astrology yogas which are proven correct most of the time
ज्योतिष अध्ययन के दौरान पढ़ने का तरीका भले ही परम्परागत हो लेकिन नाड़ी की तर्ज पर कुछ योग ऐसे भी बने जो वर्तमान दौर में अधिकांशत: ठीक बैठते हैं। इनके आधार पर विश्लेषण और फलादेश किया जाए तो उनके सटीक होने की संभावना बढ़ती है। हमारे ग्रुप में हर एक के पास खुद के नोट्स हैं जिनमें इस प्रकार के अनुभूत और सिद्ध योगों को समेटा गया है। अपनी डायरी के पन्नों में अलग-अलग बिखरे हुए कुछ योगों को यहां समेटने का प्रयास कर रहा हूं।
– फुटबॉल और क्रिकेट के खेल में मैच से पूर्व किसी जातक द्वारा सवाल पूछा जाने पर जिस टीम का नाम पहले आए उसे लग्न बना दो और दूसरी टीम को सातवें भाव का आधिपत्य दे दो। इससे दोनों टीमों की कुण्डलियां बन जाएंगी। पहली टीम के पांचवे भाव से टॉस का निर्णय होगा और ग्यारहवें भाव से होने वाले गोल की संख्या या पहली बारी में बनने वाले रनों की संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है। फुटबाल वर्ड कप में यह प्रयोग बहुत सफल रहा था। बाद में इसे क्रिकेट पर भी लगाकर देख चुका हूं। बहुत करीबी फलादेश आते हैं।
– जो ग्रह दशानाथ के नक्षत्र में स्थित होता है वह अपने भाव और राशि के अनुसार दशानाथ के साथ मिलकर किसी दशा का परिणाम देता है।
– पाराशर की मानें तो दशा की तुलना में अंतरदशा अधिक सूक्ष्म विश्लेषण पेश करती है। इसी की तर्ज पर कहा जा सकता है कि किसी राशि में बैठे ग्रह की तुलना में यह देखना अधिक सटीक होगा कि ग्रह किस नक्षत्र में स्थित है।
– केतू की दशा में शनि और शनि की दशा में केतू हमेशा खराब परिणाम ही देंगे। चाहे ये किसी भी राशि या भाव में क्यों न हो। ऐसा ही फलादेश चंद्रमा और राहु के लिए भी होना चाहिए।
– शेयर और सट्टे में मूल अन्तर यह है कि शेयर में पैसा लगाने के बाद जातक के हाथ में कुछ बचा रहता है। यह पूर्णतया तरल न भी हो तो इसका कुछ हिस्सा तरल होने की क्षमता रखने वाला होता है वहीं दूसरी ओर सट्टा एक साथ लगता है और पूरे पैसे लगते हैं। यानि सीधा हार जीत का सौदा होता है। शेयर में नुकसान की सीमा आंशिक से अधिकतम तक होती है वहीं सट्टे में सौ प्रतिशत लाभ या हानि होते हैं। इसलिए दोनों के लिए कारक और ग्रह स्थितियां अलग-अलग होंगे
– आठवां भाव ऑपरेट होने वाला हो और कुण्डली में अप्रत्याशित लाभ के योग भी हों तो पूरी तैयारी के साथ शेयरों की खरीद की जा सकती है। आठवां भाव अपना समय आते ही उम्मीद से ज्यादा लाभ दिला सकता है।
– भौतिक संयोग फलादेश में कुण्डली पठन और सामुद्रिक के बराबर भूमिका का निर्वहन करते हैं। इन्हें ओमेन से समझा जा सकता है।
– मूक प्रश्न में चंद्रमा जिस भाव में सवाल उसी के संबंध में होता है। और यदि ज्योतिषी अपनी मर्जी से जातक के बताने से पहले प्रश्न का उत्तर देना चाहता है तो जातक के आने के समय जहां लग्नेश होगा प्रश्न भी उसी से संबंधित होगा। अन्यथा लग्न अथवा चंद्रमा में से जो अधिक शक्तिशाली हो वहां से फलादेश देना उत्तम रहेगा।
– राहु ऐसा ग्रह है जो कुण्डली में बद होने के साथ ही जातक को गंदे पानी के पास ला बैठाता है। राहु का प्रभाव अधिक होने पर जातक अपना कमरा भी दक्षिणी पश्चिमी कोने में शिफ्ट कर लेता है।
– राहु का उत्तम प्रभाव ऐसा होता है कि जातक अठारह साल की दशा के दौरान संयुक्त परिवार में रहता है। बाग बगीचे लगाता है और लगातार अपना विकास करता है लेकिन दिमागी फितूर का दौर तो फिर भी जारी रहता है।
– कुण्डली में कहीं भी सूर्य और केतू की युति हो तो जातक आदतन झूठ बोलने वाला होता है। यह मेरा अनुभूत योग है। मैं इस योग को आंकने से चूकने की गलती दो बार कर चुका हूं। इसका मुझे दुष्परिणाम भी भोगना पड़ा। मैं यह नहीं कहता कि ये लोग अपने लाभ के लिए झूठे होते हैं। ये यों ही झूठ बोल देते हैं बिना किसी कारण के। कई बार जब स्पष्ट झूठ बोल रहे होते हैं तो पकड़े जाने के बावजूद ढिठाई से अपने झूठ के साथ चिपके रहते हैं। इन लोगों के चेहरे पर मैंने तो कभी शिकन भी नहीं देखी।