पाराशर ज्योतिष एक प्राचीन और व्यापक विद्या है, जिसमें जीवन के हर पहलू को समझने और भविष्यवाणी करने की क्षमता है। महर्षि पराशर द्वारा प्रतिपादित यह प्रणाली आज भी उतनी ही प्रासंगिक और प्रभावी है जितनी कि वैदिक काल में थी। यह शास्त्र न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी इसका उपयोग करके लोग अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं। पाराशरीय ज्योतिष के सिद्धांत और तकनीकें व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्याओं का समाधान निकालने और उसके जीवन को सुखद और समृद्ध बनाने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
पाराशर ज्योतिष भारतीय वैदिक ज्योतिष का एक प्रमुख और प्राचीन पद्धति है, जिसका नाम महर्षि पराशर के नाम पर रखा गया है। महर्षि पराशर वेदों और शास्त्रों के प्रख्यात ऋषि माने जाते हैं, और उन्होंने ज्योतिष शास्त्र के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक “बृहत् पाराशर होरा शास्त्र” की रचना की थी। यह ग्रंथ वैदिक ज्योतिष के मूल सिद्धांतों का आधार है और इसे ज्योतिष शास्त्र का स्तंभ माना जाता है।
पाराशरीय ज्योतिष की उत्पत्ति
पाराशरीय ज्योतिष की जड़ें वैदिक काल में हैं, जब ऋषियों और मुनियों ने ब्रह्मांडीय शक्तियों और ग्रहों की गतियों का अध्ययन किया। महर्षि पराशर ने इस ज्ञान को संकलित किया और इसे व्यवस्थित किया। उनके द्वारा रचित बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में 18,000 श्लोक हैं, जिनमें से कई आज भी प्रयोग में आते हैं। इस शास्त्र में ग्रहों, राशियों, भावों, दशाओं, और अन्य ज्योतिषीय अवधारणाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है।
पाराशरीय ज्योतिष का संरचना
पाराशरीय ज्योतिष मुख्य रूप से तीन महत्वपूर्ण तत्वों पर आधारित है: ग्रह, राशि, और भाव। इन तीनों का संयोजन किसी भी जातक की जन्म कुंडली को निर्धारित करता है और उसके जीवन की घटनाओं का पूर्वानुमान करता है।
ग्रह (Planets): ज्योतिष में नौ ग्रहों का महत्व है – सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु। प्रत्येक ग्रह का एक विशेष गुण और प्रभाव होता है जो जातक के जीवन पर पड़ता है। ग्रहों की स्थिति और उनकी आपसी युति, दृष्टि और बल को समझने के लिए पाराशरीय ज्योतिष में विशद नियम और सिद्धांत हैं।
राशि (Zodiac Signs): बारह राशियों का प्रत्येक 30 डिग्री का एक खंड होता है, जो ग्रहों की स्थिति को निर्धारित करता है। मेष से लेकर मीन तक, हर राशि की अपनी विशिष्टता और गुण होते हैं। ये राशियाँ ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव को निर्धारित करती हैं।
भाव (Houses): कुंडली में 12 भाव होते हैं, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि आय, स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, संतान, आदि। प्रत्येक भाव का एक विशेष स्वामी होता है, और यह भाव ग्रहों और राशियों के साथ मिलकर जातक के जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का संकेत देता है।
पाराशरीय दशा प्रणाली : पाराशरीय ज्योतिष की एक प्रमुख विशेषता इसकी दशा प्रणाली है, जिसे “विम्शोत्तरी दशा” कहा जाता है। यह प्रणाली किसी जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर उसके जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का समय निर्धारण करती है। प्रत्येक ग्रह का एक निश्चित अवधि (वर्षों में) का प्रभाव होता है, जो दशा, अंतरदशा और प्रत्यंतरदशा के रूप में जातक के जीवन में प्रभाव डालता है।
विम्शोत्तरी दशा : विम्शोत्तरी दशा प्रणाली में कुल 120 वर्षों का चक्र होता है, जो नौ ग्रहों में विभाजित होता है। हर ग्रह की दशा की अवधि इस प्रकार होती है:
सूर्य: 6 वर्ष
चंद्रमा: 10 वर्ष
मंगल: 7 वर्ष
राहु: 18 वर्ष
गुरु: 16 वर्ष
शनि: 19 वर्ष
बुध: 17 वर्ष
केतु: 7 वर्ष
शुक्र: 20 वर्ष
इन दशाओं का प्रभाव जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है, और इस प्रणाली के माध्यम से ज्योतिषी भविष्यवाणियाँ करते हैं।
योग और उनके प्रभाव
पाराशरीय ज्योतिष में योग का विशेष महत्व है। योग वह स्थिति होती है जब दो या दो से अधिक ग्रह एक विशेष प्रकार से युति, दृष्टि या अन्य संयोजन में होते हैं। कुछ प्रमुख योग हैं:
राजयोग : जब कुंडली में ग्रहों का विशेष संयोजन जातक के जीवन में राजसी सुख-सुविधाओं और उच्च पद का संकेत देता है।
धनयोग : यह योग जातक के जीवन में धन-सम्पत्ति और समृद्धि लाता है।
विपरीत राजयोग : जब अशुभ ग्रह शुभ फल देने लगते हैं, तो यह योग बनता है और जातक के जीवन में अनपेक्षित लाभ होते हैं।
गोचर और उनका महत्व
गोचर (ग्रहों का वर्तमान समय में संचरण) पाराशरीय ज्योतिष का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है। जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर, जब ग्रह अपनी चाल बदलते हैं या विभिन्न राशियों में प्रवेश करते हैं, तो वे जातक के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। गोचर का अध्ययन करके भविष्यवाणी की जाती है कि कौन से समय में जातक के जीवन में सुखद या कष्टदायक घटनाएँ घटित हो सकती हैं।
पाराशरीय ज्योतिष के आधुनिक उपयोग
आज के समय में, पाराशरीय ज्योतिष का प्रयोग न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में किया जाता है। इसके सिद्धांत और तकनीकें आज भी वैदिक काल की तरह प्रभावी हैं। आधुनिक ज्योतिषी पाराशरीय ज्योतिष का प्रयोग करके जन्म कुंडली, गोचर, दशा और अन्य ज्योतिषीय उपकरणों के माध्यम से लोगों को उनकी जीवन की समस्याओं का समाधान प्रदान करते हैं।
और देखें…
लघु पाराशरी सिद्धान्त के सभी 42 सूत्र (भाग-1) | All 42 sutras of Laghu Parashari Siddhant
लघु पाराशरी सिद्धान्त के शेष सूत्र (भाग-2) | All sutras of Laghu Parashari Siddhant