Janmashtami 2022 Date in India
कालगणना को लेकर भारत में बहुत अधिक संवेदनशीलता है। हालांकि समय के साथ हमने सनातनी पंचांग विक्रम संवत् को धीरे धीरे पूरी तरह अपना लिया है, लेकिन इस पंचांग में भी त्योहारों को मनाने को लेकर भेद बना रहता है। खासतौर पर यह कि जन्माष्टमी कब मनाएं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और अर्द्धरात्रि में होता है। जब ये तीनों शर्तें पूरी हो रही हों, तभी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार का जन्म माना जाएगा।
इस वर्ष यानी ईस्वी संवत् 2022 और विक्रम संवत् 2079 में जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को मनाई जाएगी। दो दिन जन्माष्टमी का भेद यह है कि स्मार्त संप्रदाय वाले भगवान श्रीकृष्ण के भक्त अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के साथ निशित काल को प्राथमिकता देते हैं। यानी मध्यरात्रि का समय, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र होना चाहिए। इनमें से दो शर्तें यानी अष्टमी तिथि और निशित काल का समय 18 अगस्त को मिलेगा।
स्मार्त संप्रदाय को मानने वाले अधिक जटिल नियमों को मानते हैं और अष्टमी तिथि के साथ निशित काल को अधिक महत्व देते हैं, इस कारण उनकी जन्माष्टमी अष्टमी की तिथि में ही मना ली जाती है, वहीं वैष्णव संप्रदाय के भक्तजनों के लिए सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि होगी, लेकिन दिन में आगे अष्टमी तिथि समाप्त हो चुकी होगी, दिन अष्टमी ही माना जाएगा, रात्रि में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के दौरान उन्हें अष्टमी के बाद की मध्यरात्रि बीत जाने के बाद रोहिणी नक्षत्र मिलेगा।
स्मार्त संप्रदाय वाले 18 अगस्त को तथा वैष्णव संप्रदाय वाले 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। इस्कॉन की जन्माष्टमी 19 अगस्त को होगी।
- भगवान श्रीकृष्ण का 5249वां जन्मदिवस
- निशीत पूजा समय 18 अगस्त 00.03 बजे से 00.47 बजे (दिल्ली में)
- दही हांडी 19 अगस्त
- अष्टमी तिथि 18 अगस्त रात्रि 9.20 पर शुरू होगी
- अष्टमी तिथि 19 अगस्त रात्रि 10:59 पर समाप्त होगी
- रोहिणी नक्षत्र 20 अगस्त को रात्रि 1:53 पर शुरू होगा
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