स्त्री की सुंदरता (Beautiful Women) : ज्योतिषीय दृष्टिकोण
स्त्री की सुंदरता (Beautiful Women) को लेकर ज्योतिष में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है। तरुणाई से निकलकर यौवन में प्रवेश करते समय हर आदमी के दिमाग में होता है कि कौनसी लडकी उसकी जिंदगी में आएगी और कैसी होगी।
कौनसी लडकी आएगी यह तो ब्रह्मा ही निर्धारित करते हैं लेकिन दिखने में कैसी होनी चाहिए इस बारे में ज्योतिष ग्रंथों में काफी लिखा गया है।
एक पुस्तक विवाह ज्योतिष में तो बाकायदा वर्णन किया गया है कि एक व्यक्ति को अपने पुत्र के लिए कैसी कन्या का चुनाव करना चाहिए। इस वर्णन से पूर्व बताया गया है कि पांच सयाने व्यक्तियों में एक लडके का पिता, एक कुलगुरु, एक समाज का आदमी, एक परिवार का बुजुर्ग और एक वृद्ध आदमी स्त्री को देखने के लिए जाते हैं। कन्या को सिर से पांव तक देखा जाता है। पांव के तलुए से लेकर सिर के बालों तक का अलग-अलग भागों में वर्णन किया गया है।
स्त्री सौन्दर्य (Beautiful Women) और पैर
तलवे बिल्कुल चिकने, मुलायम, पूर्ण विकसित और गुलाबी रंग के हों। स्वास्तिक, कमल, ध्वजा जैसे शुभ निशान औरत को राजयोग दिलाते हैं। पांव के नाखून भी गदराए हुए और सीधे हों। नाखून में गुलाबी रंगत का अहसास होना चाहिए।
अंगूठा गोल, चिकना, पूर्ण विकसित होना चाहिए। पांव की अंगुलियों और अंगूठे में स्वाभाविक उभार होना चाहिए। अगर कन्या चलते समय मिट्टी को ऊपर की ओर उडाती है तो पिता, पति अथवा माता के परिवार को कष्ट देने वाली होती है। तलवों के ऊपर का हिस्सा सीधा और बिना बालों का होना चाहिए।
ऐडी
ऐडी को मैने पांव से अलग लिखना ठीक समझा क्योंकि एडी स्त्री के गुप्तांग का वर्णन करती है। किसी स्त्री की एडी गोल, गदराई हुई और सुंदर हो तो उसके गुप्तांग भी बिल्कुल सही काम करने वाले होते हैं।
नाभि बिल्कुल सीधी और पर्याप्त गहराई पर होनी चाहिए। पेट और कमर पर बाल नहीं होने चाहिए। नितंब भारी और गोलाई लिए हों। छाती और स्तनों पर बाल नहीं होने चाहिए। कंधे सीधे और ऊपर की ओर उठे हुए हों।
अंगुलियों के नाखूनों पर किसी प्रकार का दाग अथवा लहसुन का निशान नहीं होना चाहिए। बाल गहरे काले और लम्बे हों। दांत लम्बे हों और मसूडे दिखाई नहीं देते हों। मुस्कुराने पर मसूडे दिखाई दें तो स्त्री भाग्यहीन होती है। आंखें काली और उभरी हुई हों। ललाट उभरा हुआ और ऊपर की ओर उठा हुआ होना चाहिए। होंठ लाल हों।
रंगों की चर्चा
इस सबके दौरान भी स्त्री के रंग पर कहीं भी चर्चा नहीं की गई है। यह बात गौर करने वाली है। ललासी का तो ध्यान रखा गया है लेकिन रंग का नहीं।यानि स्त्री किसी भी रंग की हो काली या गोरी वह अच्छे लक्षणों से युक्त हो सकती है। आवाज के बारे में अलग स्थानों पर दिया गया है लेकिन आवाज से केवल व्यक्ति के व्यक्तित्व और रोग के बारे में जानकारी मिलती है भाग्य के बारे में नहीं। यह लक्षण कुंवारी कन्याओं में देखे जाते हैं। विवाह होने के बाद स्त्रियों में काफी बदलाव आ जाते हैं।