जो लोग पहले से व्यापार कर रहे हैं अथवा नया स्टार्टअप शुरू करने का प्लान कर रहे हैं तो अपने ब्रांड के प्रति आपको विशेष रूप से सजग होना चाहिए। चाहे आपकी प्रॉडक्शन यूनिट हो, चाहे आप ट्रेडिंग से जुड़े काम में हों या किसी प्रकार की सर्विस दे रहे हों, अगर आपके ब्रांड की इमेज आपके कार्य का सटीक प्रजेंटेशन नहीं कर पाती है तो इससे आपके ब्रांड और अंतत: आपके व्यवसाय या स्टार्टअप को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है। ब्रांड इमेज में रंगों के इस्तेमाल और उसमें ज्योतिष की उपयोगिता पता होने पर आप प्रभावी ब्रांड मैनेजमेंट कर पाएंगे। इसे आप अपनी कंपनी के लिटरेचर, लैटर्स, पोर्टफोलियो, विज्ञापन आदि में प्रयोग कर अधिक सक्षम परिणाम लिया जा सकता है।
ज्योतिषीय कोण से हर प्रकार के व्यवसाय के साधक और बाधक ग्रह होते हैं। अगर लोहे का काम है तो उसमें शनि की अनुकूलता चाहिए और अगर ट्रेडिंग का काम है तो उसमें बुध की अनुकूलता चाहिए। अगर शिक्षण और प्रशिक्षण से जुड़ा कार्य है तो उसमें गुरु की अनुकूलता चाहिए और अगर लग्जरी ब्रांड है तो उसे शुक्र की अनुकूलता चाहिए। हर ग्रह का अपना रंग और उस रंग की आपके ब्रांड के प्रति अनुकूलता भी होती है। अगर आपका पसंदीदा रंग और जिस ब्रांड को आप प्रमोट करना चाहते हैं, उन दोनों में समानता न हो तो कई बार बहुत प्रयास करने पर भी ब्रांड की वैसी पकड़ नहीं बन पाती है, जैसी उत्पाद की क्वालिटी के अनुसार होनी चाहिए।
ज्योतिष के कोण से हम व्यवसाय को प्रमुख रूप से तीन भागों में बांटते हैं। उत्पादन, विपणन और सेवा क्षेत्र। जिन्हें क्रमश: गुरू, बुध और शनि से संबंधित माना गया है। बहुत अधिक संभावना यह होती है कि आप जो व्यवसाय कर रहे हैं, आपका ब्रांड उसके अनुकूल रंगों को स्वत: उठा लेता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सफल व्यवसायी के अनुकूल ग्रह और अनुकूल रंग उसके ब्रांड के भी अनुकूल ग्रह और रंग होते हैं, लेकिन कई बार स्थितियां उलझी हुई होती हैं, उत्पाद को पेश करने में कई लोगों की भूमिका होती है, इसके चलते उत्पाद की मार्केटिंग टीम कुछ ऐसे रंगों में उलझ जाती है, जिससे ग्रह साधक होने के बजाय बाधक बन जाते हैं।
रंगों का चयन केवल मूल ग्रहों से नहीं देखा जाएगा। व्यवसाय के लिए सप्तम भाव और एकादश भाव भी देखा जाता है। सप्तम भाव व्यापार और साझेदार दोनों का होता है, वहीं एकादश भाव आय या लाभ का भाव होता है। इस प्रकार हम किसी भी ब्रांड से संबंधित ग्रहों की गणना करेंगे तो हमें व्यवसाय के मूल ग्रह, सप्तम भाव और एकादश भाव को देखना होगा।
इसी के साथ व्यवसाय की प्रकृति का प्रभाव भी ब्रांड की इमेज पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर कोई संस्थान शिक्षण क्षेत्र में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवा रहा है तो इसमें शिक्षण कार्य के कारण गुरु का पीला रंग और सर्विस दे रहा है तो शनि का नीला रंग दोनों शामिल होंगे। इन दोनों रंगों के मिश्रण से जो रंग आएगा, वह रंग ब्रांड से संबंधित होगा तो संस्थान सर्वाधिक प्रगति कर सकता है।
इसी प्रकार एक और उदाहरण लेते हैं किसी कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कंपनी का। निर्माण कार्य का आधार ग्रह मंगल है, निर्माण कार्य में मशीनों का भी उपयोग हो रहा है, ऐसे में शनि भी शामिल हो रहा है। अगर निर्माण कार्य लग्जरी घर या शो रूम या फाइव स्टार होटल से संबंधित है तो इसमें शुक्र भी शामिल होगा। अगर एग्रीकल्चर लैण्ड अथवा जमीन के नीचे की खुदाई से संबंधित है तो केतु का संबंध बनेगा। इस प्रकार कई ग्रहों के मेल से कई रंगों का भी मेल बनेगा और उससे ब्रांड प्रजेंटेशन का रंग सामने आएगा।
