Home Planet ज्‍योतिष : अगर कुण्‍डली में सूर्य नकारात्‍मक परिणाम दे रहा हो

ज्‍योतिष : अगर कुण्‍डली में सूर्य नकारात्‍मक परिणाम दे रहा हो

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कुण्‍डली में सूर्य Sun in Indian astrology sun planet in astrology

सूर्य प्रभावित जातक उन्‍हें कहेंगे जिनकी कुण्‍डली में सूर्य प्रमुख कारक ग्रह हो। सिंह लग्‍न हो अथवा लग्‍न में सूर्य बहुत ही शक्तिशाली प्रभाव लेकर बैठा हो। ऐसे जातक दिखने में शेर की तरह होते हैं। चौड़ा चेहरा, भरा हुआ, आंखें कुछ कुछ गुलाबीपन लिए, बालों का रंग भूरापन लिए होता है, शरीर पर अपेक्षाकृत कम बाल होते हैं। सीधे खड़े होते हैं, सीधे बैठते हैं। ज‍ब बोलते हैं तो पूरे अधिकार के साथ बोलते हैं। बड़े स्‍थान में रहते हैं और भले ही सलीके से बैठे हों, लेकिन उन्‍हें बैठने के बाद भी अपने आस पास काफी स्‍पेस चाहिए होता है। वे सिकुड़कर अथवा भीड़ में नहीं बैठ सकते।

सूर्य प्रभावित जातकों में अगर सूर्य प्रतिकूल परिणाम दे रहा हो तो जातक में घमंड कूट कूटकर भरा होता है। झूठे किस्‍से सुनाते हैं, दूसरों पर रौब गांठने का प्रयास करते हैं, बातचीत में मैं मैं की ध्‍वनि ही सुनाई देती है। किसी पर विश्‍वास नहीं करते। अपनी छोटी छोटी सफलताओं पर जरूरत से अधिक गर्व करने वाले, दूसरे से खुद को श्रेष्‍ठ समझने वाले, अपमान करने वाले और स्‍वार्थी इंसान होते हैं। फिजूलखर्च, बकवादी, अतिमहत्‍वाकांक्षी, भुरभुरे स्‍वभाव के और दंभी होते हैं। अपनी सलाह को सर्वश्रेष्‍ठ मानते हैं, जल्‍दी क्रोधित होते हैं और खीज पैदा करने वाले होते हैं।

सूर्य लग्‍न में

प्रतिकूल होने पर जातक क्रोधी, दुर्वचन बोलने वाला, ब्‍लड प्रेशर का रोगी, नेत्र रोगी, स्‍त्री से कलह करने वाला, माता के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अशुभ, छोटे भाई के धन का नाश करने वाला, रोगी तथा दुखी होता है। सरकारी अधिकारियों से झगड़े का भय, वाहन से चोट का भय, विद्या में विघ्न होता है।

सूर्य द्वितीय में

प्रतिकूल होने पर जातक के अन्‍य स्त्रियों के साथ अवैध संबंध होते हैं तथा वह उन पर धन का नाश करता है। जातक की स्‍त्री को ज्‍वर, कष्‍ट और अल्‍प भूमि सुख होता है। बुआ मासी आदि से झगड़ा रहता है और गुदा में रोग होता है। पिता के लिए रोगकारक और भाइयों के धन का नाश करने वाला होता है।

सूर्य तृतीय में

प्रतिकूल होने पर प्रत्‍येक कार्य में बाधा आती है, लड़ाई झगड़ों में धन का नाश होता है, पड़ोसियों और भाइयों से झगड़ा रहता है, माता से वियोग होता है, पिता के लिए कष्‍टदायक, संतान के लिए भी अशुभ होता है। जातक पर झूठा इल्‍जाम लगता है और समाज में अपमानित होना पड़ता है।

सूर्य चतुर्थ में

प्रतिकूल होने पर ब्‍लड प्रेशर का रोगी होता है। चोरी का स्‍वभाव होता है। धन का अन्‍यान्‍य तरीकों से नाश होता है। माता का सुख अल्‍प होता है। गृहस्‍थ जीवन दुखमय होता है। स्‍त्री कलह और स्‍त्री से अपमान का सामना करना पड़ता है। वाहन से दुर्घटना का भय होता है।

सूर्य पंचम में

प्रतिकूल होने पर प्रेम प्रणय में विफलता और अपमान होता है, पुत्रों से विरोध तथा संतान हानि होती है। जातक को संतान संबंधी चिंता रहती है और अचानक धन हानि होती है। मामा और मासी के लिए अशुभ तथा उदर रोगी होता है।

सूर्य छठे भाव में

प्रतिकूल हो तो जातक हृदय रोगी, कृश शरीर, अंग भंग के भय वाला, सरकारी अधिकारियों से परेशान, झगड़े मुकदमे में धन नाश, शरीर दुबला पतला, दादी के लिए अशुभ तथा जातक को अनेक विपत्तियों का सामना करना पड़ता है।

सूर्य सप्‍तम में

प्रतिकूल हो तो विवाह में विलंब होता है, पति पति दोनों का चरित्र संदेहपूर्ण, जातक पत्‍नी के अधीन रहने वाला, दुश्‍चरित्र स्त्रियों से अवैध संबंध जिससे गुप्‍त रोग तक हो जाते हैं। जातक की स्‍त्री रोगग्रसित रहती है, स्‍त्री को मासिक धर्म में कष्‍ट, दांपत्‍य जीवन में कलह, तलाक की आशंका। कई बार जातक के दो विवाह का योग भी बन जाता है। आंख का रोगी तथा सरकारी अधिकारियों से परेशान होता है। संतान भी कष्‍ट में रहती है।

सूर्य अष्‍टम में

प्रतिकूल हो तो मुकदमे और झगड़े में धन हानि होती है। स्‍त्री पक्ष के धन का नाश करने वाला होता है। परस्‍त्री रत होता है। स्त्रियों से अपमानित होता है। अपनी ही स्‍त्री द्वारा विरोध झेलना पड़ता है। पत्‍नी की अल्‍पायु होती है। अर्धनपुंसक तथा रोगी होता है।

सूर्य नवम भाव में

प्रतिकूल हो तो जातक मूडी होता है। पिता के भाग्‍य के लिए हानिकारक होता है। ससुराल के धन का नाश करता है। यात्रा में हानि होती है। विदेश में धन का नाश करता है। पिता से कलह रहती है। साले सालियां उसके विरोधी होते हैं।

सूर्य दशम भाव में

प्रतिकूल हो तो राजनीति में विफलता, सत्‍तानाश का भय, पिता का विरोधी, पुत्रों द्वारा विरोध तथा व्‍यापार में धन नाश होता है। चुनाव में हार होती है।

सूर्य एकादश भाव में

प्रतिकूल हो तो कम संतान होती है, पिता को यात्रा में हानि होती है, ताया, चाचा, बुआ के धन का नाश करता है। बड़े भाई के लिए अशुभ होता है। राजनी‍ति में विफलता मिलती है। चुनावों में हार, संतान सुख अल्‍प होता है। संतान के धन का नाश करता है। माता की आयु के लिए भी अरिष्‍ट होता है।

द्वादश भाव में

प्रतिकूल हो तो विदेश में जाकर विफल होता है और धन का नाश करता है। विदेश से रोगग्रस्‍त होकर लौटता है। विधवा तथा नीच स्त्रियों से अवैध संबंध रखता है। आंख का रोगी और फूहड़ होता है। पत्‍नी तथा दादी के लिए रोगकारक होता है। शत्रुओं से पीडि़त रहता है और पैतृक संपत्ति का नाश करता है।