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भाग्‍यशाली आदतें

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भाग्‍यशाली आदतें

अपनी दिनचर्या में हम कई काम ऐसे करने लगतेे हैं जो हमारी स्‍वाभाविक लय को बिगाड़ देते हैं। बाद में यही काम हमारी आदत बनते चलेे जाते हैं। इन खराब आदतों के कारण हम कई बार ग्रहों के प्रभाव को प्रतिकूल कर बैठते हैं। आष्‍टांग योग के आठ भाग हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्‍याहार, धारणा, ध्‍यान और समाधि। इनमें यम और नियम हमें हमारी आदतों और व्‍यवहार के लिए सचेत करते हैं। यहां हम जानेंगे आम लोग जिन खराब आदतों केे अनचाहे शिकार हो जाते हैं उन आदतों और उनसे बचने के उपायों के बारे में…

थूकने का अर्थ है कि आप अपने मुख में आए स्राव को बाहर फेंक रहे हैं। मूल रूप से थूक किसी भी सूरत में त्‍याज्‍य नहीं है। जब तक आप बीमार नहीं हैं, तब तक थूक आपके शरीर के लिए उपयोगी वस्‍तु है। शौच में हम उन चीजों को शरीर से बाहर निकालते हैं जो शरीर के लिए खराब हैं, लेकिन थूकते वक्‍त उस पदार्थ को बाहर फेंक रहे हैं जो हमारे लिए उपयोगी हो सकता है। ऐसे में थूकना मूल रूप से गलत ही है। अगर किसी कारण विशेष आपको थूकना ही पड़ जाए तो यत्र तत्र थूकना आपके सूर्य को खराब कर सकता है। जरूरी होने पर वाश बेसिन अथवा ऐसी बंद जगह पर थूकिए जहां आपके थूक का तुरंत निवारण हो जाए, वह वहां पड़ा न रहे। यत्र तत्र थूकने से आपके सम्‍मान और यश में कमी आ सकती है। सबसे बड़ा नुकसान साख के नुकसान के रूप में होता है। ठिकाने पर थूकने पर आप उससे बचे रहेंगे। जिन जातकों की कुण्‍डली में सूर्य खराब स्थिति में हो, उनके मुंह से स्‍वत: ही थूक उछलता रहता है।

थाली में झूठन छोड़ना, हाथ धोना और बर्तन को वहीं छोड़़ देना। वास्‍तव में ये तीनों आदतें हमारे गुरु और शनि को खराब करने वाली हैं। अगर कोई अनुचर आपके पीछे खड़ा आपके भोजन समाप्‍त होने का इंतजार करता है, तो ही आप भोजन की थाली को छोड़ सकते हैं। क्‍योंकि शनि भृत्‍य के रूप में आपकी सेवा में खड़ा है, लेकिन अगर कोई आपकी थाली उठाने के लिए इंतजार नहींं कर रहा है तो खाने के बाद थाली को छोड़ने पर आप शनिदेव को नाराज कर सकते हैं। थाली में झूूठन छोड़ना पालनकर्ता विष्‍णु का अपमान है और थाली को वहीं छोड़ देना शनि को बिना बात छेड़ देना है। रही बात थाली में हाथ धोने की, दरअसल थाली में हाथ धोना कभी परम्‍परा रही भी नहीं है। जिस हाथ से खाना खाया है, उसकी अंगुलियों अथवा हथेली के अग्र भाग में लगे अन्‍न को छुड़ाकर थाली में लिया जाता है, इसके बाद थाली में बचे अन्‍न को उसी पानी में घोलकर पिया जाता है। मारवाड़ी में इसे “चणू करना” कहते हैं। इस तरह अन्‍न का जरा सा भाग भी बर्बाद होने से बच जाता है। कालांतर में इस परम्‍परा ने स्‍वरूप बदला और लोग थाली में ही हाथ धोने लगे, जो वस्‍तुत: अन्‍न और थााली दोनों का अपमान है। ऐसे लोगों का कमाया हुआ कभी पूरा नहीं पड़ता और कमाने में भी ढेरों दिक्‍कतेंं आती हैं।

