क्या है चन्द्र राशि और सूर्य राशि
What is Sun Sign and Moon Sign
सामान्य जातक के रूप में यह सबसे आम सवाल है कि मेरी राशि क्या है What is rashi। ज्योतिषीय कोण से राशि की परिभाषा अलग है और आम बोलचाल की भाषा में राशि अलग है। पहले समझ लेते हैं कि राशि Sign क्या है।
भूलोक यानी आकाशमण्डल को बारह भागों में बांटा गया है। हर एक भाग करीब करीब तीस डिग्री फैलाव लिए हुए हैं। कुल मिलाकर बारह भाग मिलकर 360 डिग्री का चक्र पूरा करते हैं। इनमें से प्रत्येक भाग को एक राशि कहा गया है। ज्योतिषीय गणना की दृष्टि से पहली राशि मेष को माना गया है, आकाशमण्डल यानी Zodiac की पहली राशि मेष Aries को माना गया है। दूसरी वृषभ Taurus, तीसरी मिथुन Gemini, चौथी कर्क Cancer, पांचवी सिंह Leo, छठी कन्या Virgo, सातवीं तुला Libra, आठवीं वृश्चिक Scorpio, नौंवी धनु Sagittarius, दसवीं मकर Capricorn, ग्यारहवीं कुंभ Aquarius और बारहवीं राशि मीन Pisces है।
अब आप जो समाचारपत्रों या न्यूजपोर्टल या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में राशि का फलादेश पढ़ते हैं, वह राशि दो प्रकार की होती है। जिस राशि में चंद्रमा बैठा होता है, उसे चंद्र राशि या Moon Sign कहते हैं और जिस राशि में सूर्य बैठा होता है उसे सूर्य राशि अथवा Sun Sign कहते हैं।
परम्परागत वैदिक ज्योतिष में सूर्य और चंद्र राशि की गणना का तरीका बहुत अधिक सूक्ष्म और संश्लेषित है। भारत में वर्तमान में मुख्य रूप से पांचांग गणना की नीति विधियां प्रचलित हैं। चित्रपक्षीय गणना, कृष्णामूर्ति अयनांश और लहरी। इन तीनों में थोड़ा थोड़ा भेद है, लेकिन चित्रपक्षीय गणना में अधिकांशत: वही गणना होती है जो वर्तमान में आकाशीय पिंडों की स्थिति है। भारतीय गणना के अनुसार सूर्य अगर कन्या राशि में विचरण कर रहा है, तो आकाश में भी वह कन्या राशि में ही दिखाई देगा।
पाश्चात्य ज्योतिष में वर्ष 1930 में पाश्चात्य ज्योतिष विद्वान सीईओ कार्टर ने आकाशीय पिंडों की गति की गणना कर उनके लिए कुछ नियम निर्धारित किए। उसके अनुसार ही आज तक गणना की जा रही हैं। करीब एक सदी बीत जाने तक उन गणनाओं में किसी प्रकार का करेक्शन नहीं किया गया है, जबकि हकीकत यह है कि हर साल सूर्य आकाशमण्डल में करीब 0 डिग्री 73 मिनट आगे खिसक जाता है, यानी 61 साल में राशि परिवर्तन कर लेता है।
भारतीय ज्योतिष में जहां इस करेक्शन की गुंजाइश को मूल गणनाओं में ही रखा गया है, वहीं पाश्चात्य ज्योतिष में ऐसी गणना का आधार ही नहीं लिया गया है, ऐसे में रूढ़ हुई गणनाओं के कारण सूर्य अपने स्थान से खिसक नहीं रहा। इसका परिणाम यह हुआ है कि पाश्चात्य गणना के अनुसार वर्तमान में सूर्य जिस राशि में है, आकाश में वहां दिखाई नहीं देता है। पाश्चात्य ज्योतिष के अनुसार…
Approximate dates of Sun signs
- Aries March 21 April 19
- Taurus May 20 April 20
- Gemini May 21 June 20
- Cancer June 21 July 21
- Leo July 22 August 21
- Virgo August 22 September 21
- Libra September 22 October 21
- Scorpio October 22 November 21
- Sagittarius November 22 December 21
- Capricorn December 22 January 20
