क्या मेरे जुड़वां बच्चे होंगे Twin Birth
छोटे भाई की पत्नी ने मुझे एक दिन फोन किया और बताया कि किसी ज्योतिषी ने उन्हें बताया है कि उनको जुड़वां बच्चे होंगे. उनको दो बेटियां पहले से हैं और अब वो और दो बच्चे नहीं चाहती हैं.
उन्होंने बताया कि मैं बहुत चिंता में हूँ. जैसा कि वह मेरे बारे में जानती हैं कि मैं कृष्णमूर्ति जी के द्वारा बनाई गई पद्धति पर काम करती हूँ. उन्होंने मुझसे कहा कि आप मेरी समस्या का समाधान कर दीजिये. मैंने उनसे 1 से लेकर 249 के बीच कोई एक नंबर बताने को कहा तो उन्होंने मुझे 40 नंबर दिया.
सवाल: क्या मेरे जुड़वां बच्चे होंगे?
होरोरी नंबर: 40
गणना की तारीख: 15 मई 2012
गणना का समय: 04:06:11 शाम
गणना का स्थान: कानपुर/ उत्तर प्रदेश (भारत)
शासक ग्रह
लग्न राशि-स्वामी: कन्या-बुध
लग्न नक्षत्र स्वामी: मंगल
लग्न उप स्वामी: गुरु
चन्द्र राशि स्वामी: गुरु
चन्द्र नक्षत्र स्वामी: गुरु
वारेश: मंगलवार (मंगल)
शासक ग्रह-मंगल,बुध,गुरु,सूर्य
सूत्र-संतान के लिए 2,5,11 के उप स्वामी अथवा उनके नक्षत्र स्वामी शुभ भावों में हों अथवा पांचवें भाव का उप स्वामी 2,5 या 11 का कारक हो तो इनके संयुक्त दशा समय (दशा,भुक्ति,अंतर) में संतान होती है. जुड़वां बच्चे के लिए 5 वें कस्प उप स्वामी के नक्षत्र स्वामी का द्विस्वभाव राशि में होना आवश्यक है.
इस केस में उक्त महिला को पहले से ही दो बेटियां हैं, लिहाजा यहाँ हम तीसरी संतान के लिए नवम कस्प के उप स्वामी और उसके नक्षत्र स्वामी पर विचार करेंगे. महिला द्वारा गर्भ के बारे में पूंछा गया सवाल क्या सही है. यह जानने के लिए तीसरे कस्प (नक्षत्र नवांश) के उप व नक्षत्र स्वामी पर विचार करेंगे.
3 कस्प (कर्क 13:43:34)-तीसरे कस्प का उप स्वामी राहू है और उसका नक्षत्र स्वामी शनि है, अतः यह स्पष्ट है कि महिला को अपने गर्भ के बारे में भ्रम है, यहाँ जुड़वां बच्चों की तो चले क्या गर्भ में एक भी भ्रूण नहीं है.
अब महिला के प्रश्न की वास्तविकता का चन्द्र से पता लगाते हैं-चन्द्रमा (मीन 00:24:19)-चन्द्रमा अपने ही उप नक्षत्र एवं गुरु के नक्षत्र में है. यह गुरु की राशि में 11 वें भाव में बैठा है और पंचम भाव को देख रहा है. लेकिन तीसरी संतान के लिए नवम का उप स्वामी राहू सप्तम भाव में बैठ कर पंचम द्रष्टि से एकदश भाव में आसीन चन्द्र को देख रहा है, अतः महिला जातक का सवाल वास्तविक है.
तीसरे गर्भ का विश्लेषण-नवम कस्प का उप स्वामी राहू सप्तम भाव में आसीन है और उसका नक्षत्र स्वामी शनि छठे भाव में स्थित है. राहू के नक्षत्र में कोई ग्रह नहीं है और राहू 5,6,9,10 का कारक है. इसका नक्षत्र स्वामी शनि (वक्री) 4,5,7,9,10,12 का कारक है और उप नक्षत्र चन्द्र दसम में स्थित है और 3,8,10,11,12 का कारक है. चन्द्रमा केतू का नक्षत्र है, केतू लग्न में आसीन होकर नवम भाव को पंचम द्रष्टि से देख रहा है और 3,10,12 भावों का कारक है.
यहाँ नवम कस्प के उप स्वामी राहू का नक्षत्र स्वामी शनि वक्री है, अतः एक बार फिर यह साबित हो गया है कि उक्त महिला को अपने गर्भ के बारे में भ्रम है. लिहाजा यहाँ पर नवम, द्वितीय एवं एकादश कस्प के उप व नक्षत्र स्वामी की स्थिति देखने का कोई अर्थ ही नहीं है.
मेरा अभिमत-महिला जातक के दिए गये होररी नंबर के अनुसार यह पहले ही साबित हो गया था कि उसके द्वारा दी गई सूचना में कोई दम नहीं है, इसके बावजूद होररी विश्लेषण किया गया, जिसमें नवम कस्प के उप का नक्षत्र स्वामी शनि वक्री निकला, अतः उसका गर्भ या तो है नहीं, अथवा उसका कोई जीवन नहीं है. यह अकाट्य सत्य है.
वास्तविक सत्य-उक्त महिला के द्वारा 15 मई 2012 से लेकर अब तक कोई संतान नहीं हुई है. उसने मुझे बताया कि उसको गर्भ ठहरा ही नहीं था. डॉ. को एक माह बाद चेकअप से पता चला कि हार्मोनियल डिसबैलेंस की वजह से उसका मासिक चक्र अनियमित हो गया था.
मेरे गुरुजी श्री रवीन्द्रनाथ चतुर्वेदी जी, दादा गुरु श्री केएस कृष्णमूर्तिजी और मेरे आराध्य भगवान श्री गणपतिजी को शत-शत प्रणाम.