ज्योतिष सलाह संबंधी सेवाएं देने के दौरान हमारे पास लोग अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। इस लेख में मैं उन कुछ सवालों को शामिल कर रहा हूं, यह स्पष्ट करने के लिए कि एक ज्योतिषी (astrologer) आपकी समस्या को लेकर किस प्रकार समाधान दे सकता है, किस प्रश्न के केवल उत्तर होते हैं, किन प्रश्नों के जवाब में उपचार भी बताए जा सकते हैं और किन प्रश्नों के जवाब ज्योतिषीय कोण से देने संभव नहीं हैं।
कई बार जातक अपनी बात पूरी बताता है, इसमें यह भी जानकारी देता है कि वर्तमान में वह किस प्रकार की समस्या से गुजर रहा है, लेकिन इससे ज्योतिषी की मदद नहीं होती, पूरी स्थिति स्पष्ट होने के बाद भी ज्योतिषी के लिए यह जरूरी होता है कि उस विशिष्ट परिस्थिति में आपका सवाल ज्योतिषी के लिए क्या है, क्योंकि हर एक प्रश्न कुछ कुछ गणितीय सूत्र की तरह होता है।
केवल विवाह का प्रश्न ही अपने आप में दूसरा यानी कुटुंब, पंचम यानी संतान, सप्तम यानी जीवन साथी, एकादश यानी लाभ भाव को समेटे हुए होता है। यह स्थिति केवल विवाह से पूर्व की है, अगर विवाह हो चुका है, उसके बाद की जटिलताओं पर बात हो रही है, तो उसमें दशाओं का क्रम और समस्या से जुड़े अन्य भावों पर भी विचार करना होता है।
जातक की चिंता : व्यापार में सफलता नहीं मिल रही
ज्योतिषी सिद्धार्थ : ज्योतिषीय दृष्टिकोण से व्यापार को मोटे तौर से तीन भागों में बांटकर देखा जाता है, पहला है उत्पादन, दूसरा ट्रेडिंग और तीसरा है सेवा क्षेत्र। इसके साथ ही पारिवारिक व्यापार और खुद का स्टार्टअप भी अलग अलग श्रेणियों में आएंगे, नौकरी के साथ किया जाने वाला व्यापार बिल्कुल अलग श्रेणी का होगा, दीर्घ अवधि में किए जाने वाले निवेश को व्यवसाय के बजाय अतिरिक्त आय की श्रेणी में रखा जाएगा। कुछ व्यापार गैर परंपरागत तरीके के भी होते हैं, जैसे शेयर बाजार में डेली ट्रेडिंग, जमीनों के सौदे, छोटी अवधि के प्रोजेक्ट्स और दूसरों के व्यापार में निवेश कर धन कमाना। कई बार चलते व्यवसाय में धन अटकने लगता है।
इन सभी स्थितियों के बीच विश्लेषण कर बताया जा सकता है कि जातक को प्रमुख रूप से क्या करना चाहिए, कई बार पारिवारिक व्यवसाय होने पर जातक अपने परिवार के बड़ों के साथ व्यवसाय में जुट तो जाता है, लेकिन मध्य वय आने तक परिवार के वरिष्ठजनों का साथ छोड़ देने के बाद तेजी से बड़े घाटे लगने लगते हैं, क्योंकि जातक के खुद के व्यापार के योग नहीं होते, वरिष्ठजन की छत्रछाया तक व्यापार चल जाता है, लेकिन बाद में वही सेटअप नुकसान का घर बन जाता है। ऐसे जातकों को यह बताना भी टेढ़ी खीर होता है कि अब तक किया व्यवसाय वास्तव में एक नौकरी की तरह था, और अब आगे आपको नौकरी ही करनी होगी।
जातक ट्रिक शॉट पूछता है : क्या पत्नी के नाम से व्यापार किया जा सकता है
ज्योतिषी सिद्धार्थ : नहीं, डेड इन्वेस्टमेंट यानी ऐसा निवेश जिसमें कि एक बार निवेश करने के बाद वापस उस संबंध में दोबारा निर्णय लेने की जरूरत नहीं पड़े, ऐसे निवेश किसी और के नाम से कर लाभ कमाया जा सकता है, जैसे सोना, जमीन या दीर्घ अवधि बांड खरीदना। परन्तु सक्रिय व्यवसाय की समस्या यह होती है कि उसमें रियल टाइम डिसिजन मेकिंग होती है, उससे बचा नहीं जा सकता, अगर जातक की खुद की कुण्डली में व्यवसाय का योग नहीं है तो गलत निर्णय होने और उससे नुकसान की आशंका प्रबल रहती है। ऐसे में किसी और के नाम से व्यापार नहीं किया जा सकता, जब तक खुद जातक की कुण्डली में योग न हो।
जातक के परिजनों की चिंता : विवाह कब होगा?
