा नहीं खेलेगा, लेकिन अगर पंचम भाव खराब है तो सट्टे की प्रवृत्ति पाई जाती है। अगर पंचम भाव में कमजोर चंद्रमा है तो जातक के सट्टा खेलने के अवसर बढ़ जाते हैं। जरूरी नहीं कि क्रिकेट का ही सट्टा करे, बारिश, शेयर बाजार, कमोडिटी बाजार या हाजिर की तेजी मंदी के सट्टे भी कर सकता है। यहां सट्टा प्रवृत्ति है, न कि कोई विशेष खेल।
एक प्रसिद्ध उदाहरण है कि अमरीका में बारिश भरी एक शाम को एक जुआघर से जुआरियों को पकड़कर पुलिस ले जा रही थी, तो पुलिस कार में बैठे जुआरी ने कहा कि आप हमें गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन सट्टा खेलने से नहीं रोक सकते। पुलिसकर्मी ने पूछा कि कैसे, तो जवाब में सटोरिए ने पुलिसकर्मी से ही पूछा कि कार की छत पर हल्की बारिश हो रही है और दोनों ओर की खिड़कियों की ऊपरी सतह पर बूंदे ठहरी हुई है, बांई ओर की बूंद पहले नीचे आएगी या दांई ओर की? पुलिसकर्मी ध्यान से दोनों बूंदों को देखने लगा, इतने में सटोरिया खिलखिलाकर हंस पड़ा। यही सट्टा है। जेल में बंद सटोरिए भी चप्पल फेंककर सट्टा कर लेते हैं कि कब उल्टी पड़ेगी और कब सीधी।
ज्योतिषीय योगों में भी पंचम भाव जो कि तीसरे भाव का तीसरा भाव होता है। तीसरा भाव साहस, बांड और खिलाड़ी प्रवृत्ति का होता है और इसका तीसरा भाव उस बांड के मैटीरियलाइज होने का है। भावात भाव सिद्धांत से पंचम भाव सट्टे का भाव बनता है। इसी पंचम भाव में मैंने केतु, राहु, क्षीण चंद्रमा अथवा मंगल शनि की युति की स्थिति में सटोरिए बनते देखे हैं।
लक्ष्मी के योग अलग होते हैं। अगर पंचम भाव की प्रतिकूलता को एकादश भाव की अनुकूलता मिले तो ही जातक सट्टे से लाभ कमा पाता है। यह बहुत कम सटोरियों की कुण्डली में होता है। सौ में से कोई एकाध ही ऐसा सटोरिया होता है।
सिद्धांत के तौर पर नहीं बल्कि व्यवहारिक सिद्धांत के तौर पर किसी जातक की कुण्डली में लग्न बलशाली हो, तृतीय भाव का अधिपति अनुकूल हो, मंगल प्रबल हो, पंचम भाव खराब हो, एकादश भाव अथवा एकादश भाव का अधिपति अच्छा हो और कुण्डली में शक्तिशाली लक्ष्मी योग बन रहे हों, तो ही कोई जातक सफल सटोरिया बन सकता है।
शेयर बाजार में डेली ट्रेडिंग करने वालों की कुण्डली में मंगल और गुरू अनुकूल होने चाहिए और कमोडिटी बाजार में राहु राज करता है, बारिश के सट्टे में चंद्रमा की अनुकूलता चाहिए और क्रिकेट के सट्टे में चंद्रमा और मंगल की। अगर इन ग्रहों की अनुकूलता न मिल रही हो तो चाहे कितनी भी रुचि क्यों न हो, सट्टे से दूरी रखने में ही लाभ है। किसी भी सटोरिए को राहु की महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर अथवा सूक्ष्म के दौरान सट्टा नहीं खेलना चाहिए।
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