होम Money धन की समस्‍या: नौकरी,व्‍यवसाय या धन प्रबंधन (Money Management)

धन की समस्‍या: नौकरी,व्‍यवसाय या धन प्रबंधन (Money Management)

Astrology money

धन की समस्‍या: नौकरी,व्‍यवसाय या धन प्रबंधन (Money Management)

कई बार हमें ये पता नहीं चल पता कि अधिकांश समस्यायें  धन  से जुड़ी हुई हैं या धन के गलत प्रबंधन से (Money Management) । तो हमारी अगली सोच यह होती है कि अधिक से अधिक धन कमा लिया जाए। इससे सभी समस्‍याओं का एक साथ समाधान हो जाएगा। कई बार ऐसा होता भी है।

एक जातक के लिए दो लाख रुपए अच्‍छी राशि हो सकती है तो दूसरे जातक के लिए बीस लाख रुपए कुछ समय की संतुष्टि सिद्ध होते हैं, वहीं ऐसे जातकों  की भी कमी नहीं है जो हर माह दो करोड़ रुपए कमाकर भी समस्‍याओं से बुरी तरह घिरे हुए हैं।

दरअसल धन कमाना (Earn) या जुटाना (Arrange) धन की समस्‍या का समाधान नहीं है। लेकिन यह भी कटु सत्‍य है कि अगर धन नहीं है तो बहुत सी समस्‍याएं अपने विकराल रूप में हमारे सामने आ खड़ी होती है। ऐसे में हमें देखना होगा कि वास्‍तव में कहां धन की जरूरत है और कहां केवल धन की लालसा ही बनी हुई है।

एक ज्‍योतिषी  के तौर पर देखता हूं तो पाता हूं कि नौकरी पेशा लोगों  के लिए धन की समस्‍या तब शुरू होती है, जब एक ही नौकरी में रहते हुए वे यह निर्णय सालों पहले कर चुके होते हैं कि हमारा सोशल स्‍टेटस यह रहेगा, लेकिन “बदलाव का दौर” उन्‍हें यह अहसास करा देता है कि पंद्रह बीस या पच्‍चीस साल पहले किया गया निर्णय इतना सही नहीं था।

वास्‍तव में पैसे की तो और अधिक जरूरत है। ऐसे में अगर कोई नौकरीपेशा जातक मुझे पूछता है कि धन की समस्‍या का क्‍या समाधान होगा, तो हकीकत में मेरे पास कोई जवाब नहीं होता।

हां कुछ सवाल जरूर पूछ सकता हूं कि नौकरी से इतर पैसा कहां से लाओगे, क्‍या चोरी करने का इरादा है, क्‍या ऊपर की कमाई बढ़ने वाली है, क्‍या गहने बेचकर सट्टे में पैसा लगाओगे, क्‍या जिस घर में रह रहे हो, उसे बेचकर व्‍यापार करोगे। अपवादों का छोड़ दें तो अधिकांश सवालों का जवाब नकारात्‍मक में ही आता है।

ऐसे में जब जातक के पास अपनी एक “स्‍थाई नौकरी” के इतर प्रति माह धन आने का कोई और जरिया नहीं है तो वह किस प्रकार धन की वर्तमान समस्‍या का समाधान कर पाएगा।

अब दूसरे स्‍तर पर चलते हैं जहां एक निश्चित दायरे में रहकर सेवाएं दे रहे व्‍यापारी (Businessmen) हैं। इन्‍हें उद्यमी (Entrepreneur) नहीं कहा जा सकता। बाजार के स्‍वभाव को पहचानकर ये जातक ऐसे धंधों में घुसते हैं, जहां बंधी बंधाई आय (Fixed income) होती हो।

इन व्‍यापारियों को माल देने वाले डीलर निश्चित हैं और माल खरीदने वाले ग्राहक निश्चित हैं। अगर कोई उतार चढ़ाव आता है, तो वह केवल उतना ही उतार चढ़ाव होता है, जिसे कि व्‍यापारी अपनी बचाई हुई क्रियाशील पूंजी के जरिए झेल सके। न तो आगे जाने का कोई सवाल है न नीचे गिरने का।

ऐसा व्‍यापारी भी एक प्रकार का नौकर  है। नौकरीपेशा लोगों की तरह। बस उसे इतनी ही आजादी मिलती है कि वह कुछ अधिक मात्रा में धन का विनीमय कर पाता है, लेकिन यह धन न तो वह व्‍यापार से बाहर निकाल सकता है, न उसके भरोसे कोई बड़ा काम कर सकता है।

तीसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं, जिनके पास न व्‍यापार होता है, न नौकरी होती है और सबसे बुरी बात तो यह होती है कि उनके पास अपना कोई विजन भी नहीं होता। ऐसे जातकों को एक ही संभावना दिखाई देती है कि कोई “बड़ा हाथ मार लिया जाए।”

इन जातकों का सवाल होता है कि गुरुजी ऐसा कोई टोटका बताओ जिससे बड़ा हाथ मारा जा सके। ऐसे में अगर उनसे कह दिया जाए कि भईया बड़ा हाथ मारने की बात तो दूर की रही, अगर सट्टा या लॉटरी जैसे सिस्‍टम में गलती से भी घुसे तो बड़ी मार खाओगे और जिंदगी का आगे का बड़ा हिस्‍सा बाजार से ली हुई उधार चुकता करने में ही निकल जाएगा।

एक श्रेणी ऐसी है जिसके जातक मेरे पास कम ही आते हैं। ये श्रेणी ही उद्यमियों की। ये लोग लगातार नया सोचते हैं, जितना कमाते हैं, उसका बड़ा हिस्‍सा अपनी छिपी हुई योजना में निवेश करते हैं और तेजी से आगे बढ़ते चले जाते हैं। बाजार कैसा भी, इन लोगों को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

एक जातक ने तो मुझे यहां तक कहा, “क्‍या बात करते हैं, बाजार में मंदी कभी आ ही नहीं सकती। क्‍या लोग खाना, पीना और अन्‍य दैनिक काम बंद कर देंगे।” चूंकि इन लोगों पास सपना है, दृष्टि है और काम का उत्‍साह है, ऐसे में ये लोग बिना फंसे ज्‍योतिषी के पास नही जाते