रंगों का मनोवैज्ञानिक और ज्योतिषीय प्रभाव
नीला रंग सुरक्षा और विश्वास से जुड़ा होता है। ज्योतिष में नीला रंग राहु का माना गया है, लेकिन ब्रांड प्रमोशन में यही रंग सर्वाधिक विश्वास पैदा करता है। यह सच्चाई, ऑथेरिटी, बुद्धिमत्ता, जुड़ाव और शांति प्रदर्शित करता है।
हरा रंग आशावाद, प्रगति, विश्रांति, उत्पादकता, प्रकृति, पुन: निर्माण, भाग्य, यौवन तथा अच्छे वातावरण से जुड़ा माना जाता है। यह मूल रूप से बुध का रंग है। बुध युवा भी है और ऊर्जावान भी। इस रंग का उपयोग गति और उत्साह दिखाने के लिए ब्रांड में उपयोग किया जा सकता है।
पीला रंग प्रसन्नता और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा हुआ है। इससे सावधानी, उमंग, गर्माहट, क्रिएटिविटी, बौद्धिकता, प्रकाश तथा दृष्टिकोण जैसे लक्षण जुड़े हुए हैं। ज्योतिष के अनुसार पीला रंग वृहस्पति से जुड़ा हुआ है। वृहस्पति को जीवकारक और विस्तारकारक बताया गया है।
ऑरेंज या नारंगी रंग मूल रूप से सूर्य का रंग है। कंपीटीशन, फोर्स, सफलता, उत्साहवर्द्धन, ठोस निर्णय, स्ट्रेंथ, ताकत और जीवंतता के लिए सूर्य और नारंगी रंग दोनों को जाना जाता है। अगर आपको ब्रांड में इस रंग का उपयोग होता है तो आपका ब्रांड खुद ब खुद अपनी साख बनाने लगता है।
लाल रंग मंगल का रंग है और मंगल को ज्योतिष में सेनापति कहा गया है। इसके मूल लक्षणों में एक्शन, पैशन, पावर, डिजायर, पोटेंसी और करेज शामिल हैं। आपके स्टार्टअप में अगर इन सभी लक्षणों को प्रदर्शित करना है तो लाल रंग का प्रयोग किसी न किसी कोण से अवश्य होना चाहिए।
बैंगनी (पर्पल) रंग शुक्र का रंग है। यह प्रतिस्पर्द्धा, शाहीपन, रहस्य, संपन्नता, जादू, और लग्जरी से संबंधित लक्षण प्रदर्शित करता है। अगर आपके ब्रांड का संबंध शुक्र ग्रह से संबंधित है, तो आपको अवश्य ही पर्पल रंग का प्रयोग अपने ब्रांड मैनेजमेंट में करना चाहिए।
एकल रंग और रंगों का मिश्रण
ऊपर जहां एकल रंग और उनका प्रयोग बताया गया है, वहीं कुछ व्यवसाय ऐसे भी होते हैं जिनमें एक से अधिक रंगों का उपयोग किया जा सकता है। अगर कोई कार्य बुध और शुक्र दोनों से संबंधित है तो उसमें हरा, बैंगनी तथा श्वेत तीनों रंगों का प्रयोग किया जा सकता है। अगर कोई कार्य सूर्य और मंगल दोनों से संबंधित है तो उसमें नारंगी और लाल रंग के साथ आधार में काले रंग का प्रयोग भी किया जा सकता है। अगर कोई कार्य मंगल और बुध दोनों से संबंधित है तो उसमें हरा और लाल दोनों रंगों का समुचित प्रयोग श्रेष्ठ परिणाम देता है। इस प्रकार हम रंगों के मिश्रण और एकल रंग दोनों प्रकार से प्रयोग करके बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
ब्रांड में रंग का कैसे उपयोग करें
रंगों का उपयोग कई स्तर पर किया जा सकता है। अगर आपका संस्थान है, तो उस संस्थान के आधार रंग में अपने ब्रांड के अनुकूल रंग का उपयोग किया जा सकता है। कर्मचारियों के वस्त्रों में संबंधित रंग उपयोग में लिए जा सकते हैं। आपके उत्पाद और उत्पाद पर लगे सील आदि पर अनुकूल रंगों का प्रयोग किया ज सकता है। ब्रांड के प्रचार से लेकर विजिटिंग कार्ड तक में अनुकूल रंगों का प्रयोग कर बेहतरीन परिणाम लिए जा सकते हैं।