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केमद्रुम योग को क्षीण करता है केमद्रुम यंत्र | Kemdrum Yantra is remedy for Kemdrum Yog

केमद्रुम योग को क्षीण करता है केमद्रुम यंत्र | Kemdrum Yantra is remedy for Kemdrum Yog
केमद्रुम योग को क्षीण करता है केमद्रुम यंत्र | Kemdrum Yantra is remedy for Kemdrum Yog

केमद्रुम योग को क्षीण करता है केमद्रुम यंत्र

Kemdrum Yantra is remedy for Kemdrum Yog


ज्योतिष शास्त्र में केमद्रुम योग को काफी महत्त्व दिया गया है. केमद्रुम योग को सामान्य बोलचाल की भाषा में दरिद्र योग भी कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी जातक की कुंडली में केमद्रुम योग पड़ जाता है तो ऐसा जातक अपने जीवन में आर्थिक क्षेत्र में प्राय: विपन्न ही रहता है. इस योग का प्रत्यक्ष प्रभाव जातक के जीवन पर देखने को मिलता है.

कैसे बनता है यह योग

जब किसी जातक की जन्म कुंडली में चन्द्रमा से द्वितीय एवं द्वादश भाव में सूर्य, राहू व केतु को छोड़ कर अन्य एक भी ग्रह न हो तो केमद्रुम योग का निर्माण हो जाता है. सूर्य, राहू, एवं केतु के चन्द्रमा के आगे पीछे भाव में आ जाने से गणना नही होती. मतलब है कि यदि ये ग्रह चन्द्र के पहले और बाद के भाव में आ जाएं तो भी केमद्रुम योग बन जाता है. ऐसे में यह योग अत्यंत प्रभावी हो जाता है. अगर कहीं चन्द्र के साथ रहू या केतु आ जाते हैं तो ऐसा योग अत्यंत अशुभकारी परिणाम देता है.

अशुभ प्रभाव

केमद्रुम योग के कारण जातक को जीवन में भरी कठिनाइयों व असफलता का सामना करना पड़ता है. अत्यधिक परिश्रम के बाद भी उसका फल नहीं मिलता है. योजनायें आधी अधूरी रह जाती हैं। घर-परिवार में सुख-शांति का अभाव रहता है तो धनाभाव हमेशा बना रहता है. केमद्रुम योग केवल धन के मामले में ही दरिद्र नहीं रखता, अपितु सभी मामलों में जातक पिछड़ता रहता है. कई जातकों को इसके दुष्परिणाम प्रेम संबंध, दाम्पत्य जीवन, कैरियर, व्यापार आदि मामले में भी मिलते रहते हैं.

केमद्रुम भंग योग

कुछ ग्रंथों में केमद्रुम भंग योग के बारे में भी बताया गया है. अगर जातक की कुंडली मैं इस योग के साथ ही चन्द्र से केंद्र मैं गुरु आ जाये तो ये लोग भंग मन जाता है. यदि चन्द्र के द्वितीय और द्वादश भाव मैं सूर्य, रहू, केतु के अलावा अन्य गृह हों तो ये योग भंग हो जाता है. यदि चन्द्र पर शुभ ग्रहों की द्रष्टि हो तो भी ये योग भंग मन जाता है. यदि शुभ द्रष्टि हो तो शुभ फल मिलते हैं और अशुभ द्रष्टि हो तो शुभ फल मिलते हैं.

शांति उपाय

केमद्रुम योग की शांति करा लेने से इसके पीड़ादायी फलों मैं विशेष कमी आ जाती है. यह अनुभूत है और सैकड़ों जातकों मैं इसके दुष्प्रभाव दूर होते देखे गए हैं. इसका दोष दूर करने के लिए जातक को इसका यन्त्र धारण करना चाहिए.

जो विशेष प्रकार से निर्मित किया जाता है. इसका यन्त्र भोज पत्र, चंडी या स्वर्ण पत्र पर उकेरा जाता है और सिद्ध करके जातक धारण कराया जाता है. किस जातक को कौन सा यन्त्र फायदा देगा, यह उसकी कुंडली देख कर पता चलता है. यन्त्र धारण करने से पहले विधिवत योग व् मुहूर्त मैं पूजा करके और ब्राह्मण को भोजन व् दक्षिणा देने के बाद गले मैं धरान करना चाहिए. इस यन्त्र का प्रयोग अब तक सकदों लोगों पर किया गया है. और इसके शत प्रतिशत सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं.

दरिद्रता दूर करने के कई और भी अनुभूत उपाय भी हैं. अगर जातक की कुंडली मैं केमद्रुम योग है अथवा अन्य अशुभ योगों का निर्माण हो रहा है तो शुक्ल पक्ष मैं उत्पन्न होने वाले जातकों को भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए. ऐसे लोगों को सत्य नारायण की कथा करनी चाहिए या उसका श्रवण करना चाहिए. ऐसा करने से धीरे धीरे दरिद्रता दूर होने लगती है. कृष्णा पक्ष मैं जन्म लेने वाले जातकों को शिव आराधना मैं मन लगाना चाहिए.

इनके लिए किसी योग्य पंडित से रुद्राभिषेक कराना बेहद शुभ फल देता है. सावन भादों के सोमवार मैं चमक-नमक की रुद्री व् अभिषेक जरूर कराना चाहिए. ऐसे जातकों को शिव स्त्रोत का पथ अथवा रुद्राष्टक नियमित रूप से करना चाहिए. देखा गया है की दरिद्र योग वाले जातक यदि संपन्न परिवार मैं जन्म लें तो भी अपने भाई-बहनों से तरक्की मैं पिच्काद जाते हैं. जबकि माध्यम व् निम्न मध्य वर्गीय परिवार वाले जातक अधिक परेशान रहते हैं. मानसिक चिंताएं, संताप, गृह क्लेश, आर्थिक तंगी उन्हें घेरे रहती है.

किस जातक को कौन सा यन्त्र

कृष्ण पक्ष मैं जन्म लेने वाले जातकों के यदि केमद्रुम योग योग है तो उन्हें चन्द्र और शुक्र यन्त्र धारण कराना चाहिए. यन्त्र के एक ओर चन्द्र और दूसरी ओर शुक्र का यन्त्र उकेरा जाता है. शुक्ल पक्ष मैं जन्म लेने वालों को चन्द्र-गुरु का यन्त्र पहनाया जाता है. यन्त्र धारण करने से पहले इसका विधिवत पूजन किया जाता है और पूर्णिमा की रात को पहना जाता है. यह विधि आप के पी एस्ट्रो साइंस के पंडितों से पूछ सकते हैं.

शालिनी द्विवेदी