कुंडली के विभिन्न भावों के कारक (भाव कारकत्व)
Karaka of houses in Kundli (Bhav Karak)
कारक विचार फलादेश की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। कई बार जातक जब समस्या बताता है तो नए ज्योतिषियों को पता ही नहीं चलता है कि इसे किस भाव या ग्रह से देखें। ऐसे में जितने कारक फौरी तौर पर ध्यान में होते हैं, उन्हीं के अनुसार ज्योतिषी निष्कर्ष पेश करने की कोशिश करते हैं। कई बार तो यह भी स्पष्ट नहीं हो पाता है कि सवाल का जवाब कुण्डली में कहां खोजा जाए। ऐसे में हमें भाव कारक (bhav karak) ही बताते हैं कि किस सवाल का जवाब कहां खोजा जाए। इसमें जो पुस्तक मुझे सबसे सहायक लगी वह थी हेमवंता नेमासा काटवे।
उनकी कारकत्व विचार पुस्तक में इतने कारक दिए गए हैं कि लगता है कि हर सवाल का जवाब दिया जा सकता है। काटवे के बाद केएस कृष्णामूर्ति की सैकण्ड रीडर पढ़ने के बाद तो लगा कि हर सवाल का जवाब ज्योतिष से दिया जा सकता है, बशर्ते आप कारकत्व के बारे में विस्तार से जानते हों। यहां मैं भावों के कारकों के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूं।
प्रथम भाव के कारक – इस भाव का कारक सूर्य है। यह सबसे प्रमुख भाव है। इसी भाव की राशि, इसमें बैठे ग्रह और इसके अधिपति ग्रह की स्थिति से जातक की स्थिति की प्राथमिक जानकारी मिल जाती है। बाकी भावों की तुलना में जातक की आत्मा को जानने का यह सबसे महत्वपूर्ण भाव है। जातक की जन्मकुण्डली अथवा प्रश्नकुण्डली के किसी सवाल के जवाब में उसके स्वास्थ्य, जीवंतता, सामूहिकता, व्यक्तित्व, आत्मविश्वास, आत्मसम्मान, आत्मप्रकाश, आत्मा आदि को देखा जाता है। हर सवाल के जवाब में पहले लग्न देखना ही होगा।
1st House Karak – Sun. Health, vitality, integrity, personality, integration, confidence, healthy self-esteem, self-expression, soul radiance.
दूसरे भाव के कारक – इस भाव का कारक गुरु है। वैदिक ज्योतिष में इसे धन भाव कहा जाता है। इससे बैंक एकाउण्ट, पारिवारिक पृष्ठभूमि, कई मामलों में आंखें देखी जाती है। इसके अलावा यह संसाधन, नैतिक मूल्य और गुणों के बारे में बताता है।
2nd House Karak – Jupiter. Abundance of resources, values and virtues.
तीसरे भाव के कारक – इस भाव का कारक मंगल है। इसे सहज भाव भी कहते हैं। कुण्डली को ताकत देने वाला भाव यही है। इसे आमतौर पर अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन भाग्य के ठीक विपरीत अपनी बाजुओं की ताकत से कुछ कर दिखाने वाले लोगों का यह भाव बहुत शक्तिशाली होता है। बौद्धिक विकास, साहसी विचार, दमदार आवाज, प्रभावी भाषण एवं संप्रेषण के अन्य तरीके इस भाव से देखे जाएंगे। छोटे भाई के लिए भी इसी भाव को देखा जाएगा।
3rd House Karak – Mars. Strong development of mind, bold constructive ideas, strong healthy voice, influential oratory and other communication.
चौथे भाव के कारक – इसका कारक चंद्रमा है। यह सुख का घर है। किसी के घर में कितनी शांति है इस भाव से पता चलेगा। इसके अलावा माता के स्वास्थ्य और घर कब बनेगा जैसे सवालों में यह भाव प्रबल संकेत देता है। शांति देने वाला घर, सुरक्षा की भावना, भावनात्मक शांति, पारिवारिक प्रेम जैसे बिंदुओं के लिए हमें चौथा भाव देखना होगा।
4th House Karak – Moon. Peaceful home, sense of safety and security, emotional peace of mind, unconditional love in the family.
