बहुत साल पहले ही बात है, जब हम तीन दोस्त मिलकर धर्म, अध्यात्म और ज्योतिष की बातों से आगे आकर तंत्र (Tantra) की बातें करने लगे थे। तब एक ने यह कहानी सुनाई थी तिब्बत में कुछ ऐसी गुफायें हैं जिन्हें लामाओं का जमा किया विशद तंत्र कोष भित्ति चित्रों के रूप में जमा है।
इन तांत्रिक मंत्रों को विधियों को लेने के लिए एक व्यक्ति उन गुफाओं तक पहुंच गया। संकेतों और नए शब्द चित्रों की व्याख्या करने का प्रशिक्षण ले चुका वह व्यक्ति उन तांत्रिक विधियों और तंत्र (Tantra) को समझ नहीं पाया।
उसने सोचा कि इन सभी को हूबहू एक कॉपी में बनाकर वह वापस पश्चिम में अपने देश चला जाए। ताकि भविष्य वे सुरक्षित रहें और किसी समझने वाले व्यक्ति के हाथ में पड़ें तो इस तंत्र (Tantra) की जानकारी पूरी दुनिया को मिल जाए। उस व्यक्ति ने मंत्रों और रेखाचित्रों को उतारना शुरू किया।
वह एक भी मंत्र या तंत्र के किसा भाग को जानता नहीं था। जैसे जैसे उसने कॉपी करना शुरू किया उस व्यक्ति की तबीयत खराब होने लगी। समय बीतने के साथ वह निश्तेज होता गया। एक दिन लोगों ने उसे किसी गुफा के निकट मरा हुआ पाया।
इस कहानी का कथ्य यह है कि तंत्र (Tantra) में हम जिस विधि को पूरी तरह नहीं जानते हैं उससे दूर ही रहना चाहिए। परा भौतिक प्रयासों के बारे में भी कमोबेश यही कथन है।
तंत्र (Tantra) की एक घटना
इसके बावजूद मैं आपसे अपने एक अनजान दोस्त की कहानी शेयर करना चाहता हूं।
भारत के एक छोटे से शहर में पला और बड़ा हुआ रमेश (छद्म नाम ) कम्प्यूटर टैक्नोलॉजी की एडवांस पढ़ाई करने के लिए अमरीका चला गया। बाद में उसकी नौकरी भी वहीं लग गई। कई कंपनियां बदलने के बाद वह एक छोटे शहर में शिफ्ट हो गया।
इस शहर की पोश कॉलोनी के बारे में कहा जाता था कि वहां घरों पर प्रेतों का कब्जा है। ऐसे में वहां स्थानीय लोग तो नहीं के बराबर थे। जो थे उनके भारतीय अथवा एशिया मूल के अधिक थे।
ऐसे ही एक घर में रमेश ने अपना छोटा सा आशियाना बसाया। अपनी पत्नी और बेटे को लेकर जैसे ही वह इस घर में शिफ्ट हुआ, उसका बेटा बीमार रहने लगा। चिकित्सकों को दिखाया तो पता चला कि उसे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ने जकड़ लिया है।
दंपत्ति पर मानों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। कुछ दिन बाद रमेश की नौकरी भी छूट गई। दूसरी मिली नहीं। पढ़ी लिखी पत्नी ने मौके की नजाकत को देखते हुए खुद नौकरी करनी शुरू कर दी। किसी तरह घर खर्च तो चल रहा था, लेकिन घर में शांति बिल्कुल नहीं थी। कई सालों तक प्रेम से साथ रहने वाले पति पत्नी में रोजाना झगड़े होने लगे।
रमेश ने शुरूआती दौर अपनी बुद्धि से समस्याओं को हल कर निकालने का प्रयास किया। समय के साथ समस्याएं बढ़ती गई। आखिर में एक दौर ऐसा आया कि परिवार में नैराश्य बढ़ गया। अब रमेश ने भारत में अपने मित्रों से सम्पर्क साधना शुरू किया। उसे किसी ने दो तीन ज्योतिषियों के सम्पर्क बताए।