ज्योतिषी सिद्धार्थ : जिस तेजी से माहौल बदल रहा है, पहले विवाह को समझना होगा। शारीरिक सुख से लेकर सामाजिक हैसियत और संतानोपत्ति से लेकर लाभ की स्थितियां विवाह में शामिल हैं। ऐसे में ज्योतिषी जिस प्रसिद्ध अवधारणा का सहारा लेते हैं, वह यह है कि दोनों परिवारों की सहमति से वर और वधू का विवाह सार्वजनिक आयोजन के साथ कब होगा। यह विवाह के आठ प्रकारों में से मात्र एक प्रकार प्रजापति विवाह है। इसके लिए शनि, गुरू, मंगल और शुक्र के गोचर और जातक की कुण्डली के मेल से विवाह का समय निर्धारित किया जाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में विवाह के अवसर तीन बार स्पष्ट तौर पर बनते हैं। बचपन में विवाह होने पर जातक अच्छे माहौल में रहता है, युवावस्था में विवाह योग बनने पर जातक का विवाह होता है और वृद्धावस्था में उसी विवाह योग के बनने पर अर्थी सजती है। तीनों ही पड़ाव महत्वपूर्ण है। कुछ जातकों के युवावस्था में भी विवाह के एक से अधिक योग बनते हैं, लेकिन यह अपेक्षाकृत कम मामलों में होता है।
ज्योतिषी आपकी यह मदद कर सकता है कि प्रजापति विवाह का समय निकालकर दे सकता है, अगर विवाह में किसी प्रकार की बाधा है तो उसके निवारण के उपाय बता सकता है, इसमें राहु के उपचार, मंगल के उपचार और शनि की दृष्टि से हो रहे विलंब के उपचार शामिल हैं।
जातक का प्रश्न : सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं
ज्योतिषी सिद्धार्थ : कुछ साल पहले तक यह प्रमुख सवाल हुआ करता था, अब भी बहुत से युवा जातकों और उनके परिजनों का यह मुख्य सवाल होता है कि जातक को सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं। ज्योतिष में कहीं भी सरकारी नौकरी के योग नहीं दिए गए हैं। ज्योतिष में राजयोग होता है, इसका अर्थ होता है कि जातक अच्छा जीवन जीएगा, लेकिन वह सरकारी नौकरी की गारंटी नहीं होता है। आजादी के बाद अर्से तक एकमात्र सरकारी नौकरियां ही ऐसी नौकरियां थीं, जहां जातक को मान सम्मान और सुरक्षा तीनों आसानी से मिल जाती थी, लेकिन अब वर्तमान दौर में कॉर्पोरेट की नौकरियां कहीं कहीं सरकारी नौकरियों से भी बेहतर हैं। स्वरोजगार से धन अर्जन करने वाले नौकरीपेशा लोगों से अच्छा कमा रहे हैं, आईटी के क्षेत्र में सेवा दे रहे लोगों को भी राजयोग वाला जीवन जीने जैसा काम मिल रहा है। दूसरी तरफ सरकारी नौकरियों में स्थितियां दिन प्रतिदिन कठिन होती जा रही हैं। काम का बोझ बढ़ रहा है, सुरक्षा और सुविधाएं लगातार कम हुई हैं। ऐसे में राजयोग नहीं होने पर भी जातक की सरकारी नौकरी लग सकती है और राजयोग होने पर जातक सरकारी नौकरी से बेहतर स्थिति में आ सकता है। वास्तव में सवाल यह है कि क्या जातक की कुण्डली में राजयोग है और अगर है तो वह कब तक पूरी तरह फलित होगा।
जातक का प्रश्न : राहु केतु के उपाय