पांचवे भाव के कारक – इसका कारक गुरु है। इसे प्रॉडक्शन हाउस भी कह सकते हैं। इंसान क्या पैदा करता है, वह इसी भाव से आएगा। इसमें शिष्य, पुत्र और पेटेंट वाली खोजें तक शामिल हो सकती हैं। ईमानदारी से की गई रिसर्च भी इसी से देखी जाएगी। ईमानदारी से मेरा अर्थ है ऐसी रिसर्च जिससे विद्यार्थी अथवा विषय के लिए कुछ नया निकलकर आ रहा हो। इसके अलावा आनन्दपूर्ण सृजन, सुखी बच्चे, सफलता, निवेश, जीवन का आनन्द, सत्कर्म जैसे बिंदुओं को जानने के लिए इस भाव को देखना जरूरी है।
5th House Karak – Jupiter. Joyful creation, blessed children, successful, investment. Joy in life, grounded in spiritual consciousness and devotion, and good karma naturally flowing from that.
छठे भाव के कारक – इस भाव का कारक मंगल है। इसे रोग का घर भी कहते हैं। प्रेम के सातवें घर से बारहवां यानि खर्च का घर है। शत्रु और शत्रुता भी इसी भाव से देखे जाते हैं। कठोर परिश्रम, सश्रम आजीविका, स्वास्थ्य, घाव, रक्तस्राव, दाह, सर्जरी, डिप्रेशन, उम्र चढ़ना, कसरत, नियमित कार्यक्रम के सम्बन्ध में यह भाव संकेत देता है।
6th House Karak – Mars, Saturn. Hard work, application of self in service to worthy causes. In health, Mars and Saturn are first-class malefics, fostering wounding, bleeding, inflammation, surgery, (Mars) and inertia, depression, losses, and aging (Saturn). Exercise, work, austerities, regular program or lifestyle, taking the long view to do what will maintain health over the lifetime are positive uses of Mars and Saturn in the 6th house.
सातवें भाव के कारक – इसका कारक शुक्र है। लग्न को देखने वाला यह भाव किसी भी तरह के साथी के बारे में बताता है। राह में साथ जा रहे दो लोगों के लिए, प्रेक्टिकल के लिए टेबल शेयर कर रहे दो विद्यार्थियों के लिए, एक ही समस्या में घिरे दो साथ-साथ बने हुए लोगों के लिए यह भाव देखा जाएगा। जीवनसाथी, करीबी दोस्त, सुंदरता, लावण्य जैसे विषय इसी भाव से जुड़े हुए हैं। सभी विपरीत लिंग वालों के लिए। समलैंगिकों को कैसे देखेंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कभी ऐसी कुण्डली आती है तो मैं दोनों का सातवां भाव ही देखने का प्रयास करूंगा।
7th House Karak – Venus. We desire peaceful relations with all, especially with significant others, a life full of love and affection, sattvic and full of goodness, beauty, graciousness.
आठवें भाव के कारक – इसका कारक शनि है। स्वाभाविक रूप से गुप्त क्रियाओं, अनसुलझे मामलों, आयु, धीमी गति के काम इससे देखे जाएंगे। इसके अलावा दूसरे के संसाधनों का सृजन में इस्तेमाल, जिंदगी की जमीनी सच्चाइयां, तंत्र-मंत्र के लिए यही भाव है।
8th House Karak – Saturn. Conservative use of other’s resources. Serious attitude to plumb the depths of reality. Conservative use of reproductive resources or ojas. Practice of yoga and austerities.