पानी पिलाना वास्‍तव में चंद्रमा का दान है। अगर कोई भिखारी, फटीचर अथवा दुरावस्‍था का शिकार व्‍यक्ति आपके घर के बाहर आकर पानी मांगता है, तो उसे घर के बाहर ही हाथ निकालकर अथवा बाहर आकर पानी पिलाना जातक की कुण्‍डली के चंद्र राहू की स्थिति को सुधारता है। यह एक मानवीय मूल्‍य तो है ही, आपकी कुण्‍डली के चंद्रमा और राहू को भी सपोर्ट करने वाला है। अवसाद, निदान नहीं हो सकने वाली बीमारियों और अचानक आने वाली समस्‍याओं के समाधान में यह उपयोगी उपचार है।

रोजगार का संकट अथवा दीर्धकालीन चलने वाली घरेलू समस्‍याओं के मामले में पौधों को पानी देना आपके बुध, शुक्र और चंद्रमा का एकल उपचार है। सुबह शाम दोनों वक्‍त पौधों को बहुत अधिक नहीं बल्कि आवश्‍यकतानुसार पानी देना और देखभाल करना समस्‍याओं का शीघ्रता से समाधान करता है और आगे बढ़ने के द्वार खोलता है। जो लोग नियमित रूप से पौधों की देखभााल करते हैं, वे भविष्‍य की योजनाएं बेहतर ढंग से बना पाते हैं।

घर में जूते चप्‍पल बिखेेरकर रखना शनि को खराब करता है। जिन जातकों की कुण्‍डली में चंद्रमा खराब हो अथवा शनि से प्रभावित हो या शनि चंद्रमा की युति यानी पुनरफू हो, उनके घर में बिखरे हुए जूतेे चप्‍पल आसानी से दिखाई दे सकते हैं। अगर शनि केे कारण हो रही अव्‍यवस्‍था से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने घर में जूते चप्‍पलों को व्‍यवस्थित रखना शुरू कीजिए। इससे अकारण परेशान कर रहे लोगों की आमद रुकेगी, वहीं शत्रुओं के कारण हो रही परेशानी पर भी लगाम लगेगी।

कुण्‍डली का बारहवां भाव शैय्या सुख और व्‍यय दोनों का होता है। अगर आपका बिस्‍तर आपके उठने के बाद भी बिखरा रहता है, तो आपका खर्च भी अनपेक्षित रूप से बढ़ा हुआ रहेगा। आमदनी अठन्‍नी और खर्च रुपैय्या वाली स्थिति से गुजर रहे हैं तो पहले अपना बिस्‍तर संभालिए। अगर रोजाना उठने के साथ ही अपने बिस्‍तर को आप व्‍यवस्थित कर लेते हैं तो अपने खर्च पर नियंत्रण की रूपरेखा भी आप उसी समय बना लेते हैं। कुण्‍डली का हर भाव अपने आप में आपकी आदतों को किसी न किसी रूप में व्‍यक्‍त करता ही है। अगर आप उन पर सावधानी से ध्‍यान देंगे तो ग्रहों के असर पर भी प्रभावी नियंत्रण कर पाएंगे।

घर की समृद्धि के लिए दो चीजें बहुत जरूरी है, कबाड़ का निस्‍तारण और घर में नई वस्‍तुओं का आना। अगर आप रोजाना खाली हाथ घर आते हैं तो अपने साथ दरिद्रता लेकर घर में घुसते हैं। अगर कुछ लेकर आते हैं तो वह आपके परिवार की समृद्धि बढ़ाती है। ऐसे में भले ही फल सब्‍जी लेकर घर पहुंचे, लेकिन कुछ न कुछ लेकर ही घर में आएं। अगर कुछ भी नहीं ले पाए हैं तो नुक्‍कड़ की दुकान से बच्‍चों के लिए टॉफी बिस्किट ही ले आएं, लेकिन घर खाली हाथ न लौंटें। इसी प्रकार घर में बिना काम की जितनी वस्‍तुएं होंगी, आपके तनाव का स्‍तर उतना ही बढ़ता जाएगा, ऐसे में नियमित अंतराल में घर के कबाड़ का निस्‍तारण करते रहें।

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ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी भारत के शीर्ष ज्‍योतिषियों में से एक हैं। मूलत: पाराशर ज्‍योतिष और कृष्‍णामूर्ति पद्धति के जरिए फलादेश देते हैं। आमजन को समझ आ सकने वाले सरल अंदाज में लिखे ज्योतिषीय लेखों का संग्रह ज्‍योतिष दर्शन पुस्‍तक के रूप में आ चुका है। मोबाइल नम्‍बर 09413156400 (प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक उपलब्‍ध)