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नास्‍त्रेदमस की भविष्‍यवाणियां और भारतीय ज्‍योतिष (Nostradamus Predictions for India)

nostradamus and indian astrology
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नास्‍त्रेदमस की भविष्‍यवाणियां और भारतीय ज्‍योतिष
(Nostradamus Prophecies)

बहुत छोटा था तब नास्‍त्रेदमस की पुस्‍तक मेरी माताजी खरीद कर लाई थीं। उन्‍हें पक्‍का विश्‍वास था कि दुनिया जल्‍दी ही खत्‍म हो जाएगी। और नास्‍त्रेदमस भी यही कह रहे थे। मेरी माताजी के इस विश्‍वास के कई कारण थे लेकिन नास्‍त्रेदमस (Nostradamus) के पास कुछ जुदा कारण हैं।

किताब के मुखपृष्‍ठ पर नास्‍त्रेदमस का अपने क्रिस्‍टल के साथ इतना आकर्षक फोटो था कि मैं घण्‍टों तक केवल फोटो को ही देखता रहता था। वह मूल किताब का हिन्‍दी अनुवाद था। मुझे बहुत अधिक समझ नहीं थी लेकिन इतना उसमें स्‍पष्‍ट था कि नास्‍त्रेदमस ने दुनिया का भविष्‍य (Prophecies) बहुत साल पहले ही लिख दिया है। और वह जल्‍द ही खत्‍म भी होने वाली है। लेकिन भारतीय ज्‍योतिष (Indian Astrology) ऐसी किसी गणना के प्रति मौन है।

अलग अलग सूत्रों का विश्‍लेषण करके बताया गया था कि इतिहास में अब तक जो घटनाएं हुई हैं उन्‍हें नास्‍त्रेदमस ने अपने क्रिस्‍टल बॉल में देख लिया था और उलझी हुई भाषा में लिख दिया था। ताकि उसे तत्‍काल कोई परेशान न करे। उसमें यह भी बताया गया था कि अब वे भविष्‍यवाणियां सच साबित हो रही हैं। इसके बाद कई साल तक नास्‍त्रेदमस का नाम सुनाई नहीं दिया।

जब मैं लाल किताब पढ़ रहा था तो उसकी भाषा और नास्‍त्रेदमस की चौपाइयों में कई समानताएं दिखाई दी। भाषा के दृष्टिकोण से। तब नास्‍त्रदेमस की दोबारा याद आई। ढूंढ-ढांढकर किताब निकाली और उसे फिर पढ़ गया। शेर और चीते की लड़ाई का एक दृश्‍य को अब भी ऐसा जेहन में बैठा है कि लगता है लड़ाई मेरे सामने हुई थी।

उन दिनों मैंने कई लोगों के समक्ष नास्‍त्रेदमस की बात की। लेकिन उस दौर में किसी को भी मेरी बातों में इंट्रेस्‍ट नहीं आया। मैं किनारे हो गया।फिर इराक पर हुए हमले और इराक के पास जैविक हथियारों के जखीरे की खबरों के बाद एक बार फिर नास्‍त्रदेमस का नाम चमका। कई किताबें बाजार में आ गई। घोषणा हुई कि वाईटूके वास्‍तव में एक सिंबल है जो बताता है कि दुनिया इक्‍कीसवीं सदी के दर्शन ही नहीं कर पाएगी। कई लोग बहुत चिंतित थे।

बीकानेर में जहां हर समय अलमस्‍त मौसम रहता है कई लोगों के चेहरे पर प्रलय का भय दिखाई देने लगा। लोग पाप और पुण्‍य की बातें करने लगे (Nostradamus Predictions for India)। हालांकि बैकग्राउंड में जैविक हथियारों के काम करने के तरीके पर भी बहस चल रही होती लेकिन मुद्दा वही था कि दुनिया तो खत्‍म हो जाएगी।

इसके बाद अब तीसरा दौर देख रहा हूं। पिछले साल अमरीका बुरी तरह मंदी की चपेट में आ गया। लोगों के घर बिक गए, नौकरियां छूट गई और धंधे बंद हो गए। पूरी तरह ऑटोमैटिक घरों में रहने वाले लोग कारों में रहने और सोने लगे। यानि सोसायटी से कटने के बाद अब सुविधाओं से भी कट चुके लोगों के पास जीने का कोई कारण नहीं बचा।

ऐसे में एक बार फिर नास्‍त्रेदमस आ गए हैं। इस बार आए हैं 2012 की भविष्‍यवाणी लेकर। इसमें दुनिया में आज तक हुए बदलावों और मशीनीकरण पर खुलकर चर्चा की गई है। देश, समाज और उपलब्‍ध संसाधनों के तेजी से हो रहे क्षय पर चर्चा है। और साथ में सवाल खड़ा किया गया है कि क्‍या वास्‍तव में नास्‍त्रदेमस के अनुसार वर्ष 2012 में दुनिया खत्‍म हो जाएगी।

नास्‍त्रेदमस का प्‍वाइंट (Nostradamus Predictions)

नास्‍त्रेदमस 2012 में बताया गया है कि हाल ही में नास्‍त्रेदमस की पुस्‍तक के कुछ दुर्लभ पन्‍ने हाथ लगे हैं। इन सात पन्‍नों में नास्‍त्रेदमस ने सृष्टि के अंत के बारे में स्‍पष्‍ट किया है। इसका मूल बनाया गया है एक खगोलीय घटना को। पहले इसी खगोलीय घटना को समझने का प्रयास करते हैं।