ज्योतिषी सिद्धार्थ : राहु, केतु और शनि की दशाएं हर जातक को परेशान करती हैं। देखा जाए तो किसी जातक की कुण्डली खुलती ही तब है जब इनमें से किसी दशा, अंतरदशा अथवा प्रत्यंतर का दौर हो और व्यवहारिक रूप से परिस्थितियां जातक के नियंत्रण से बाहर हो रही हों। ऐसे में कई कालसर्प और साढ़ेसाती का नाम लेकर बहुत से ज्योतिषी अपने जातकों को डराते हैं, और इन दशाओं के उपचार के लिए एकमुश्त मोटा उपचार करने की सलाह देते हैं। हकीकत में इन ग्रहों का दशाकाल अधिकांशत: खराब ही जाएगा, अब जब ग्रह रोजाना स्थितियों को कठिन बना रहे हों, तो कोई एकमुश्त उपचार इनका समाधान नहीं कर पाता है। एकबारगी दान अथवा एक बारगी बड़ी पूजा कराने पर कई दिन स्थितियां अनुकूल रहती हैं, लेकिन फिर से जातक उसी दुष्चक्र में आ गिरता है। ऐसे में मेरा अनुभव कहता है कि इन दशाओं के दौरान जातक को खुद ही नियमित रूप से उपचार करने पड़ते हैं। हर कुण्डली के लिए उपचारों का आयाम और क्रम अलग अलग होता है। अगर कोई जातक यह विचार करे कि उसके स्थान पर कोई और उपचार कर ले और उसे लाभ हो जाए, तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ऐसा संभव नहीं है। खाए कोई एक और शरीर की पुष्टि किसी और की हो, ऐसा संभव नहीं है। मारक अथवा बाधक के दौर में दूसरों द्वारा किया गया महामृत्युंज का पाठ कुछ हद तक सहायता कर सकता है, लेकिन ग्रहों की दशा के दौरान किए जाने वाले उपचारों में यह बात लागू नहीं होती है। ऐसे में जातक को सक्षम ज्योतिषी की सलाह लेकर उपचार जानने चाहिए और पूरे अनुशासन के साथ सभी उपचार करने चाहिए। ऐसे में उपचार प्रायश्चित की तरह बन जाते हैं और खराब दौर में भी जातक अनुकूल स्थितियां निकाल लेता है, कम से कम डैमेज कंट्रोल तो कर ही लेता है।
जातक का प्रश्न : पत्नी कैसी होगी अथवा पति कैसा होगा
ज्योतिषी सिद्धार्थ : विवाह के बाद सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल यही होता है कि पत्नी अथवा पति कैसा होगा। किसी एक जातक की कुण्डली को देखकर दूसरे जातक के बारे में नहीं बताया जा सकता। परन्तु यह स्पष्ट तौर पर बताया जा सकता है कि जातक का खुद का वैवाहिक जीवन किस प्रकार का होगा और उसका अपने जीवनसाथी से संबंध कैसा रहेगा। यह अच्छा हो या खराब, लेकिन इससे दूसरे जातक के व्यक्तित्व अथवा गुणों को नहीं बताया जा सकता है। एक जातक अपनी कुण्डली से अपने बारे में, अपने माता पिता से संबंध, भाई बहनों से संबंध, पत्नी से संबंध और बच्चों से संबंध में बारे में जान सकता है, लेकिन इन लोगों के गुण दोषों के बारे में नहीं जान सकता।
जातक का प्रश्न : विदेश जाने के योग
ज्योतिषी सिद्धार्थ : किसी जमाने में दिसावर जाने को दुर्योग माना जाता था, ऐसे लोगों को अभागों की श्रेणी में रखा जाता था, जिनकी कुण्डली में घर छोड़कर बाहर बसना लिखा होता था। लेकिन पश्चिमी सभ्यता के विकसित होने और देश में संभावनाओं के कम होने के चलते पिछले कुछ दशकों में यह सवाल एक अनुकूलता के रूप में पूछा जाने लगा है कि जातक की कुण्डली में विदेश जाने के क्या योग हैं। अगर कोई केवल घूमने फिरने अथवा मौज मस्ती के लिए विदेश जाता है, तो ज्योतिषीय कोण से इसे अच्छा योग और अनुकूल दशा मानी जाएगी, लेकिन वास्तव में जातक पूछ रहा होता है कि क्या वह