ऋण मुक्ति का चौबीसा (Loan Tricks)
आप हैं कर्ज के मारे तो परेशान न हों। वैसे भी जीवन में लगभग सभी को कर्ज कभी-कभार लेना पड़ जाता है। लेकिन कुछ ऐसे टिप्स हैं, जिनका ख्याल रखा जाए तो कर्जा जल्दी उतर भी जाता है। आप इनमें से कोई भी एक उपाय अपना सकते हैं। हर उपाय टेस्टेड है और सैकड़ों लोगों को इनसे लाभ हुआ है।
1-मेष, कर्क, तुला व मकर चर लग्न हैं। इन लग्न में कर्ज लिया जाए तो जल्द ही निस्तारित हो जाता है। यह तो रही लेने वाले की बात, लेकिन चर लग्न में कर्जा देना नहीं चाहिए। चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा।
2- किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि, शुक्ल पक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।
3- हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्जा उतारने से मुक्ति मिलती है।
4- कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।
5- कर्ज लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव बाहर निकालें तो कार्य सिद्धि होती है, परंतु कर्ज देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना है।
6- लाल मसूर की दाल का दान दें।
7- वास्तु अनुसार ईशान कोण को स्वच्छ व साफ रखें।
8- वास्तुदोष नाशक हरे पत्थर या पन्ना की खरड़ के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं।
9- हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ करें।
10- ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।
11- बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है
12- सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।
13- सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र का नित्य एकादश पाठ करें।
14- घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।
15- श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह कार्य नियमित रुप से ७ शनिवार को किया जाना चाहिए।
16- पांच गुलाब के फूल, एक चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में इक्कीस बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा सात सोमवार को करें।
17- ताम्रपत्र पर कर्जनाशक मंगल यंत्र (भौम यंत्र) अभिमंत्रित करके पूजा करें या सवा चार रत्ती का मूंगायुक्त कर्ज मुक्ति मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके गले में धारण करें।
18- सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करने से सफलता मिलती है।
19॰ कुश की जड़, बिल्व का पञ्चांग (पत्र, फल, बीज, लकड़ी और जड़) तथा सिन्दूर- इन सबका चूर्ण बनाकर चन्दन की पीठिका पर नीचे लिखे मन्त्र को लिखे। तदन्तर पञ्चोपचार से पूजन करके गो-घृत के द्वारा 44 दिन तक प्रतिदिन सात बार हवन करे। मन्त्र की जप संख्या कम-से-कम १०,००० है, जो ४४ दिनों में पूरी होनी चाहिये। 43 दिनों तक प्रतिदिन 228 मन्त्रों का जाप हो और 44 वें दिन 196 मन्त्रों का। इसके बाद एक हजार मन्त्र का जप दशांश के रुप में करना आवश्यक है। मन्त्र इस प्रकार है-
“ॐ आं ह्रीं क्रौं श्रीं श्रियै नमः ममालक्ष्मीं नाशय नाशय मामृणोत्तीर्णं कुरु कुरु सम्पदं वर्धय वर्धय स्वाहा।”
20- ऋण मुक्ति के लिये निम्न मंत्रों में से किसी एक का जाप नित्य प्रति करें-
(क) “ॐ गणेश! ऋण छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्।”
(ख) “ॐ मंगलमूर्तये नमः।”
(ग) “ॐ गं ऋणहर्तायै नमः।”
(घ) “ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान् ऋणात् दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये।”
21- मंगलवार को शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर मसूर की दाल “ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः” मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं।
22- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख सात बार, इक्कीस बार या अधिक-से-अधिक ऋग्वेद के इस प्रसिद्ध मन्त्र का जप करें-
“ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मादभ्रं भूर्या भर। भूरि धेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरि दाह्यसि श्रुतः पुरुजा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
(हे लक्ष्मीपते! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं, बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसारभर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं-उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान्! मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।)
23- नीचे प्रदर्शित यन्त्र को किसी मंगलवार के दिन शुभमुहूर्त में, भोजपत्र के ऊपर, अनार की कलम से अष्टगंध के द्वारा लिखें। इसे प्रतिष्ठित कर निम्न मन्त्र की एक माला जप करें-“ॐ नमः भौमाय” फिर यन्त्र को ताबीज में भरकर धारण करें।
24- “गजेन्द्र-मोक्ष-स्तोत्र” का नित्य एक पाठ करना चाहिए। इसे अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये यदि गजेन्द्र-मोक्ष-स्तोत्र के उपरान्त “नारायण-कवच” का पाठ किया जाये तो अधिक श्रेयष्कर होगा।
लेखक- लखन परिहार