बुध महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Mercury Mahadasha Remedy)
अधिकांश कुण्डलियों में बुध सूर्य के साथ ही रहते हैं, ऐसे में बुध पर नकारात्मक प्रभाव सूर्य समाप्त कर देते हैं। परन्तु चंचल बुध कभी सूर्य से आगे निकल जाते हैं तो कभी पीछे रह जाते हैं, कभी शुक्र के साथ आ जाते हैं तो कभी शुक्र से भी आगे पीछे हो जाते हैं। ऐसे में राहु, केतु अथवा चंद्रमा से पीडि़त बुध अथवा नीच के बुध नकारात्मक परिणाम देते हैं। अगर बुध छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव में हो तो भी बुध की महादशा के दौरान प्रतिकूल परिणाम मिलने की आशंका बहुत अधिक होती है।
बुध की महादशा (Budh Mahadasha) के अशुभ प्रभाव होने पर जातक को विविध व्याधियां पीड़ित करती है। विशेषकर पेट संबंधी बीमारियाँ पीड़ित करने लगती हैं। जातक को पित्त संबंधी कष्ट भी हो सकते हैं। वात संबंधी कष्ट होते हैं। जातक का स्वजनों से विरोध होता है एवं कार्यस्थल पर असफलता मिलती है। शत्रु व मित्र वर्गो से विभिन्न प्रकार से मतभेद के कारण तनावग्रस्त रहता है। जातक अस्थिर चित्त वाला हो जाता है। जातक का स्वभाव क्रोधी व चिड़चिड़ा होने लगता है। जातक ईर्ष्यालु, द्वेषयुक्त व स्वार्थी हो जाता है। अपनी प्रशंसा पाने के लिए तत्पर रहता है। जातक को जल में डूबने का भय तथा किसी पशु द्वारा आघात मिलने की आशंका रहती है। जातक को पत्नी, संतान एवं इष्ट-मित्रों से व्यर्थ कलह एवं इनके द्वारा चित्त को परिताप पहुँचाता है।
हालांकि बुध बहुत तेजी से बहुत अधिक नुकसान नहीं करते हैं, लेकिन क्रमश: परिस्थितियां प्रतिकूल होती चली जाती हैं, और अंतत: व्यापार, कार्य, वाणी और स्वास्थ्य में नुकसान होता है, जो समय बीतने के साथ बढ़ता चला जाता है। बुध की महादशा 17 साल तक चलती है। अगर इस अवधि में एक बार प्रतिकूलता मिलनी शुरू हो जाए तो यह लगातार नुकसान करती चली जाती है। बहन बेटी को उपहार देकर बुध के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। पन्ना पहनना और गणपति अराधना भी सटीक उपचार हैं, लेकिन बहुत से जातकों को विभिन्न कारणों से पन्ना पहनने की सलाह नहीं दी जा सकती, ऐसे में बुध की महादशा के अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए निम्न जैन मंत्र की सहायता ली जा सकती है। इस मंत्र का नियमित रूप से दस माला का जाप करना होता है…
“ऊं ह्रीं णमो उवज्झायाणं”
इस मंत्र के साथ ही शांति मंत्र करना आवश्यक है, शांति मंत्र की एक माला उपरोक्त मंत्र की दस माला के साथ करना जरूरी है, शांति मंत्र इस प्रकार है…
“ऊं ह्रीं शान्तिनाथ प्रभो नमस्तुभ्यं मम शांति: शांति:”
शांतिनाथ प्रभु के अधिष्ठायक देव गरुड़ की पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुंह करके नीले वस्त्र, नीले आसन, नीली माला, नीले फूल एवं नीले रंग के स्वस्तिक से पूजा करनी चाहिए।
अन्य ग्रहों की महादशा के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जैन मंत्रो द्वारा उपाय जानने के लिए आप निम्न लेख पढ़ सकते हैं। प्रत्येक ग्रह के लिए पृथक लेख द्वारा मंत्रो के प्रयोग को समझाने का प्रयत्न किया है।
सूर्य की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
Sun Mahadasha Remedy in Jain Mantra
चन्द्रमा की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Moon Mahadasha Remedy)
मंगल की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Mars Mahadasha Remedy)
गुरु (बृहस्पति) की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Jupiter Mahadasha Remedy)
शुक्र की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Venus Mahadasha Remedy)
शनि की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Saturn Mahadasha Remedy)
राहु की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
(Jain Mantra for Rahu Mahadasha Remedy)
केतु की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र
Jain Mantra for Ketu Mahadasha Remedy