रमेश ने उनसे बात की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आखिर में एक तांत्रिक मिला। उसने वही पुरानी बातें कहीं, इस पर रमेश उखड़ गया। आखिर में एक तांत्रिक से बात करने पर राजी हुआ। महज बाइस साल के तांत्रिक ने रमेश को भरोसा दिलाया कि बेटे (निश्चय ही तांत्रिक की उम्र अपने जातक से कहीं कम थी, लेकिन वह बहुत ऊंचे मानसिक स्तर से बोल रहा था) मैं सबकुछ ठीक कर दूंगा। इसके बाद तांत्रिक ने उसे कुछ क्रिया करने के लिए कहा।
जो साधन काम में लेने थे, उनमें एक धातु का लोटा भी काम में लेना था, लेकिन अमरीका में वह हाथों-हाथ नहीं मिला। सो कांच का जार लेकर क्रिया कर दी। काम नहीं हुआ। उधर तांत्रिक का दूसरे दिन फोन आया कि क्या कुछ बदलाव हुआ। बदलाव नहीं होना था, सो नहीं हुआ।
तांत्रिक को बात समझ में नहीं आई। उसने बारीकी से क्रिया का हर स्टेप पूछा तो पता चला कि धातु के बजाय कांच का जार काम में लिया गया है। तांत्रिक ने क्रिया धातु के लोटे के साथ दोहराने के लिए कहा। रमेश ने यह कर दिया।
तांत्रिक ने रमेश को आगाह किया कि एक रात उसे सोना नहीं है, वरना गड़बड़ हो सकती है। हाईटेक व्यवसाय से जुड़े रमेश को यह बात जंची नहीं। उसने इसे हल्के में लिया और वह रात को सो गया। उसी रात एक परछाई ने रमेश पर हमला कर दिया। सोते में से जगे रमेश ने अपने ईष्ट का नाम लिया तो छाया दूर हो गई। रमेश फिर सो गया। उसी रात दोबारा हमला हुआ।
रमेश ने बताया जैसे किसी ने उसका गला कसकर पकड़ लिया है और वह सांस भी नहीं ले पा रहा है। कुछ क्षणों के लिए उसे लगा कि जैसे दिमाग की नसें फट जाएंगी। एक बार फिर उसने अपने ईष्ट को याद किया। वह परछाई फिर अलग हो गई। अगले दिन सुबह होते ही रमेश ने तांत्रिक को फोन किया और बीती रात की सारी घटना बताई। सहज बुद्धि अपनी जगह छोड़ चुकी थी।
तांत्रिक ने उसे दिलासा दिया कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। इस बार तांत्रिक ने बुरी आत्मा को घर से बाहर भेजने के लिए नुस्खा बताया। रमेश ने कर दिया। जब वह उपचार कर घर लौट रहा था, तो उसे लगा कि जैसे सालों बाद घर में शांति आई है। डेढ़ महीना हो गया।
अब घर में पहले से अधिक अच्छा वातावरण है और चीजें धीरे-धीरे दुरुस्त हो रही हैं। बकौल तांत्रिक अमरीका के उस क्षेत्र में ऐसी और आत्माएं घूम रही हैं।
मैं नहीं जानता कि यह क्या है और कैसे होता है। परा भौतिक दुनिया का यह असर कब और कितना असर करता है… लेकिन जिस व्यक्ति ने मुझे यह जानकारी दी है उसकी बातों पर बिना शक विश्वास किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट को अंधविश्वास बढ़ाने की कोशिश के बजाय दूसरी दुनिया को समझने की कोशिश मानें तो बेहतर है। किसी भूत के अनजान किस्से के बजाय यह एक व्यक्ति के साथ पिछले दो सालों की पीड़ा और महज डेढ़ माह पहले घटी घटनाओं का दस्तावेज है.
उस व्यक्ति ने मुझे इसलिए बताया ताकि दुनिया भी समझने का प्रयास कर सके कि दूसरी दुनिया होती है और वह हमारे आस-पास ही है।