होम Astrology Consultancy ज्‍योतिषी से किस प्रकार मिलें? How to meet an astrologer

ज्‍योतिषी से किस प्रकार मिलें? How to meet an astrologer

astrologer and client how to meet an astrologer best astrologer in india sidharth joshi

ज्‍योतिषी से मिलने का भी तरीका होता है। अगर आपको अच्‍छे परिणाम लेने हैं तो ज्‍योतिषी से मिलने जाने से पहले आपको कुछ बातें अवश्‍य पता होनी चाहिए। शास्‍त्रों में ज्‍योतिषी को दैवज्ञ कहा गया है। आध्‍यात्मिक स्‍तर पर आप अपने प्रश्‍न अथवा समस्‍या लेकर ज्‍योतिषी के पास जाते हैं, उससे पहले ही आपका और दैवज्ञ का संबंध बन चुका होता है। आपको इस जीवन में जो भी सफलता या विफलता भोगनी है, वह आपके पूर्वजन्‍मों के कर्मों का प्रतिफल है। जब ज्‍योतिषी आगत भविष्‍य को देख रहा होता है, तब उस भविष्‍य को देखने में जातक की चेष्‍टाएं, उसके हाव भाव, उसका मानस, उसका प्रश्‍न पूछने का तरीका, उसका श्‍वास लेने का तरीका, बैठने का तरीका, शरीर पर चिह्न आदि भी फलादेश में मदद करते हैं।

आजकल सोशल मीडिया के जमाने में जब मैं देखता हूं कि कहीं कोई ग्रुप बना हुआ होता है, एक स्‍वयंभू ज्‍योतिषी घोषणा करता है कि मैं आज आए सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर दूंगा और जो लोग तमाशबीन की तरह ग्रुप में बैठे होते हैं, वे बिना लाग लपेट और आगा पीछा सोचे प्रश्‍न करने लगते हैं। कुछ प्रश्‍न बहुत गंभीर और मार्मिक होते हैं और बहुत से प्रश्‍न खिलंदड़ टाइप के भी होते हैं। परिणाम यह होता है कि न केवल ज्‍योतिषी और जातक की मजाक बनती है, बल्कि ज्‍योतिष विषय का भी नुकसान होता है।

ज्‍योतिषी में क्‍या विशेषता होनी चाहिए?

दैवज्ञ को स्‍नान करके अपने ईष्‍ट का ध्‍यान कर अपने आसन पर शुद्ध होकर बैठना चाहिए और अपना कार्य शुरू करने से पहले रोजाना सुबह ज्‍योतिष गणित संबंधी ग्रहों की स्थितियों का भान कर लेना चाहिए। प्रश्‍न लग्‍न, आरुढ़, छत्र आदि के साथ ग्रहों के बलाबल, गोचर, वक्री, मार्गी, उदय, अस्‍त तथा राशियों के गुणधर्म के बारे में पहले से विचार करके रखना चाहिए। ज्‍योतिषी गुणों में जिन बातों को शामिल किया गया है, उनमें नीति का ज्ञान, अर्थ का ज्ञान, विज्ञान का ज्ञान तथा अपने ईष्‍ट की सिद्धि जरूरी बताई गई है। अगर ज्‍योतिषी का मन अप्रसन्‍न है, वह किसी धक्‍के में है, चोटिल है, आहत है, रोगी है, ऋणी है तो ऐसे ज्‍योतिषी को फलादेश करने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जैसी दैवज्ञ की मान‍स अवस्‍था होगी, जातक के प्रश्‍न का उत्‍तर भी वैसा ही होगा।

ज्‍योतिषी और जातक की भेंट कैसे होगी?

जैसे ही जातक ज्‍योतिषी के पास पहुंचेगा, उसी वक्‍त ज्‍योतिषी को गौर करना होता है कि जातक के मुख से प्रथम शब्‍द क्‍या निकला है, जातक के प्रश्‍न करते समय अपने कौनसे अंग का स्‍पर्श किया है, जातक किस दिशा में बैठा है और उसने अपना मुख किस दिशा में कर रखा है, जातक का कौनसा स्‍वर चल रहा है, जातक जमीन पर बैठा है या आसन पर विराजमान है। यह भी चेष्‍टाएं जातक की होंगी। जिस समय ज्‍योतिषी इन सभी चेष्‍टाओं को मन की मन नोट कर रहा होता है, ठीक उसी समय तात्‍कालिक समय की कुण्‍डली भी बना ली जाती है। इससे यह निर्णय हो पाता है कि जातक को प्रश्‍न पूछ रहा है और जो प्रश्‍न पूछना चाहता है, उसमें क्‍या अंतर है। इस प्रकार जातक और ज्‍योतिषी की भेंट में बहुत सारी गणनाओं का चेष्‍टाओं का समावेश होता है।

जातक को क्‍या तैयारी करनी चाहिए?

जातक को ज्‍योतिषी से अग्रिम समय लेकर, तय समय पर ज्‍योतिषी के पास पहुंचना चाहिए। घर से रवाना होने से पहले शुभ शगुन देखकर, नहा धोकर स्‍वस्‍थ्‍य मन से बाहर निकलना चाहिए। अपने घर से ज्‍योतिषी के आसन तक पहुंचने के बीच में प्रयास करना चाहिए कि न तो कोई दूसरा कार्य करे और न किसी से बात करे। ज्‍योतिषी के समक्ष पहुंचने पर ससम्‍मान प्रणाम कर फल, पुष्‍प, द्रव्‍य के साथ मांगलिक वस्‍तुएं भेंट चढ़ाकर, सहजता से आसन पर विराजमान हो। श्‍वास स्थिर होने के बाद ज्‍योतिषी से अपना अभीष्‍ट प्रश्‍न पूछे।

किस जातक को प्रश्‍न का जवाब नहीं देना चाहिए?

प्रश्‍न करने वाला धूर्त हो, पाखण्‍डी हो, उपहास करने वाला हो, श्रद्धाहीन अथवा अविश्‍वासी हो तो ऐसे जातक को किसी भी सूरत में जवाब नहीं देना चाहिए।

ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी
9413156400