होम Jobs and career विदेश में नौकरी के लिए वीजा visa for job in foreign

विदेश में नौकरी के लिए वीजा visa for job in foreign

world map horary astrology SIGNS: COUNTRIES AND CITIES

विदेश में नौकरी के लिए वीजा

जातक: एन. चौधरी (महिला)
सवालः क्या मुझे विदेश नौकरी करने के लिए वीजा मिलेगा? यदि हां तो कब?
होररी नंबर: 171 (1 से 249 के बीच)
तारीख और समय: 27.12.2012 (गुरूवार), 10:19:32 सुबह
निर्णय का स्थान: पार्क स्ट्रीट,कोलकाता
(अक्षांश/रेखांश: 22Sएन27, 88ई20)

सूत्र: वीजा एक ऐसा दस्तावेज, प्रपत्र या फिर एक तरह का समर्थन पत्र होता है, जो यह दर्शाता है कि जिसके पास पासपोर्ट के साथ वीसा भी होता है, उसे सरकार द्वारा विदेश जाने की अनुमति दी जा चुकी है। तीसरा भाव (अभिलेख, पत्र, उपकरण इत्यादि)। 11 भाव (सफलता, इच्छापूर्ति) और 12 भाव (वीजा द्वारा विदेश यात्रा) का कार्य करता है। यदि तीसरे कस्प का उप स्वामी 3 (वीजा) या 11 (सफलता, लाभ, इच्छापूर्ति) और इनका सम्बन्ध 3, 6, 10, 11 और 12 से है तो इनके संयुक्त समय (दशा, भुक्ति, अंतर) में वीजा मिलना निश्चित होता है।
(नोट: उपर्युक्त नियम को 11 वें कस्पल उप स्वामी से पुन: सत्यापित किया जा सकता है।)

चन्द्रमा प्रश्न की प्रवृति दर्शाता है

चन्द्र (वृष 28-28-59) मंगल के नक्षत्र और शनि के उप में है। चन्द्र अष्टम का स्वामी होकर छठे भाव में स्थित है। नक्षत्र स्वामी मंगल पंचम और द्वादश का स्वामी होकर पहले (लग्न) भाव में स्थित है। उप स्वामी शनि मजबूत स्थिति में है। उसके नक्षत्र में कोई ग्रह नहीं है और वह 2, 3 भाव का स्वामी होकर दशम भाव में स्थित है और 3, 10 कस्प का उप स्वामी है। अतः, चन्द्रमा का सम्बंधित भावों से सम्बन्ध है, सवाल या तथ्य सत्य है।

कस्पल विश्लेषण

3 कस्प (कुम्भ 11-53-00): 3 कस्प का उप स्वामी शनि राहू के नक्षत्र और केतू के उप में है। शनि 2 ,3 भाव का स्वामी होकर दशम में स्थित है। शनि के नक्षत्र में कोई ग्रह नहीं है, अतः शनि मजबूत स्थिति में है और 3,10 कस्प का उप स्वामी है।

नक्षत्र स्वामी राहु 11 भाव में स्थित है। राहु, बुध और शुक्र से सम्बंधित है, अतः राहु, बुध और शुक्र का प्रतिनिधित्व कर रहा है। बुध 7,10 कस्प का स्वामी होकर बारहवें भाव में स्थित है। शुक्र के नक्षत्र में कोई ग्रह नहीं है और 6,11 का स्वामी होकर बारहवें भाव में स्थित है और 5, 7, 11 कस्प का उप स्वामी है। उप स्वामी केतू 5 भाव में स्थित है। केतू, गुरु और चन्द्र से सम्बंधित है, अतः गुरु और चन्द्र का प्रतिनिधित्व कर रहा है। गुरु पहले और चतुर्थ भाव का स्वामी होकर छह भाव में स्थित है और चन्द्र अष्टम का स्वामी होकर छह में स्थित है। इस प्रकार 3 कस्प का उप स्वामी शनि 3, 11 का कारक है और 6 कस्प से सम्बंधित भी है।

11 कस्प (तुला 15-18-50): 11 कस्प का उप स्वामी शुक्र बुध के नक्षत्र और अपने (शुक्र) ही उप में है। शुक्र 6,11 भाव का स्वामी होकर बारहवें भाव में स्थित है। शुक्र के नक्षत्र में कोई ग्रह नहीं है, इसलिए शुक्र मजबूत स्थिति में है और 5, 7, 11 कस्प का उप स्वामी है।नक्षत्र स्वामी बुध 7 और 10 भाव का स्वामी होकर बारहवें भाव में स्थित है। उप स्वामी शुक्र 6,11 का स्वामी होकर बारहवें भाव में स्थित है। शुक्र के नक्षत्र में कोई ग्रह नहीं है, अतः शुक्र मजबूत स्थिति में है और 5, 7, 11 कस्प का उप स्वामी है। इस तरह 11 कस्प का उप स्वामी शुक्र 11 का कारक है और 6, 11, 12 से सम्बंधित है।