देश छोड़कर विदेश बस सकता है। ऐसे में ज्योतिषी देखता है कि कुटुंब से अलगाव की क्या संभावना है, दीर्ध अवधि और अधिकतम दूरी की यात्रा के योग किस प्रकार हैं, प्राणशक्ति कम होने के क्या आसार हैं और सामाजिक हैसियत खत्म होने की क्या स्थिति है। अगर ये सभी चीजें इस प्रकार मिले कि जातक परिवार से दूर होगा, लगातार यात्राएं करेगा, प्राणशक्ति और सामाजिक हैसियत कम होगी, तो यह फलादेश किया जाता है कि जातक घर से दूर जाएगा। लाखों में एकाध ही ऐसा होता है कि जातक विदेश जाकर वहीं धन के साथ मान सम्मान और सामाजिक हैसियत प्राप्त करे, बाकी अधिकांश मामलों में इनका नुकसान ही होता है। जातक की कुण्डली में श्रेष्ठ योग होने पर वह अपने स्थान पर ही रहकर प्रगति करता है और अनुकूलताएं प्राप्त करते हुए उन्हें अपनी अगली पीढ़ी को सौंपता है।
जातक का प्रश्न : नौकरी बदलने की सूरत
ज्योतिषी सिद्धार्थ : नौकरी में बदलाव तीन कारणों से स्पष्ट रूप से होते हैं। पहला वर्तमान नौकरी से जी उचट जाना, दूसरा बेहतर संभावनाओं के द्वार नजर आना और तीसरा नौकरी छोड़कर खुद का काम शुरू करने की योजना मन में होना। इन तीनों ही स्थितियों में जातक का भविष्य कुछ हद तक अनिश्चितता की ओर बढ़ता है। यहीं पर एक ज्योतिषी के रूप में हम मदद कर सकते हैं। अगर राहु की महादशा चल रही हो अथवा बड़ी महादशाओं में संक्रमण हो रहा हो तो जातक वर्तमान नौकरी से उचटकर उससे अलग होना चाहता है, उस दौर में उसके पास आगे की योजना नहीं होती, लेकिन वर्तमान नौकरी को छोड़ना लक्ष्य बना लेता है। ऐसी सूरत में कभी नौकरी का त्याग नहीं करना चाहिए। नौकरी की असंतुष्टि को लेकर ज्योतिषी उपचार बता सकता है, इससे कार्यस्थल पर अपेक्षाकृत अनुकूलताएं मिलने लगती हैं। अनुकूल दशा जैसे जैसे आगे बढ़ती है, वह संभावनाओं के द्वार खोलते हुए चलती है। जिन दशाओं में आगे बेहतर संभावनाएं मिलने वाली हो, उस दौर में नौकरी में प्रयासपूर्वक परिवर्तन करना चाहिए, इससे आगे बढ़ने का मार्ग खुलता है। यहां ज्योतिषी आपकी यह मदद कर पाता है कि वह बता दे कि वर्तमान दशा अनुकूल है या प्रतिकूल। तीसरी स्थिति स्वयं का व्यवसाय अथवा स्वरोगजार शुरू करने की स्थिति। सभी जातक इतने भाग्यशाली नहीं होते कि एक स्तर पर नौकरी छोड़कर व्यापार शुरू कर दे, लेकिन कई जातकों की कुण्डली में मूलत: व्यापार ही होता है, लेकिन अपने जीवन के शुरूआती दौर में उन्हें एक संगठन के भीतर का अनुशासन और कार्यकुशलता सीखने के लिए नौकरी करनी पड़ती है। ऐसे में ज्योतिषी उन्हें यह बता सकता है कि उन्हें कब नौकरी छोड़कर बाहर आना चाहिए और खुद का काम शुरू करना चाहिए।
ज्योतिष सलाह संबंधी सेवाएं मुख्यत: दो प्रकार की हैं, On Call विश्लेषण और उपचार जानने के लिए आपको 2100 रुपए फीस जमा करानी होती है। प्रतिकूल दशा के दौरान विश्लेषण और उपचार के साथ फॉलोअप की जरूरत भी होती है, उसके लिए 11000 रुपए फीस जमा कराएं। On Call विश्लेषण के लिए किसी भी दिन दोपहर 12 से 5 बजे के बीच 9413156400 पर कॉल कर मुझसे संपर्क कर सकते हैं।