कंप्यूटर के प्रयोग से हो सकती है शुक्र के शुभ प्रभावों में कमी |
ज्योतिष के साथ एक बड़ी समस्या है कि नए उपकरणों और साधनों का पुख्ता ज्योतिषीय अर्थ नहीं निकाला जा रहा। ऐसे में छोटी-बड़ी हर वस्तु और साधन के कारकत्व की बात कर रहा ज्योतिषी मोबाइल और कम्प्यूटर (Computer) जैसे साधनों के बारे में बात होते ही चुप हो जाता है।
जबकि जिंदगी का हिस्सा बन चुका कंप्यूटर भी आपकी कुण्डली में शुक्र (venus) के लिए वायरस (virus) की भूमिका निभा सकता है।
अगर कोई ज्योतिषी इस बारे में कोई राय रखता भी है तो वह निजी ही है। मैं अपने इस ब्लॉग के मंच से सभी ज्योतिषियों को आमंत्रित करता हूं कि मेरे एक अनुभव को सही या गलत होने पर अपनी राय दें। मेरी स्पष्ट राय है कि कम्प्यूटर आधुनिक युग में शुक्र का नाश करने वाला है।
जिस जातक को शुक्र से लाभ मिलने वाले हैं, उसे कम्प्यूटर से तुरंत प्रभाव से दूर कर देना चाहिए। मेरी इस राय के पीछे मेरे कुछ प्रयोग समाहित हैं.. आइए उन प्रयासों और प्रयोगों की चर्चा करते हैं।
मेरे एक जातक की कुण्डली में तुला लग्न और शनि की महादशा चल रही है। शनि में शनि का अंतराल चल रहा था, तब तक छिद्र दशा होने के नाते मैंने उसे कहा कि अभी सही समय आने के लिए तुम्हें कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा। जातक ने धैर्य रखा और इंतजार किया।
शनि में बुध का अंतर आने के साथ ही जातक को अपने कार्य-व्यवसाय में अच्छा लाभ मिलने लगा। आमतौर पर मैं अपने जातकों के साथ जुड़ा रहता हूं, लेकिन जहां मुझे लगता है कि अब कुछ अर्से तक समस्या नहीं आएगी तो मेरा ध्यान हट जाता है।
जो ज्योतिष के जानकार हैं वे समझ सकते हैं कि तुला लग्न में कारक ग्रह की दशा आने के बाद अधिक समस्याएं शेष नहीं रहती, लेकिन एक दिन उसी जातक का फोन आया कि वह कठिन समस्या में है। मैंने उसकी कुण्डली देखी और कहा कि शनि भगवान के यहां चक्कर लगाना शुरू कर दो, समय वैसे भी अच्छा चल रहा है, फायदा बढ़ेगा। (कई बार जातकों का आग्रह होता है कि अच्छे समय का अधिकतम उपयोग कैसे किया जाए, मैंने इस जातक को भी इसी श्रेणी में रखा था)।
जातक ने शनि मंदिर जाना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ दिन बाद एक बार फिर उसका फोन आया कि समस्या ज्यों की त्यों है और आय के स्रोत ठप हो गए हैं। यह स्थिति चिंताजनक थी। जातक के प्रतिष्ठान का वास्तु भी मेरा ही देखा हुआ था, सो उसी दिन मिलने के लिए गया।
वहां वास्तु संबंधी कुछ फेरबदल दीपावली की सफाई में कर दिए गए थे, लेकिन बहुत बड़े बदलाव नहीं थे। मैंने सोचा वास्तु संबंधी बदलाव के कारण बाधा आई होगी। जरूरी फेरबदल भी करवा दिए गए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। यह मेरे लिए निजी तौर पर बहुत अधिक हैरानी की बात थी और जातक भी हताश होने लगा था। मेरे पास दो ही तरीके थे, पहला कि मैं जातक को अपने गुरुजी के पास ले चलूं और दूसरा किसी तांत्रिक की सहायता ली जाए।
अगर जातक को गुरुजी के पास लेकर जाता तो गुरुजी पूछते कि मैंने अपने स्तर पर अब तक क्या प्रयास किए हैं। फौरी तौर पर जब कोई समस्या दिखाई नहीं दे रही तो, जातक क्यों परेशान है। इन सवालों को जवाब टेढ़े थे, इस परीक्षा के लिए मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं था, सो तांत्रिकजी के पास चलने का निर्णय किया गया। तांत्रिकजी ने उसी समय अपने घर बैठे बैठे प्रयोग कर दिया।
