नक्षत्र और शरीर के अंग Nakshatra and its effect on body parts
राशियों के इतर नक्षत्रों का भी कालपुरुष के शरीर के अंगों पर अधिकार होता है। कालपुरुष ज्योतिष शास्त्र का वह आदर्श पुरुष है जिस पर सभी भावों, राशियों, ग्रहों और नक्षत्रों का आरोपण किया जाता है। कालपुरुष के सापेक्ष ही अध्ययन आगे बढ़ता है। आपका जन्म जिस नक्षत्र (Nakshatra) में हुआ है, उसके अनुसार आपके शरीर का वह अंग प्रमुख रूप से प्रभावित होता है। बाकी नक्षत्र की कुण्डली में जैसी स्थिति होती है, जिन ग्रहों का प्रभाव होता है, जिन भावों का वे नक्षत्र प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके प्रभाव भी शामिल होते जाते हैं।
आइए देखते हैं कि किस नक्षत्र का कौनसे अंग पर प्रभाव होता है। हालांकि नक्षत्रों का क्रम अश्विनी से शुरू होता है, लेकिन परंपरागत ज्योतिष ने इस नक्षत्र का प्रभाव क्षेत्र पैरों के ऊपरी भाग को माना है, सो हम अपना नक्षत्र विवरण कृतिका से शुरू करेंगे।
- कृतिका सूर्य का नक्षत्र है और इसका प्रभाव सिर पर होता है
- रोहिणी चंद्रमा का नक्षत्र है इसका प्रभाव माथा यानी ललाट पर होता है
- मृगशिरा मंगल का नक्षत्र है और इसका प्रभाव भौंहों पर होता है
- आर्द्रा राहु का नक्षत्र है और इसका प्रभाव नेत्रों पर होता है
- पुनर्वसु वृहस्पति का नक्षत्र है और इसका प्रभाव नाक पर होता है
- पुष्य शनि का नक्षत्र है और इसका प्रभाव चेहरे पर होता है
- आश्लेषा बुध का नक्षत्र है और इसका प्रभाव कान पर होता है।
- मघा केतू का नक्षत्र है और इसका प्रभाव ओंठ और ठुड्डी पर होता है
- पूर्वफाल्गुनी शुक्र का नक्षत्र है और इसका प्रभाव दाएं हाथ पर होता है
- उत्तरफाल्गुनी सूर्य का नक्षत्र है और इसका प्रभाव बाएं हाथ पर होता है
- हस्त चंद्रमा का नक्षत्र है और इसका प्रभाव हाथों की अंगुलियों पर होता है
- चित्रा मंगल का नक्षत्र है और इसका प्रभाव गर्दन या कहें गले पर होता है
- स्वाति राहु का नक्षत्र है और इसका प्रभाव फेफड़ों पर होता है
- विशाखा वृहस्पति का नक्षत्र है और इसका प्रभाव वक्षस्थल पर होता है
- अनुराधा शनि का नक्षत्र है और इसका प्रभाव उदर पर होता है
- ज्येष्ठा बुध का नक्षत्र है और इसका प्रभाव वक्ष के नीचे का दाएं हिस्से पर होता है
- मूल केतू का नक्षत्र है और इसका प्रभाव वक्ष के नीचे बाएं भाग की ओर होता है
- पूर्वाषाढ़ा शुक्र का नक्षत्र है और इसका प्रभाव पीठ या कहें पृष्ठ भाग पर होता है
- उत्तराषाढ़ा सूर्य का नक्षत्र है और इसका प्रभाव कमर (लोअर बैक) पर होता है
- अभिजीत नक्षत्र को हालांकि अब सूची में से निकाल दिया गया है, लेकिन परंपरागत ज्योतिष में इसका स्थान मस्तिष्क में बताया गया था
- श्रवण का चंद्रमा का नक्षत्र है और इसका प्रभाव गुप्तांगों पर होता है
- धनिष्ठा मंगल का नक्षत्र है और इसका प्रभाव गुदा पर होता है
- शतभिषा राहु का नक्षत्र है और इसका प्रभाव दायीं जांघ पर बताया गया है
- पूर्वाभाद्रपद गुरू का नक्षत्र है और इसका प्रभाव बायीं जांघ पर होता है
- उत्तरप्रभाद्रपद शनि का नक्षत्र है और इसका प्रभाव पिंडली के अगले हिस्से पर होता है
- रेवती बुध का नक्षत्र है और इसका प्रभाव एड़ी और प्रकारांतर से घुटने पर बताया गया है
- अश्विनी नक्षत्र का अधिपति केतू होता है और इस प्रभाव पैरों के ऊपरी भाग यानी तलवों के ऊपर की ओर बताया गया है
- भरणी नक्षत्र का अधिपति शुक्र है और इसका प्रभाव तलवों पर नीचे की ओर बताया गया है
हर नक्षत्र का शरीर के निश्चित अंग पर विशिष्ट प्रभाव होता है। अब इन नक्षत्रों में जो ग्रह बैठे हैं और ये नक्षत्र जिन भावों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उसके अनुसार परिणाम मिलते हैं। कालपुरुष की कुण्डली में नक्षत्रों का यही क्रम रहता है, अब अगर किसी का कृतिका नक्षत्र प्रभावित है तो सिर से संबंधित तकलीफ हो सकती है, अगर किसी जातक के अधिकांश ग्रह आर्द्रा नक्षत्र में है तो उसके नेत्र संबंधी विकार अथवा विशेषताएं दृष्टिगोचर होती हैं। हर कुण्डली में इनका प्रभाव विभिन्न प्रभावों को ध्यान में रखकर देखा जा सकता है।