केपी पद्धति द्वारा जीनेवा की कंपनी का फ्रॉड पहचानाGeneva Company fraud detected by KP Astrology |
KP Experts in India : सवाल करने वाला जो मशीन के पुर्जे बनाने का व्यवसाय करता है, उसे एक दिन जेनेवा की कंपनी से एक ई- मेल मिला, जिसमे लिखा था कि उसकी कंपनी क्रिडेंशियल अवार्ड प्रोग्राम 2012 के लिए चुनी गयी है। ()
उसमें सुझाव था कि वह भाग लेने के लिए एप्लीकेशन फार्म को भरे और पैसे जमा कर भेज दे, ताकि उसकी कंपनी को यह अवार्ड तथा धन राशि प्राप्त हो सके। पर उसके दिमाग में यह आशंका थी कि जो मेल उसे मिला है, क्या वह सही है। जातक को यह विश्वास था कि उसने जेनेवा की किसी कंपनी से कोई बात नहीं की है, न ही उसकी कंपनी ने जेनेवा में कोई सामान भेजा था।
इसलिए अब जातक के मन में यह प्रश्न था कि यदि वह आग्रह स्वीकार लेता है और पैसे जमा कर देता है तो उसके साथ कोई धोखा तो नहीं हो जाएगा?अब केपी विश्लेषण से देखते हैं कि जातक को धोखा होगा या नहीं। प्रश्न-जेनेवा से ई-मेल के जरिए भेजी गयी सर्टिफिकेट और पुरस्कार की धनराशि स्वीकार कर लूं तो मुझे धोखा तो नहीं हो जाएगा?
होररी नंबर: 121 (0 से 249 के बीच)
निर्णय की तारीख: 16-12-2012
निर्णय का समय: सांय 04:14 बजे
निर्णय का स्थान: पार्क स्ट्रीट, कोलकाता, वेस्ट बंगाल
(Long/Lat: 22N27, 88E20)
सवाल की वैद्यताः चन्द्रमा ( मकर13-49-18) चन्द्रमा के नक्षत्र में और राहू के उप में है। चन्द्रमा एकादश का स्वामी होकर चतुर्थ में स्थित है, उपस्वामी राहू द्वितीय में स्थित है। राहू, बुध और शुक्र के एजेंट का काम कर रहा है। बुध किसी के नक्षत्र या उप में नहीं है और द्वितीय भाव में स्थित है। पहले और दशम का स्वामी है बुध। छह व बारहवे का कस्पल उपस्वामी है।
उप स्वामी शुक्र भी किसी के नक्षत्र और उप में नहीं है और द्वितीय और नवम का स्वामी होकर द्वितीय में स्थित है और नवम कस्प का उप है। चंद्र दूसरे और बारहवें भाव का सूचक है, लिहाजा सवाल दिल से किया गया है।
सूत्र-यदि 12 या 8 (अवरोध, परेशानी, पैसे का रुकना) या 12 (जातक का नुकसान या व्यय ) का कस्पल उप स्वामी शनि या मंगल से संबंधित हो तो जातक 5, 8 या 12 के संयुक्त दशा समय में धोखा खा सकता है। . कस्पल विश्लेषण-कस्प: सिंह 25-06-40 (सूर्य-शुक्र-बुध): उप स्वामी बुध का नक्षत्र शनि और उप स्वामी राहु है। बुध एक और दस भाव का स्वामी होकर दूसरे भाव में है और 6, 12 भाव का कस्पल उप स्वामी है।
नक्षत्र स्वामी शनि 5, 6 भाव का स्वामी होकर लग्न में है। उपस्वामी बुध और शुक्र का एजेंट है और दूसरे भाव में है।बुध किसी का नक्षत्र या उप नहीं है और दूसरे भाव में 1 और 10 का स्वामी तथा 6, 12 कस्पल का उप स्वामी होकर बैठा है। शुक्र भी किसी का नक्षत्र या उप नहीं है और 2, 9 का स्वामी तथा 9 कस्प का उप स्वामी होकर दूसरे भाव में है।
कस्पल बुध का संबंध शनि से है जो 2 (धन) 5 (विरोधी का लाभ), 12 (हानि या व्यय) का है। लिहाजा यह तय है कि जातक चिट-फंड कंपनी से धोखा खा सकता है।
दशा-भुक्ति-अंतर विश्लेषण: निर्णय करते समय दशा-भुक्ति-अंतर चंद्रमा-राहु-मंगल (03-12-2012 से 02-01-2013 तक) चल रहा था।
चंद्रमा शनि की राशि में है और 2, 8 भाव को सूचित कर रहा है। राहु मंगल की राशि में है और 2, 8 भाव को सूचित कर रहा है या कनेक्शन है। मंगल को शनि देख रहा है और यह भी 8, 12 भाव से संबंधित है। यानि दशा-भुक्ति-अंतर 2, 8, 12 भावों से संबंध बनाए हुए हैं।
मेरा अभिमत: जातक यदि मेल में दिए आफर को स्वीकार करता है तो जेनेवा की कंपनी से धोखा खा सकता है।
वास्तविकता: जातक ने जेनेवा के राजदूत के माध्यम से जानकारी की तो उसे बताया गया कि वह फर्जी कंपनी है, लिहाजा उसने उस आफर को स्वीकार नहीं किया।
गुरुजी केएसके जी और श्री पी. राय चौधरी जी को प्रणाम।।
– डा. निर्मल कोठारी