अब किया या नहीं, पता नहीं, या तांत्रिकजी का निशाना गलत लग गया, या जो भी कारण रहा, एक सप्ताह और सूखा निकल गया। अब जातक के गले तक आया पानी नाक तक पहुंच चुका था। मैंने गुरुजी के पास जाने से पहले आखिरी प्रयास किया। जातक के पुराने रिकॉर्ड को याद करते हुए मैंने उसे कम्प्यूटर से दूर होने की सलाह दी।
जातक ने बाकी सबकुछ मेरे कहने अनुसार लगा रखा था, लेकिन एक कम्प्यूटर अपने रेगुलर कस्टमर डाटा के लिए उसने अपने डेस्क पर ही रख रखा था। कम्प्यूटर दूर करने की सलाह का निशाना तीर की तरह सही लगा। अगले दो दिन में काम-काज में फिर सुधार होने लगा। एक बार रास्ता खुलने के साथ ही जातक का हौसला बढ़ा और फिर से पुरानी लय प्राप्त कर ली।
निष्कर्ष – कम्प्यूटर या कम्प्यूटर जैसा उपकरण शुक्र का शोषण करता है। ऐसे में शुक्र से लाभान्वित होने वाले जातकों और शुक्र की महादशा वाले जातकों को कम्प्यूटर से यथासंभव दूर रहने का प्रयत्न करना चाहिए।
अब बात शुक्र के शोषण की
शुक्र ग्रह के बारे में कोई राय स्थापित करने से पहले इसकी प्रकृति को समझना जरूरी है। पूर्व में भी कई बार शुक्र का जिक्र आ चुका है और भोग व विलासिता के संदर्भ में शुक्र को बहुत से मामलों में गलत भी समझा जाता रहा है। जबकि शुक्र गुणों में देवताओं के गुरु ब्रहस्पति के समकक्ष है, क्यों शुक्र खुद गुरु है, लेकिन राक्षसों के।
जब तुला लग्न हो तो इस लग्न में शुक्र लग्न और अष्टम भाव का अधिपति बनता है। इस लग्न में शनि कारक ग्रह है। शुक्र को शनि का चेला बताया गया है। यानि जहां शनि का नुकसान हो रहा होता है वहां शुक्र अपना बलिदान कर शनि की रक्षा करता है। कप्यूटर एक सेल्फ ल्युमिनेटेड (स्व प्रकाशित) इकाई है।
इसकी स्क्रीन पर सदैव जगमगाते दृश्य तैरते रहते हैं। अगर हम इंटरनेट पर होते हैं तो इन दृश्यों के बदलने की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है। जातक के पास अनलिमिटेड इंटरनेट था, जिस पर वह लगातार सर्फिंग कर रहा था। ऐसे में शनि (नियमितता और अनुशासन) को नुकसान पहुंच रहा था।
शनि के नुकसान को शुक्र ने भोगा और जातक की आय के स्रोत बेहतरीन दशा के बावजूद बाधित हो गए। जैसे ही जातक की टेबल से कम्प्यूटर को हटाया गया, शुक्र फिर से मजबूत हुआ और आय के स्रोत खुल गए। यह मेरा ऑब्जर्वेशन है।
मनोरंजन के अन्य नियमित साधन
नई सदी में हमें मनोरंजन के कम्प्यूटर की तरह कई साधन मिले हैं, जो हमारे दिनचर्या और जीवनचर्या के महत्वपूर्ण भाग का दोहन कर रहे हैं। कहने को यह सूचना क्रांति है, लेकिन हम सूचनाओं के इतर बहुत से दूसरे उपांगों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। मसलन टीवी पर दिखाए जाने वाले सीरियल।
ये सीरियल अच्छे मायने में हमें बेहतरीन फिक्शन अथवा नॉन फिक्शन से रूबरू कराते हैं, लेकिन आधे घंटे का एक कार्यक्रम करीब दस से पंद्रह मिनट का विज्ञापन समय भी लपेटे हुए होता है। अब चूंकि हम इसके प्रति सजग नहीं है, सो वह समय हमारी इच्छा के बगैर खाया जा रहा है।
इसी तरह मोबाइल उपकरणों में भी ऐसे में तमाम साधन मुहैया कराए गए हैं जो हमारा समय, श्रम, धन और चेतना का ह्रास कर रहे हैं। इनके संदर्भ में भी शुक्र का अध्ययन और किए जाने की जरूरत महसूस होती है।
कैसे पता लगेगा कि कम्प्यूटर क्या नुकसान दे रहा है?