- Aquarius January 21 February 19
- Pisces February 20 March 20
इन तारीखों में भी पिछले कुछ सालों में मामूली रद्दोबदल किया जाता है, मोटे तौर पर कमोबेश यही तारीखें रहती हैं। जबकि भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य की स्थिति में पिछले सौ सालों में भारी परिवर्तन हुआ है। पिछले 63 साल में ही करीब एक दिन सूर्य को आगे खिसकाया जा चुका है। इसे आप सूर्य आधारित त्योहार लोहड़ी में अधिक स्पष्ट रूप में देख सकते हैं। कुछ साल पहले तक लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाती रही है, वहीं पिछले तीन चार साल से इसका संक्रमण 13 से 14 जनवरी की ओर हो रहा है।
पाश्चात्य ज्योतिष में मनुष्य के व्यवहार का आंकलन उसकी सूर्य राशि से किया जाता है। अब रूढ़ हुई सूर्य राशि का नतीजा यह है कि पूर्व में जो गुण तुला के सूर्य के बताए जाते रहे हैं, वहीं गुण कन्या के सूर्य के बताए जाने लगे हैं। राशियां स्थिर है, ज्योतिषियों ने अपने ऑब्जर्वेशन बदलने शुरू कर दिए हैं। दीर्घकाल में इसका दुष्परिणाम यह होगा कि जब सूर्य भचक्र में काफी दूर निकल जाएगा, तब पुराने विश्लेषण किसी काम नहीं आ पाएंगे, हर दौर में पश्चिमी ज्योतिषी अपने लिए नई धारणाएं बनाएंगे और उसके अनुसार फलादेश करने का प्रयास करेंगे।
वहीं भारतीय ज्योतिष ने कभी सूर्य को मनुष्य के दैनिक व्यवहार के आंकलन का आधार नहीं माना, इसके लिए प्राचीन मनीषियों ने सबसे तेज चलने वाले ग्रह यानी चंद्रमा का चुनाव किया, जो कि एक माह में सभी बारह राशियों और 27 नक्षत्रों के ऊपर से गुजर जाता है। एक राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं। अब दैनिक फलादेश के दौरान फलादेश का एक हिस्सा जहां राशि आधारित होता है, वहीं दूसरा हिस्सा नक्षत्र आधारित रखा जाता है, इससे दैनिक फलादेश आसानी से निकाले जा सकते हैं।
ऐसे में जब आप किसी भारतीय जातक से पूछेंगे कि आपकी राशि क्या है तो वह ज्योतिषियों द्वारा बताई गई चंद्र राशि बताएगा, वहीं पाश्चात्य जातक सूर्य राशि बताएगा। सूर्य एक महीने तक एक ही राशि में रहता है, ऐसे में क्या यह माना जाए कि उस एक महीने के दौरान पैदा हुए सभी जातकों का व्यवहार एक जैसा है। दूसरी तरफ चंद्र राशि को भी कठघरे में खड़ा किया जा सकता है कि एक दिन में पैदा हुए सभी जातकों का व्यवहार एक प्रकार कैसे हो सकता है, जब एक ही माता के गर्भ से कुछ मिनटों के अंतर में पैदा हुए जुड़वा बच्चों का व्यहार ही एक जैसा नहीं है, तो प्रति मिनट पैदा हो रहे तीन बच्चों का और प्रतिदिन पैदा हो रहे करीब चार हजार जातकों का व्यवहार एक ही राशि से किस प्रकार बताया जा सकता है।
चंद्र राशि फलादेश से एक मोटा अनुमान तो लगाया जा सकता है कि आपका दिन अनुकूलता की ओर है या प्रतिकूलता की ओर, लेकिन सटीक फलादेश तो आपकी कुण्डली के पूर्ण विश्लेषण से ही बताया जा सकता है। ऐसे में अगर आप विभिन्न मीडिया स्रोतों से मिल रहे सूर्य या चंद्र राशि फलादेश के आधार पर अपने दिन की योजना बना रहे हैं तो वास्तविकता में इसका कोई औचित्य नहीं है। जिस दिन राम ने रावण को मारा, उस दिन दोनों जातक तुला राशि के थे, एक विजयी हुआ और एक मृत्यु को प्राप्त हुआ।