इस वर्ष साल का पहला सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) 9 मार्च को होगा। समय के साथ सामाजिक मान्यताओं ने सूर्य ग्रहण को इतनी बड़ी बुराई बना दिया है कि ग्रहण को लेकर भ्रांतियों और अफवाहों का बाजार गर्म हो जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। वास्तव में ग्रहण को लेकर जो तथ्य बताए जाते हैं वे कितने सही हैं। सवाल जवाब के रूप में हम कुछ सवालों पर विचार करेंगे, जिन्हें पिछले कुछ समय में बाजार और मीडिया के प्रोपेगंडा के चलते जनमानस में बैठा दिया गया है। गर्भवती स्त्रियों के लिए जरूर ग्रहण देखना मना किया गया है, क्योंकि स्त्री के गर्भ में उस समय एक शिशु वृद्धि कर रहा होता है, उस पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा किसी को भी ग्रहण देखने से मना नहीं किया गया है। बेहतर है कि आप खुद भी ग्रहण देखें और अपने नौनिहालों को भी ग्रहण की महत्वपूर्ण घटना देखने के लिए उत्साहित करें। भ्रांतियों के चलते हम अपने विषय से दूर हो रहे हैं, जो उचित नहीं है।
ग्रहण के दौरान राहू सूर्य को ग्रस लेता है ?
तकनीकी रूप से देखा जाए तो यह सही कथन है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर या कहें फिजिकल फार्म में ऐसा कुछ नहीं होता है। राहू और केतू आसमान में दो ऐसे बिंदू हैं जो सूर्य और चंद्रमा की पृथ्वी के सापेक्ष गतियों से बनने वाले संपात कोण पर बनते हैं। पिछले दिनों वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि सौरमण्डल के ग्रहों की गति के फलस्वरूप गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव कुछ इस तरह भी होता है कि गोचर में निर्वात में ऐसे छद्म बिंदू भी बन जाते हैं जो द्रव्यमान का भास देते हैं। राहू और केतू के संबंधी में ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है, लेकिन सिद्धांत ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के भ्रमण पथ के संपात कोण के ये बिंदू अपना असर जरूर रखते हैं। अब उत्तर की ओर संपात बिंदू को राहू की संज्ञा दी गई है। जब भी सूर्य इन बिंदुओं की सीध में आता है तो सूर्य ग्रहण होता है। ऐसे में तकनीकी रूप से यह कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण में राहू सूर्य को ग्रस लेता है।
ग्रहण के दौरान बना भोजन फेंक देना चाहिए ?
ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है, अभी गोचर में देखें तो पता चलेगा कि सूर्य, चंद्रमा और केतू कुंभ राशि में विचरण कर रहे हैं। सूर्य की अपनी गति है और पृथ्वी को मिलने वाली ऊर्जा का मुख्य स्रोत यह सूर्य ही है। इसी कारण शास्त्रों में सूर्य को विष्णु की उपाधि दी गई है। अब सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की जीवनदायी किरणें बाधित हो जाती हैं। ऐसे में संभव है कि प्रकृति में हुए असामान्य बदलाव का परिणाम के हुए भोजन पर भी पड़ा हो। ऐसे में पके हुए भोजन को फेंक देना ठीक है। बेहतर है कि सूर्य ग्रहण से ठीक पहले भोजन बनाया ही नहीं जाए। बाकी बिना पका हुआ धान और दूसरी वस्तुओं के खराब होने की आशंका कम ही होती है।
ग्रहण के दौरान शुभ काम नहीं करने चाहिए ?
जैसा कि हम जानते हैं कि ग्रहण का समय ऐसा समय है कि प्रकृति अपने सामान्य स्वरूप में नहीं रहती। जब हम कोई अच्छा काम करना चाहते हैं तो उसके लिए माहौल भी अनुकूल होना चाहिए। जिस समय प्रकृति का संतुलन हमें गड़बड़ाया हुआ मिले तब वह समय सांसारिक और भौतिक वस्तुओं के जमाव या बढ़ाव का नहीं होना चाहिए। ग्रह प्रवेश, विवाह और ऐसे मांगलिक कार्य जो कि सांसारिक सुखों में बढ़ोतरी करते हैं, उन्हें इस अवधि में शुरू करने के लिए मना किया जाता है। इसी प्रकार हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि हमारा अन्न शुद्ध हो, ऐसे में पके हुए धान और तुरंत खाने योग्य पदार्थों का त्याग करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि हो सकता है कि ग्रहण के दौरान मौसम में हुए अचानक बदलाव से खाद्य पदार्थों में अवशिष्ट आ गया हो। ऐसे में उनका त्याग कर देना ही श्रेष्ठ है। ग्रहण का सूतक काल चार प्रहर यानी करीब बारह घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण के मोक्ष तक जारी रहता है। अन्न, जल और नए शुभ कार्यों के लिए इस अवधि तक का त्याग करने की जरूरत होती है।
ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए ?
तांत्रिकों के लिए ग्रहण एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस अवधि में मंत्र साधना की जाए तो उसके फलित होने की बहुत अधिक संभावना होती है। दान करना चाहिए, क्योंकि मन अशांत होता है और इस अशांति को दान से पूरा किया जा सकता है। मंदिर में जाकर उपासना करनी चाहिए। भगवान का नाम लेना चाहिए। प्रकृति जब अपने सामान्य स्वरूप में या कहें सृष्टि के जीवों के अनुकूल न हो तो शारीरिक या सांसारिक क्रियाएं कम से कम करते हुए आध्यात्मिक उन्नयन का प्रयास करना श्रेष्ठ विकल्प है।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव ?
आजकल मेन स्ट्रीम मीडिया में बहुत प्रमुखता से बताया जाता है कि ग्रहण का अमुक राशि पर यह प्रभाव पड़ेगा या वह प्रभाव पड़ेगा, यह सभी भ्रांतियां हैं। ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जो सृष्टि के सभी जीवों पर समान रूप से प्रभाव डालती है। ऐसे में ग्रहण के चलते किसी मानव के जीवन पर आमूलचूल परिवर्तन आए या दुष्परिणाम ग्रहण के कारण हो, ऐसा संभव नहीं है। दूसरे खगोलीय पिण्डों की गति तय है। आज से एक हजार साल पहले और एक हजार साल आगे तक के सूर्य और चंद्र ग्रहणों के बारे में हमारी पारम्परिक भारतीय ज्योतिष सटीकता से जानकारी दे सकती है। ऐसे में किसी जातक के जीवन की किस अवधि में कब ग्रहण का सामना होगा, यह पहले ही बताया जा सकता है। ऐसेे में राशि के आधार पर वर्गीकरण कर केवल उसी समय अवधि में राशि विशेष पर ग्रहण का असर बताना न केवल तकनीकी रूप से गलत है, बल्कि हास्यास्पद है। ग्रहण का राशियों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं होता है। जातकों को बाजार के प्रभाव में मेन स्ट्रीम मीडिया में चल रहे नाटक से बचकर रहना चाहिए।