इस सवाल का जवाब देने से पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा उद्देश्य कम्प्यूटर से एलर्जी कराना या इस अभूतपूर्व साधन से दूर करना नहीं है। इसके बावजूद ज्योतिषीय दृष्टिकोण से हमें उन चीजों को भी समझना और पारिभाषित करना होगा जो लगातार हमारी जीवनचर्या का हिस्सा बनती जा रही हैं। ऐसे में पहली बारी कम्प्यूटर की आई है तो आगे मोबाइल, आईपोड और आईपेड या सामान्य मोबाइल तक को लेंगे।
उपरोक्त सवाल ब्लॉग की ही एक पाठक ने पूछा है। इस सवाल को दो कोण से देखा जा सकता है। पहला तो यह कि क्या कम्प्यूटर एक ही तरह का नुकसान देता है और दूसरा यह कि अगर कई तरह के नुकसान देता है तो कैसे पता लगाएंगे कि क्या क्या नुकसान हो रहा है। इसके लिए हमें पहले शुक्र की प्रकृति को समझना होगा।
राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य पेशे से शिक्षक हैं। शुक्र रजोगुणी है। राज करना या विलास करना इसके तहत आता है। भौतिक उपभोग की वस्तुओं, सामान्य वैवाहिक एवं सांसारिक वस्तुओं के मिलने और उनके उपयोग के रास्ते भी शुक्र के जरिए ही खुलते हैं। शुक्र हर उस कोण को प्रभावित करता है जो भौतिक जगत में जातक के भोग के लिए जरूरी है और उसे आरामदायक अवस्था में ले जाती है।
ये मशीनें भी हो सकती हैं और जीवित वस्तुएं भी, यह भूमि और मकान हो सकते हैं या मनोरंजन के दैहिक अथवा पराभौतिक साधन। हम शुक्र की प्रकृति पर ही चर्चा करें तो कुछेक ग्रंथ लिखे जा सकते हैं।
शुक्र की प्रकृति जान लेने के बाद हमें पता लगाना होगा कि जातक की कुण्डली के कौनसे भाव शुक्र से प्रभावित हो रहे हैं। उन भावों के अनुसार फलादेश निकाला जा सकेगा कि वर्तमान में शुक्र के नष्ट होने से जातक को क्या और कैसे नुकसान हो रहा है या फिर कोई नुकसान नहीं हो रहा।
पूर्व में मैंने तुला लग्न के जातक का उदाहरण लिया था। इस बार कर्क और धनु लग्न के जातकों के बारे में बात की जा सकती है। कर्क लग्न के जातकों के लिए शुक्र जहां एकादशेश का अधिपति होगा, वहीं कुण्डली में जिस भाव में उसकी उपस्थिति होगी उसे भी प्रभावित करेगा।
कृष्णामूर्ति पद्धति का अनुसरण करते हुए गणना करें तो शुक्र जिन भावों का सिग्निफिकेटर होगा, उन भावों को प्रभावित करेगा। दूसरी ओर धनु लग्न में शुक्र कमोबेश अकारक ही रहेगा। जैसा हमारे गुरुजी कहते हैं साधु के घर में भोगी का क्या काम।इसी तर्ज पर हमें गणना करनी होगी कि शुक्र का ह्रास होने से कहां, क्या और कितना नुकसान होने की आशंका बनी हुई है।