Home Astrology Kundli Horoscope ज्‍योतिष : कुण्‍डली में चंद्रमा नकारात्‍मक परिणाम दे रहा हो

ज्‍योतिष : कुण्‍डली में चंद्रमा नकारात्‍मक परिणाम दे रहा हो

Moon in astrology

यदि कुण्‍डली में चंद्रमा नकारात्‍मक परिणाम दे रहा हो
When Moon is Malefic in Horoscope

चंद्र प्रभावित जातक उन्‍हें कहेंगे जिनकी कुण्‍डली में चंद्रमा बहुत ही बलशाली स्थिति में बैठा हो। कर्क अथवा वृषभ लग्‍न में बैठा चंद्रमा जातक को चंद्र प्रभावित जातक बना देता है। कुण्‍डली में अन्‍य स्‍थानों पर भी अगर चंद्रमा दूसरे ग्रहों से बल प्राप्‍त कर पावरफुल स्थिति में हो तो वह जातक को चंद्र प्रभावित जातक बना देता है।

सामान्‍य तौर पर चंद्र प्रभावित जातक मानसिक रूप से दृढ़ किंतु संवेदनशील होते हैं। चंद्रमा पानी की तरह होता है, जिस प्रकार के ग्रह का उसे प्रभाव मिल रहा हो, वह वैसा ही होने लगता है।

चंद्रमा के मूल स्‍वभाव में रचनात्‍मकता और उत्‍पादकता शामिल होती है। अब अगर चंद्रमा मंगल के प्रभाव में हो तो इस रचनात्‍मकता में एक सहज तेजी आ जाती है वहीं शुक्र के साथ हो तो एक लग्‍जरी का सेंस आता है, शनि के साथ हो तो नकारात्‍मकता आएगी और बुध के साथ हो तो गणनाओं में चतुर बना देगी।

हालांकि बुध और चंद्र नैसर्गिक रूप से शत्रु हैं, ऐसे में गणनाओं की चतुरता अधिकांशत: नकारात्‍मक पक्ष लिए हुए होगी। कुल मिलाकर अकेला चंद्रमा केवल संवेदनशीलता और भावनाओं की प्रबलता ही दिखा सकता है, किसी दूसरे ग्रह का साथ मिलने पर स्‍वच्‍छ निर्मल जल में उस तत्‍व के गुण समाहित हो जाते हैं।

यही कुण्‍डली में भावों में विचरण करते चंद्रमा के साथ भी होता है। बजाय चंद्रमा अपने स्‍वतंत्र फल देने के, भाव से संबंधित फल अधिक तीव्रता से देने लगता है।

अगर कुण्‍डली में चंद्रमा नकारात्‍मक परिणाम दे तो सामान्‍य तौर पर यह मति को भ्रष्‍ट कर देता है। इससे जातक अनिर्णय की स्थिति में फंस जाता है, मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है, झूठ बोलने की प्रवृत्ति बनने लगती है और अफवाहें उड़ाने लगता है। बहुधा ऐसे जातक एंजाइटी के शिकार भी हो जाते हैं।


चंद्रमा लग्‍न (प्रथम भाव) में (Moon in First House)

चंद्रमा पहले भाव में नकारात्‍मक हो तो जातक चिंता युक्त, स्त्री से अपमानित, स्त्री को पूर्ण तृप्ति न करने वाला, संतान की प्राप्ति विलंब से होती है, रोगी, मानसिक बीमारियों का रोगी, पागल होता है, जातक को डूबकर मरने का भय रहता है।


चंद्रमा द्वितीय भाव में (Moon in Second House)

चंद्रमा दूसरे भाव में नकारात्मक हो तो जातक के विद्या अध्ययन में बताती है, पैतृक धन का लाभ नहीं होता, धन का अधिक व्यय करता है, स्त्री की अल्पायु होती है, जातक मदिरापान नशीली वस्तुओं का व्यसनी होता है, पिता के लिए रोगकारक होता है।


चंद्रमा तृतीय भाव में (Moon in Third House)

चंद्रमा तीसरे भाव में नकारात्मक हो तो जातक मानसिक चिन्ताओं से ग्रस्त रहता है, भरम रोग से पीड़ित होता है, कई बार निद्रा में चलने की बीमारी भी होती है, यात्रा में हानि होती है, पिता की आयु होती है, भाई बहनों द्वारा अपमानित होता है, पड़ोसी तथा रिश्तेदारों से विरोध होता है।


