Home Planet बुध के जन्‍म की कहानी (Budh)

बुध के जन्‍म की कहानी (Budh)

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ग्रहों से जुड़ी कई मिथकीय कथाएं भी जहां तहां मिलती हैं। हालांकि इन कथाओं को हम अपने आस पास के जीवन से सीधा नहीं जोड़ सकते, परंतु ज्‍योतिषीय कोण से ग्रह को समझने के लिए ये कहानियां बहुत उपयोगी सिद्ध होती हैं। ऐसी ही कहानी है बुध के जन्‍म की कहानी।

दरअसल यह पूरी कहानी ही अपने आप में एक रूपक है। आप देखेंगे कि कहानी के भीतर ही हमें बुध (Budh) की कार्यप्रणाली, अन्‍य ग्रहों से उसके संबंध, मित्रता, शत्रुता आदि गुणों के बारे में आसानी से सीख पाते हैं।

देवताओं के गुरू बृहस्‍पति द्विस्‍वभाव राशियों के अधिपति हैं। इस कारण उनमें भी दोगले स्‍वभाव की अधिकता रहती है। एक दिन बृहस्‍पति की इच्‍छा हुई कि वे स्‍त्री बनें। वे ब्रह्मा के पास पहुंचे और उन्‍हें अपनी इच्‍छा बताई। सर्वज्ञाता ब्रह्मा ने उन्‍हें मना किया। ब्रह्मा ने कहा कि तुम समस्‍या में पड जाओगे लेकिन बृह‍स्‍पति ने जिद पकड ली तो ब्रह्मा ने उन्‍हें स्‍त्री बना दिया।

रूपमती स्‍त्री बने घूम रहे गुरू पर नीच के चंद्रमा की नजर पडी और चंद्रमा ने गुरू का बलात्‍कार कर दिया। गुरू हैरान कि अब क्‍या किया जाए। वे ब्रह्मा के पास गए तो उन्‍होंने कहा कि अब तो तुम्‍हे नौ महीने तक स्‍त्री के ही रूप में रहना पडेगा। गुरू दुखी हो गए। जैसे-तैसे नौ महीने बीते और बुध पैदा हुए। बुध के पैदा होते ही गुरू ने स्‍त्री का रूप त्‍यागा और फिर से पुरुष बन गए। जबरन आई संतान को भी उन्‍होंने नहीं सभाला।

ऐसे में बुध बिना मां और बिना बाप के अनाथ हो गए। प्रकृति ने बुध को अपनाया और धीरे-धीरे बुध बडे होने लगे। बुध को अकेला पाकर उनके साथ राहु और शनि जैसे बुरे मित्र जुड गए। बुरे मित्रों की संगत मे बुध भी बुरे काम करने लगे। इस दौरान बुध का सम्‍पर्क शुक्र से हुआ। शुक्र ने उन्‍हें समझाया कि तुम जगत के पालक सूर्य के पास चले जाओ वे तुम्‍हे अपना लेंगे। बुध सूर्य की शरण में चले गए और सुधर गए।

कहानी बुध के नेचर को भी फॉलो करती है। बुध अपनी संतान को त्‍यागने वाले गुरू और नीचे के चंद्रमा से नैसर्गिक शत्रुता रखते हैं। राहु और शनि के साथ बुरे परिणाम देते हैं और शुक्र और सूर्य के साथ बेहतर। सौर मण्‍डल में गति करते हुए जब भी सूर्य से आगे निकलते हैं बुध के परिणामों में कमी आ जाती है और सूर्य से पीछे रहने पर उत्‍तम परिणाम देते हैं। अपनी माता की तरह बुध के अधिपत्‍य में भी दो राशियां है। गुरू के पास जहां धनु और मीन द्विस्‍वभाव राशियां हैं वहीं बुध के पास कन्‍या और मिथुन राशियों का स्‍वामित्‍व है।

यह है बुध की कहानी।