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सभी काम सिद्ध करता है पंद्रहिया यंत्र

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ज्‍योतिषीय उपचारों के रूप में पंद्रहिया यंत्र एक ऐसा यंत्र है जो बहुत सी स्थितियों में बहुत सटीकता के साथ उपयोग किया जा सकता है और इसके परिणाम भी कई बार बड़े ही आश्‍चर्यजनक ढंग से सकारात्‍मक आते हैं। पंद्रहिया यंत्र को आठ तरीके से बनाया जा सकता है, हर ग्रह के अनुसार बनाने का तरीका भिन्‍न होता है और परिणाम भी उसी के अनुसार भिन्‍न होते चले जाते हैं। इसके बावजूद सबसे सरल रीति पहले नम्‍बर से शुरू करते हुए नौंवे नम्‍बर तक जाने की है और यह अधिकांश मामलों में कारगर सिद्ध होता है।

क्‍या है पंद्रहिया यंत्र?

यह बहुत ही सरल और शक्तिशाली यंत्र है। इसमें नौ कोष्‍ठक में एक से लेकर नौ तक की संख्‍याओं को एक निश्चित क्रम में लिखा जाता है। इन संख्‍याओं का हर कोण से जोड़ पंद्रह (15) ही आएगा। एक से नौ तक लिखने के क्रम से इस यंत्र को चार संज्ञाएं दी गई हैं। जब पूर्व में एक लिखते हुए शुरू करते हैं तो इसे ब्राह्मण या वादी कहा जाता है, जब दक्षिण में एक लिखकर आगे निश्चित क्रम में नौ तक की संख्‍याएं लिखेंगे तो उसे क्षत्रिय या आतसी कहा जाएगा, पश्चिम से एक से शुरूआत करने पर वैश्‍य या खाखी कहा जाएगा और उत्तर से शुरूआत करने पर शूद्र या आवी कहा जाएगा। यहाँ नीचे दिए गए चित्र में ब्राह्मण पंद्रहिया यंत्र दिया गया है।

इसके साथ ही संख्‍याओं के लिखने के क्रम को बदलकर भिन्‍न परिणाम भी प्राप्‍त किए जाते हैं। अगर एक से शुरू करते हुए नौ की संख्‍या तक अंक भरते हैं तो हनुमानजी प्रसन्‍न होते हैं। दो से नौ तक और फिर एक अंक भरने पर राज्‍याधिकारी अनुकूल बनते हैं, तीन से शुरू करने पर व्‍यापार वृद्धि, चार से शुरू करने पर दुष्‍प्रभाव दूर होता है, पांच से शुरूआत नहीं की जाती, छह से शुरूआत करने पर बचाव होता है, सात से दूसरे मनुष्‍यों को वश में किया जा सकता है, आठ से अशुभ चिंतन करने वाला विपत्ति में नहीं पड़ता, नौ से शुरू करने पर धन वृद्धि होती है।

यंत्र साधन की विधि

एकांत स्‍थान में पूर्व की ओर घट स्‍थापना कर उसके समक्ष भोजपत्र बिछाएं। ऊपर के भाग में घृत का दीपक और नीचे के भाग में गुग्‍गल धूप जलाएं। लापसी पूरी को भोजपत्र के दाएं बाएं समान मात्रा में रखें। इसके बाद अनार की कलम तथा अष्‍टगंध की स्‍याही से भोजपत्र पर यंत्र लिखें। यंत्र लिखते समय अपने ईष्‍ट का जाप मन में करते रहें। यंत्र लिखने के बाद चावल, पुष्‍प, खोपरे का टुकड़ा, पान, सुपारी अनुक्रम से यंत्र को छुआएं और पूजन करें। फिर दूसरी बार इसी विधि से लिखकर पूजन करें। एक दिन में 21 बार यह क्रिया दोहराएं और 21 दिन करें। इससे यंत्र सिद्ध हो जाएगा।

इस यंत्र का उपयोग दुकान के गल्‍ले में रखके, ताबीज बनाकर हाथ या गले में धारण करके, अपने ऑफिस में स्‍थापित करके लाभ लिया जा सकता है।

ज्‍योतिषी सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी
बीकानेर +91-9413156400