3 व 11 भावों के कारक ग्रह ए, बी, सी, डी, ई क्रम में
A= नक्षत्र में स्थित ग्रह
B= भावों में स्थित
C= अपने ही नक्षत्र में स्थित ग्रह
D= भाव स्वामी
E= सम्बंधित और दृष्टि (वैदिक द्रष्टि) कारकत्व द्वारा ए,बी,सी, डी, ई क्रम में

प्रभावकारी कक्षा

सूर्य और चन्द्र: 8° तक
छाया ग्रहों के अलावा अन्य ग्रह: ± 6° डिग्री तक
छाया ग्रह: राशि में

(ए) 3 और 11 के कारक : सूर्य, चन्द्र, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, केतू .

निर्णय के समय शासक ग्रह
लग्न
शनि–राहु–चन्द्र
चन्द्र
शुक्र–मंगल–शनि
वारेश
गुरु
छाया ग्रह
राहु–केतू

(बी) शासक ग्रह : चन्द्र, मंगल, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, केतू .

(सी) फलित (सामान्य) ग्रह (ए) और (बी): चन्द्र, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतू

संयुक्त दशा समय (दशा, भुक्ति, अंतर)

वर्तमान दशा स्वामी: मंगल(14-04-2017 तक).मंगल शुभ फलदायक ग्रह नहीं है। तो क्या हमें मंगल को लेना चाहिए, हां, लेकिन क्यों? मैं मंगल दशा पर ध्यान दूंगा, क्योंकि मंगल शासक ग्रह में शामिल है। होरा चार्ट में चंद्र का नक्षत्र स्वामी है और चंद्र उभय शुभ फलदाई ग्रह है। 3 व 11 के कस्पल उपस्वामी के रूप में यह घटना को बता रहा है। वर्तमान भुक्ति स्वामी: शनि 04-09-2012 से 14-10-2013 तक). शनि उभय शुभ फलदाई ग्रह है, लिहाजा इसे ले लेंगे। दशा-भुक्ति स्वामी मंगल-शनि (04-09-2012 से 14-10-2013 तक)

वर्तमान अंतर स्वामी: बुध (07-11-2012 से 04-01-2013 तक)-शुभ फलदाई नहीं है, इसे नहीं लेंगे। अगला अंतर स्वामी: केतु (04-01-2013 से 28-01-2013 तक)-यह शुभ फलदाई है, पर ग्रेड ई का कारक है और यह 3, 11 का सूचक व संबंधित भी नहीं है। लिहाजा इसे नहीं लेंगे। अगला अंतर स्वामी: शुक्र (28-01-2013 से 03-04-2013 तक) शुभ फलदाई ग्रह है। यह 11 कस्प का उपस्वामी भी है। और इसका कारक व संबंधित भी है। लिहाजा इसे ले लेंगे, क्यंकि वीजा इसमें मिलना चाहिए।

गोचरः जातक की इच्छा एक साल में पूरी होनी चाहिए, इसलिए हम सूर्य को चलाएंगे, कि वह मंगल-शनि-शुक्र के दशा-भुक्ति-अंतर में गोचर करता है या नहीं। सूर्य, राहु के नक्षत्र में गोचर करेगा: 19-02-2013 से 04-03-2013 तक)- राहु ग्रेड बी का मजबूत कारक है और होरा चार्ट में 11 कस्प का कारक है। शासक ग्रह में यह लग्न का नक्षत्र स्वामी है। यह शनि का एजेंट है, जो आरपी में है। शनि पहले ही ग्रेड ए का मजबूत कारक है।

सूर्य, शनि के नक्षत्र में: 18-03-2013 से 30-03-2013 तक) रहेगा। शनि ग्रेड एक का एकादश कस्प का कारक है और होरा चार्ट में भुक्ति स्वामी है और लग्न नक्षत्र शासक ग्रह में भी है।

मेरा मत: नौकरी के लिए वीजा मंगल-शनि-शुक्र के दशा, भुक्ति, अंतर में मिलना चाहिए, जो 28-01-2013 से 03-04-2013 तक चलेगा। अथवा यह समय 19-02-2013 से 04-03-2013 तक अथवा 18-03-2013 से 30-03-2013 तक होना चाहिए।

वास्तविक तथ्य: जातक ने वीजा 22 फरवरी 2013 को प्राप्त किया। इस दिन (शनिवार था और सूर्य कुंभ राशि में था और नक्षत्र शतभिषा था, जो राहु का है। शुक्र का उप समय चल रहा था। भगवान गणेश व गुरुजी केएसके जी को प्रणाम। मेरे गुरुजी श्री पी.राय चौधरी को प्रणाम।।

लेखक-डा. निर्मल कोठारी