चन्द्रमा चतुर्थ भाव में (Moon in Fourth House)

चंद्रमा चौथे भाव में नकारात्मक हो तो जातक पैतृक धन का नाश करता है, गृहस्थ जीवन दुखी होता है, स्त्री द्वारा विरोध झेलना पड़ता है, स्वयं माता का विरोधी होता है, वाहन से दुर्घटना का भय होता है, गृहस्थ जीवन के संबंध में चिंतित रहता है।


चन्द्रमा पंचम भाव में (Moon in Fifth House)

चंद्रमा पांचवे भाव में नकारात्मक हो तो जातक अस्थिर मन वाला, दुखी, माता से अपमानित होता है, जातक की संतान उसकी विरोधी होती है, विद्या में विघ्न पड़ता है, व्यापार में हानि होती है।


चंद्रमा षष्ठम भाव में (Moon in Sixth House)

चंद्रमा छठे भाव में नकारात्मक हो तो जातक दुबले पतले शरीर का होता है, जातक को लकवा, गुर्दे का रोग, मूत्र रोग आदी होने की आशंका रहती है, कई बार आंत के रोग भी हो जाते हैं, जातक को पालतू पशु रखने तथा मुर्गीखाना खोलने पर हानि होती है, अधिकांश जीवन में कर्जदार बना रहता है, धन का व्यय अधिक करता है, माता से झगड़ा करते हैं, मानसिक रूप से विक्षिप्त रहता है, गैस तथा अतिसार रोगों की आशंका सर्वाधिक होती है। यहाँ चन्द्रमा शनि से दृष्ट अथवा शनि के साथ हो तो विवाह विलम्ब से होता है अथवा विवाह नहीं होता।


चन्द्रमा सप्तम भाव में (Moon in Seventh House)

चंद्रमा सातवें भाव में नकारात्मक हो तो जातक दुबले पतले शरीर का होता है, स्त्री का मन अस्थिर होता है, दूसरों से ईर्ष्या रखने वाला होता है, माता से कलह करने वाला होता है, नशीली वस्तुओं का सेवन करने वाला होता है, यहाँ चन्द्रमा पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो स्त्री की मृत्यु होती है और दूसरा विवाह करना पड़ता है।


चन्द्रमा अष्टम भाव में (Moon in Eighth House)

चंद्रमा आठवें भाव में नकारात्मक हो तो जातक अल्पायु और माता के लिए अशुभ होता है, जातक परस्त्रीरत तथा गुप्त रोगों से ग्रस्त होता है, पर स्त्री पर धन नाश करने वाला होता है, अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है।


चन्द्रमा नवम भाव में (Moon in Ninth House)

चंद्रमा नौवें भाव में नकारात्मक हो तो पिता की अल्पायु का योग होता है तथा माता के लिए रोगकारक होता है, विदेश में अपेक्षित सफलता नहीं मिलती।


चन्द्रमा दशम भाव में (Moon in Tenth House)

चंद्रमा दसवें भाव में नकारात्मक हो तो जातक का मन अस्थिर रहता है, नौकरी तथा व्यापार बदलने में हानि उठाता है, पैतृक धन प्राप्त करने में अड़चनें आती है, स्त्री से कलह रहती है, माता की अल्पायु होती है, अगर चुनाव लड़े तो पराजय होती है, स्त्री पक्ष से धन का लाभ नहीं होता, जातक रोगी होता है।


चन्द्रमा एकादश भाव में (Moon in Eleventh House)

चंद्रमा ग्यारहवें भाव में नकारात्मक परिणाम दे रहा हो तो सन्तान का सुख अल्प होता है, पुत्र संतति कम होती है, माता से कलह रहती है, नपुंसकता के रोग का भय होता है।


चन्द्रमा द्वादश भाव में (Moon in Twelfth House)

चंद्रमा बारहवें भाव में नकारात्मक हो तो जातक आंख का रोगी होता है, ससुराल का धन नाश करने वाला होता है, परस्त्रीरत होता है, गुप्त रोग का रोगी होता है, अपनी स्त्री के लिए रोगकारक और दुष्चरित्र होता है। विदेश भ्रमण में असफलता मिलती है तथा धन का नाश होता है।


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