Home Planet कुंडली में अनुकूल (कारक) ग्रह | Favorable Planets in Horoscope (Kundli)

कुंडली में अनुकूल (कारक) ग्रह | Favorable Planets in Horoscope (Kundli)

कुंडली में अनुकूल (कारक) ग्रह | Favorable Planets in Horoscope (Kundli)
कुंडली में अनुकूल (कारक) ग्रह | Favorable Planets in Horoscope (Kundli)

कुंडली में अनुकूल (कारक) ग्रह

Favorable Planets in Horoscope (Kundli)


किसी जातक की कुण्‍डली में अनुकूल ग्रह कौनसा है यह बताना कुछ टेढ़ा काम है। हालांकि राशि के अनुसार कई ज्‍योतिषी इसके क्विक फिक्‍स उपाय बताते हैं। मेष राशि के जातक को मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है, वृष राशि के जातक को हीरा, मिथुन राशि के जातक को पन्‍ना, कर्क राशि के जातक को मोती, सिंह राशि के जातक को माणिक, कन्‍या राशि के जातक को पन्‍ना या ओनेक्‍स, तुला राशि के जातक को हीरा अथवा अमरीकन डायमंड या कहें जरीकॉन, वृश्चिक राशि के जातक को मूंगा, धनु राशि के जातक को पुखराज, मकर और कुंभ राशि के जातकों को नीलम और मीन राशि के जातक को पुखराज अथवा सुनहला पहनने की सलाह मोटे तौर पर दी जाती है।

उपरोक्‍त विधि भ्रामक है

वास्‍तव में मैंने कई जातकों को इससे नुकसान होते हुए देखा है। कुण्‍डली का विश्‍लेषण केवल राशि के अनुसार नहीं किया जाता। किसी भी जातक की कुण्‍डली का सबसे महत्‍वपूर्ण स्‍थान उस जातक का लग्‍न होता है। सामान्‍य तौर पर लग्‍न को आत्‍मा माना जाता है।

किसी जातक की सामाजिक हैसियत, आर्थिक स्थिति, शारीरिक सौष्‍ठव, आकृति, स्‍वभाव जैसे अधिकांश गुण लग्‍न से ही देखे जाते हैं। हर लग्‍न के अनुसार उसके अनुकूल ग्रह होते हैं। कौनसे लग्‍न में कौनसा ग्रह अनुकूल होगा, देखते हैं…

मेष लग्‍न (Mesha)

यह मंगल के आधिपत्‍य वाला लग्‍न है। यहां मंगल मेष के साथ वृश्चिक राशि का भी अधिपति है। ऐसे में अगर अष्‍टम भाव का अधिपति होने के साथ मंगल पर किसी प्रकार दोष नहीं लग रहा हो, तभी मंगल का रत्‍न मूंगा पहनने की सलाह दी जा सकती है। वरना लग्‍नेश यानी लग्‍न का अधिपति होने के बावजूद आप मूंगा नहीं पहन सकते।

वृषभ लग्‍न (Vrushabh)

यह शुक्र के आधिपत्‍य वाला लग्‍न है। लेकिन वृष लग्‍न की कुण्‍डली में शुक्र लग्‍न के साथ छठे भाव का भी अधिपति होता है। ऐसी स्थिति में अगर छठा भाव जो कि रोग, शत्रु और चिंता का होता है, अगर निर्दोष हो, तो ही छठे भाव के अधिपति शुक्र का उपयुक्‍त उपचार किया जा सकता है, वरना स्‍वास्‍थ्‍य की गिरावट के रूप में विपरीत परिणाम मिलेंगे।

मिथुन लग्‍न (Mithuna)

मिथुन राशि पर चूंकि बुध का आधिपत्‍य है। बुध की ही दूसरी राशि कन्‍या कुण्‍डली के चौथे भाव की अधिपति होगी। ऐसे में अगर कोई मिथुन लग्‍न का जातक बुध का रत्‍न पन्‍ना अथवा ओनेक्‍स पहन सकता है। इस लग्‍न में ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि गले अथवा हाथ में रत्‍न पहनते समय ध्‍यान रखें कि लग्‍न अथवा तृतीय भाव दूषित न हो।

कर्क लग्‍न (Kark)

कर्क राशि का अधिपति चंद्रमा है। ऐसे में कर्क राशि के जातक को चंद्रमा पहनने की सलाह आंख मूंदकर दी जा सकती है। चूंकि चंद्रमा के पास केवल एक ही ग्रह का आधिपत्‍य है, ऐसे में किसी दूसरे भाव के प्रभावित होने का सवाल नहीं उठता है। लेकिन ध्‍यान में रखने वाली बात यह है कि अगर चंद्रमा मंगल अथवा गुरु के साथ मिलकर कोई योगकारकर स्थिति बना रहा हो तो चंद्रमा का जबरन उपचार उस योग को समाप्‍त कर देता है।

सिंह लग्‍न (Simha)

सिंह लग्‍न का अधिपति सूर्य है। चंद्रमा की भांति सूर्य के अधिकार में भी मात्र एक ही राशि है। ऐसे में सिंह लग्‍न के जातक को माणक पहनाया जा सकता है, इसमें ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि कई बार सूर्य बुध, शुक्र अथवा गुरु के साथ योगकारक स्थिति में बैठा होता है। ऐसे में बिना योग का ध्‍यान रखे माणक पहनाना जातक के विपरीत प्रभाव देता है।

कन्‍या लग्‍न (Kanya)

