प्रश्न कुंडली से देख लें आरोग्य
एक युवा ज्योतिषी मित्र बीमार हैं। सीने में दर्द की शिकायत है और अस्पताल में हार्ट अटैक का इलाज हुआ है। डाक्टर ह्रदय रोग संबंधी उपचार कर रहें हैं। आज शाम उनसे मिलने गया। स्वाभाविक रूप से ईश्वर से प्रार्थना की कि जल्दी से स्वस्थ हो जाएं। घर आकर प्रश्न कुंडली बनायी।
तारीखः 3-2-1982
समयः 17-45 बजे
अक्षांश-रेखांशः 20N46, 72E58
स्थानः बिलमोरा
सूत्र है कि लग्न सम राशि का हो सम नवमांश हो तो जीवन की चिंता बिलकुल स्पष्ट है। यहां सवाल रोग दूर होने का है। शास्त्रों में कहा गया है कि-
वृष सिंह वृश्चिक: घटै: ही वृद्धि स्थानं गमगमो नस्त:।
न मृतं न चापि नष्टं न रोगशान्ति: न चाभिभव:।।
अर्थात प्रश्न लग्न यदि स्थिर हो तो रोग की शांति नहीं होती है। मगर यहां प्रश्न लग्न चर राशि का है। इसके लिए श्रीपृथु यशजी कहते हैं कि “तद् विपरीतम्” अर्थात् रोग शांति के प्रश्न में चर लग्न हो तो रोग शांत हो जाएगा। प्रश्न चर लग्न कर्क का चतुर्थ चर नवमांश तुला है। यह देखते ही मन खुश हुआ कि कोई बात नहीं, सब कुछ ठीक हो जायेगा।
लग्नेश चन्द्र अपनी उच्च राशि वृषभ में लाभ भाव में है। लाभेश शुक्र लग्न को देख रहा है। प्रश्न सिद्धि बिलकुल स्पष्ट है। ईश्वर कृपा से ज्योतिषी मित्र को त्वरित लाभ मिलने लगा और चार दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई। इस विषय में समयावधि भी जांच लेते हैं। यहां दो योग महत्वपूर्ण हैं।
(अ) प्रश्न लग्न कर्क के 12 अंश के करीब है और लग्नेश चन्द्र वृषभ में 16 अंश के करीब है, यानि (चार दिन में) शुभ त्रि-एकादश योग होने जा रहा है और
(ब) सूर्य मकर में 21 अंश के करीब है और योगकारक मंगल कन्या में 24 अंश के करीब है। यानि (तीन दिन में) शुभ त्रिकोण योग होने जा रहा है। अंशात्मक योग प्रश्न सिद्धि/फल प्राप्ति समय निर्धारण करने में बहुत ही महत्वपूर्ण है। परिणामस्वरुप मेरे मित्र सिर्फ चार दिन के बाद अस्पताल से घर आ गये।
पाश्चात्य ज्योतिष में अंशात्मक/कोणीय अंतर से शुभाशुभ फल प्राप्ति समय की एक व्यवस्था (direction and progression) में गणित भी जटिल होता है। हम सिम्पल सिस्टम उपयोग करते हैं, जिसमें सूर्य की दैनिक मध्यम गति 1 अंश= एक वर्ष और चन्द्र की मध्यम दैनिक गति 12 अंश=एक वर्ष (12 महीने) और 1 अंश=एक महrना माना जाता है। मगर प्रश्न में ज्यादातर लम्बी कालावधि नहीं होती, इसलिए विवेक, बुद्धि और प्रेरणा से काम लेना होता है।
इसी तरह एक और उदाहरण देखते हैं
तारीखः 5-2-1982
समयः9-25 सुबह
अक्षांश-रेखांशः 20N46,72E58
स्थानः बिलमोरा
एक 65/70 साल के बीमार व्यक्ति के रिश्तेदार ने प्रश्न किया कि हमारे चाचा कुछ दिनों से बीमार हैं, क्या वह ठीक हो पाएंगे। कब तक बीमारी रहेगी।
हमें प्रश्न करने वाले के मनोभाव का पता चल गया कि यह आदमी कहता कुछ ओर चाहता कुछ और ही है। प्रश्न कर्ता की लालसा बीमार की घर संपत्ति आदि के लिए ही थी। मनोभाव तो “यह बुड्ढा कब मरेगा?” यह दर्शा रहे थे। इसे एक कपट प्रश्न भी कह सकते हैं। चन्द्र (मन) चतुर्थ भाव (मन) में राहू के साथ है और शनि से दृष्ट भी है और शनि व बुध का परिवर्तन योग भी कपट योग दर्शा रहा है और प्रश्नकर्ता झूठ बोल रहा है यह भी संकेत मिल रहा है।
प्रश्न लग्न मीन 2-11 यानि सम राशि प्रथम नवमांश है, जो जीवन की चिंता का संकेत कर रहा है। श्री भट्टोत्पल के मतानुसार द्विस्वभाव राशि के पूर्वार्ध 15 अंश तक चर समान और उत्तरार्ध 16 से 30 अंश तक स्थिर समान फलदाता है। लग्न मीन के 2-11 डिग्री पर है, इसका मतलब है कि चर समान है, इसलिए रोग शांत नहीं होगा और जीवन मरण के सवाल में मृत्यु सूचक है। लग्नेश गुरु अष्टम मृत्यु के भावमें है।
प्रश्नकर्ता की इच्छापूर्ति लाभेश शनि, मीन लग्न के मारक और बाधक सातवें भाव में है और लग्न को देखता भी है। साथ मे द्वितीयेश मगल भी शामिल है। मतलब साफ़ है कि बीमार चाचा बचेगा नहीं।
अब फल प्राप्ति के समय के लिए अंशात्मक योग देखें। कोई भी प्रश्न का अंततोगत्वा परिणाम चतुर्थ भाव से देखा जा सकता है और ऐसे भी चतुर्थ भाव जीवन का अंत (मोक्ष त्रिकोण) सूचक भी है। चन्द्र मिथुन में 9.54 डिग्री पर है। राहु मिथुन में 27.49 और शनि कन्या में 28.43 डिग्री पर है।
मतलब चन्द्र 18 अंश आगे चलकर राहु से युति करेगा और 19 अंश आगे चलकर शनि से अशुभ केंद्र योग करेगा, अर्थात् 18 या 19 वे दिन प्रश्नकर्ता का हेतु सिद्ध हो सकता है। ऐसा ही हुआ। सच मे उन्नीसवे सूर्योदय से पहले उस बीमार चाचा का देहांत हो गया। हरि ॐ।।
लेखक – प्रबोध पुरोहित