नौंवें भाव के कारक – इसका कारक भी गुरु है। इसे भाग्य भाव भी कहते हैं। पिछले जन्म में किए गए सत्कर्म प्रारब्ध के साथ जुड़कर इस जन्म में आते हैं। यह भाव हमें बताता है कि हमारी मेहनत और अपेक्षा से अधिक कब और कितना मिल सकता है। धर्म, अध्यात्म, समर्पण, आशीर्वाद, बौद्धिक विकास, सच्चाई से प्रेम, मार्गदर्शक जैसे गुणों को भी इसमें देखा जाता है।
9th House Karak – Jupiter. Religious-spiritual experience, realization, and devotion. Love of God as a foundation for life and blessings all around. vision, perspective, increase in wisdom, compassion, love of truth. Spiritual teacher (guru) and spiritual teachings and path shown by the 9th house.
दसवें भाव के कारक – इसके कारक ग्रह अधिक हैं। गुरु, सूर्य, बुध और शनि के पास दसवें घर का कारकत्व है। हम जो सोचते हैं वही बनते हैं। यह भाव हमारी सोच को कर्म में बदलने वाला भाव है। हर तरह का कर्म दसवें भाव से प्रेरित होगा। बस बाध्यता इतनी है कि एक्शन हमारा होना चाहिए। रिएक्शन के बारे में यह भाव नहीं बताता। प्रोफेशनल सफलताएं, साख, प्रसिद्धि, नेतृत्व, लेखन, भाषण, सफल संगठन, प्रशासन, स्किल बांटना जैसे काम यह भाव बताता है।
10th House Karak – Jupiter, Sun, Mercury, Saturn. Professional success, good reputation based on virtue, fame, leadership (Jupiter, Sun). Success in commerce, writing, speaking (Mercury). Successful organization, administration, teaching essentials, sharing expertise and wisdom of experience (Saturn). Jupiter shows the spiritual basis for worldly success – doing well by doing good.
ग्यारहवें भाव के कारक – इसका कारक भी गुरु है। यह ज्यादातर उपलब्धि से जुड़ा भाव है। आय, प्रसिद्ध, मान सम्मान और शुभकामनाएं तक यह भाव एकत्रित करता है। हम कुछ करेंगे तो उस कर्म का कितना फल मिलेगा या नहीं मिलेगा, यह भाव अधिक स्पष्ट करता है। यह कर्म का संग्रह भाव है। उपलब्धि किसी भी क्षेत्र में हो सकती है। धैर्य, विकास और सफलता भी इसी भाव से देखे जाते हैं।
11th House Karak – Jupiter. Success in achieving goals and dreams. Success in friendships, in groups and community. Broad vision of well-being, tolerance, diversity, generosity for the common good. Jupiter again shows the spiritual basis for life success and flourishing community.
बारहवें भाव के कारक – इसका कारक शनि है। यह खर्च का घर है। हर तरह का खर्च, शारीरिक, मानसिक, धन और जो भी खर्च हो सकते हैं सभी इसी से आएंगे। विद्या का खर्च भी इसी भाव से होता है। इस कारण बारहवें भाव में बैठा गुरु बेहतर होता है ग्यारहवें भाव की तुलना में क्योंकि सरस्वती की उल्टी चाल होती है, जितना संग्रह करेंगे उतनी कम होगी और जितना खर्च करेंगे उतनी बढ़ेगी। इसके अलावा बाहरी सम्बन्धों, विदेश यात्रा, धैर्य, ध्यान और मोक्ष इस भाव से देखे जाएंगे।
12th House Karak – Saturn. The benefits of solitude and the contemplative life. Esoteric or metaphysical studies. Patience, depth, application of self over time. Meditation, contemplation, study of scriptures, initiation, effective therapy, excellent listening. Seeking the truth on all levels. Karma from truth or falsity, sincerity or insincerity, application of self or not, depth or lack of it, character or lack of it, justice or injustice – Saturn weighs and sifts all of that. Completions. Moksha or liberation.
जातक कुण्डली और प्रश्न कुण्डली में ये कारक एक जैसे उपयोग में लिए जा सकते हैं। भले ही सामान्य जातकों के लिए ये कारक इतने उपयोगी सिद्ध ना हों, लेकिन ज्योतिष के शौकीन और अध्ययन करने वाले साधकों के लिए कारकों का यह कंपाइलेशन निश्चय ही उपयोगी साबित होगा।