कन्या राशि का अधिपति बुध ही है। इस लग्‍न में बुध के आधिपत्‍य वाली दूसरी राशि मिथुन दसवें भाव में होती है। ऐसे में बुध लग्‍न और दशम भाव का अधिपति बन जाता है। ऐसे में कह सकते हैं कि कन्‍या लग्‍न में सर्वाधिक शक्तिशाली ग्रह बुध ही होता है। अगर सूर्य अथवा शुक्र के साथ बुध का कोई दूसरा सफल योग खराब न हो रहा हो तो जातक को बुध का रत्‍न पन्‍ना पहनाएं। निश्‍चय ही अच्‍छे परिणाम हासिल होंगे।

तुला लग्‍न (tula)

यह शुक्र के आधिपत्‍य वाली दूसरी राशि है। चूंकि तुला लग्‍न में वृषभ राशि आठवें भाव का प्रतिनिधित्‍व करती है। ऐसे में शुक्र का उपचार लग्‍न और आठवें भाव दोनों को प्रभावित करेगा। ऐसे में शुक्र के रत्‍न हीरे अथवा जरीकॉन (अमरीकन डायमंड) का उपयोग तभी किया जा सकता है, जब अष्‍टम भाव निर्दोष हो।

वृश्चिक लग्‍न (Vrushchik)

वृश्चिक राशि का आधिपत्‍य मंगल के पास है। मंगल के आधिपत्‍य वाली दूसरी राशि मेष है, जो छठे भाव का प्रतिनिधित्‍व करती है। ऐसे में मंगल का रत्‍न मूंगा तभी पहनाया जा सकता है, जब जातक को छठे भाव से संबंधित किसी पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ रहा हो। वरना वृश्चिक लग्‍न के जातक को मूंगा पहनाना जातक को बीमार बना देता है।

धनु लग्‍न (Dhanu)

धनु राशि का अधिपति गुरु है। गुरु के आधिपत्‍य वाली दूसरी राशि मीन धनु लग्‍न में चौथे भाव का प्रतिनिधित्‍व करती है। ऐसे में धनु लग्‍न के जातकों के लिए पुखराज पहनना कमोबेश लाभदायक ही सिद्ध होता है। कई बार गुरू चंद्रमा के साथ मिलकर बेहतरीन गजकेसरी योग बनाता है। ऐसे में पुखराज पहनाने से पहले योग की जांच करना जरूरी होता है।

मकर लग्‍न (Makar)

मकर राशि का अधिपति शनि है। शनि के आधिपत्‍य वाली दूसरी राशि कुंभ है, जो मकर लग्‍न में दूसरे भाव का प्रतिनिधित्‍व करती है। ऐसे में मकर लग्‍न वाले जातकों को नीलम पहनाने के मिश्रित प्रभाव दिखाई देते हैं। हालांकि कुछ मामलों में स्‍थाई धन का नुकसान हो सकता है, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए यह हमेशा अच्‍छे परिणाम ही देगा।

कुंभ लग्‍न (Kumbh)

कुंभ राशि का अधिपति भी शनि ही है, लेकिन अब मकर जो शनि की दूसरी राशि है, उसका रत्‍न नीलम पहनाने से एक ओर लग्‍न मजबूत होगा तो दूसरी ओर बारहवां भाव ऑपरेट होगा। इससे जीवन शक्ति में भी कमी आएगी और खर्च की दबाव बढ़ जाएगा। ऐसे में कुंभ के जातक को नीलम पहनाने की सलाह देना श्रेष्‍ठ नहीं है।

मीन लग्‍न (Meen)

मीन राशि का अधिपति ग्रह गुरु है। मीन लग्‍न में गुरु की दूसरी राशि धनु दसवें भाव में आती है। ऐसे में मीन लग्‍न के जातकों को सहजता से गुरु का रत्‍न पुखराज अथवा उपरत्‍न सुनहरा पहनाया जा सकता है। लेकिन यही एकमात्र कारक ग्रह हो ऐसा भी नहीं है।

लग्‍न के अनुसार उपचारात्‍मक रत्‍नों की मीमांसा के बाद हम देखते हैं कि समाचारपत्रों और मैग्‍जींस में आने वाली राशि के अनुसार भी अनुकूल ग्रह और रत्‍न बताए जाते हैं। वास्‍तव में ज्‍योतिष में चंद्र राशि अथवा पश्चिमी सूर्य राशि की गणना उतना ही महत्‍व रखती है जितना किसी अन्‍य ग्रह का किसी राशि विशेष में होना।

केवल चंद्र राशि अथवा सूर्य राशि मात्र से ही जातक का पूरा भाग्‍य बखान किया जा सकता हो तो बाकी कुण्‍डली के विश्‍लेषण की जरूरत ही नहीं है। दूसरी ओर दुनिया के सात अरब जातक सीधे सीधे बारह प्रकार में विभक्‍त हो जाएंगे। हकीकत में ऐसा नहीं होता है।


किसी भी जातक को अनुकूल रत्‍न धारण करने के लिए पहले लग्‍न फिर चंद्र और उसके साथ ही हर लग्‍न के कारक ग्रह की स्थिति के अनुसार रत्‍न धारण करना चाहिए। आमतौर पर अनुकूल ग्रहों का प्रभाव बढ़ाने के लिए रत्‍न धारण किए जाते हैं, वहीं प्रतिकूल ग्रहों का प्रभाव कम करने के लिए आपको दान और साधना के पथ अपनाने होंगे।