सूर्य आकाशगंगा के चारों ओर एक निश्चित रफ्तार से चक्‍कर लगा रहा है। सूर्य की इस गति का परिणाम यह होता है कि कई हजार साल बाद सूर्य इस स्थिति में आ जाता है कि पृथ्‍वी से देखने पर सूर्य के पीछे आकाशगंगा एक रोशनी की रेखा के रूप में आ जाती है। बस यही वह समय होता है जब पृथ्‍वी पर बड़े उत्‍पात होंगे।

यह समय तय किया गया है 23 दिसम्‍बर 2012 का। नास्‍त्रेदमस के चित्रों और बुक ऑफ लाइफ को इस तथ्‍य से जोड़ा गया है। इससे दो तरह के निष्‍कर्ष निकाले गए। एक तो यह कि इसी दौरान जलजला आएगा और पृथ्‍वी खत्‍म या यह कि अंत की शुरूआत हो जाएगी। पृथ्‍वी के इतिहास में आइस ऐज में पहले एक बार यह स्थिति बन चुकी है। उसी को भविष्‍य की घटनाओं का कथन करने का आधार बनाया गया है।

पिछले सवा सौ सालों में मानवजाति ने जितने आपदाएं झेली हैं उतनी तो पहले की किसी भी सभ्‍यता ने नहीं झेली। प्राकृतिक आपदाओं के अलावा महामारियां, प्रदूषण, आतंकवाद, गृह युद्ध, जातिगत लड़ाइयां, बदलते मौसम चक्र, बढ़ती बेरोजगारी और असंतुष्‍टता, विश्‍व युद्ध, खत्‍म होता तेल, वैश्विक मंदियां, परमाणु हमलों की आशंका जैसे बिंदू संकेत करते हैं कि अब अंत निकट है।

नास्‍त्रेदमस ने नई किताब में सात चित्रों की शृंखला है। इसमें पहले चित्र में सूर्य और शेर को साथ दिखाया गया है। इससे वैज्ञानिकों ने निष्‍कर्ष निकाला है कि सूर्य तब सिंह राशि में होगा और हमारा सौरमण्‍डल आकाशगंगा के ऐसे कोण पर होगा जब पूरी आकाशगंगा की ऊर्जा सूर्य की ओर केन्द्रित हो जाएगी। यही बदलाव का कारण बनेगा।

इसका आधार यह लिया गया है कि पृथ्‍वी की साढ़े 66 डिग्री के झुकाव के साथ घूर्णन गति के चलते सभी आकाशीय पिण्‍ड एक निश्चित क्रम में चलते हुए दिखाई देते हैं। हर 26000 साल बाद पृथ्‍वी वापस उसी कोण पर पहुंच जाती है जहां से सूर्य आकाशगंगा के बीचों-बीच दिखाई देने लगता है।

बहुत पहले एक जर्मन वैज्ञानिक ने हर ग्‍यारह साल बाद सूर्य में होने वाले बड़े विस्‍फोटों और उससे दुनिया पर होने वाले प्रभावों के बारे में बताया था। तब उस वैज्ञानिक को चुप करा दिया गया था। अब लगभग उसी सिद्धांत से मेल खाता एक नया सिद्धांत तैयार है कि एक समय ऐसा आता है जब मिल्‍की वे ‘हमारी आकाशगंगा’ जो एक तश्‍तरी की तरह है के बीचों-बीच सूर्य आ जाता है।

यहां बीचों-बीच से मतलब आकाशगंगा के कोर से नहीं बल्कि पृथ्‍वी से दिखाई देने वाली अवस्‍था से है। जब सूर्य ऐसे कोण में आएगा तो पृथ्‍वी पर बहुत बड़े बदलाव दृष्टिगोचर होंगे।

नास्‍त्रेदमस पर किताबें (Nostradamus Predictions Book) लिख रहे लेखक ही यह पूछते हैं कि क्‍या ये सब संयोग है या किसी अनहोनी का संकेत। वे मानते हैं कि मिश्र सभ्‍यता, प्राचीन कैथोलिक चर्च, दक्षिण अमरीका के होपी और माया सभ्‍यता में भी पृथ्‍वी या सृष्टि के खत्‍म होने का एक समय निश्चिता किया गया है।

लेखकों ने उन सभ्‍यताओं की विभिन्‍न प्रणालियों से मिल रहे संकेतों को भी नास्‍त्रेदमस के संकेतों के साथ मिलाया है और सिद्ध किया है कि शीघ्र ही पृथ्‍वी का अंत होने वाला है।

इसी क्रम में पहले मैं भी एक सवाल खड़ा कर चुका हूं कि क्‍या मौसम चक्र में हो रहा परिवर्तन मण्‍डेन में हो रहे बड़े परिवर्तनों का सूचक नहीं है। यह परिवर्तन हमें किस ओर लेकर जाता है। मुझे तो यह व्‍यवस्‍था में परिवर्तन का विरोध मात्र लगता है।

प्राकृतिक आपदाएं कब नहीं थी, लेकिन मौसम चक्र में परिवर्तन पहले कभी नहीं रहा होगा। अब चूंकि यह शताब्दियों में घटने वाली घटना है तो इसका सही सही अनुमान नहीं किया जा सकता।

इन सबके बावजूद होपी, माया, मिश्र सहित कई सभ्‍यताओं में दुनिया के खत्‍म होने का समय निकाला गया है और यह 2012 में आना वाला है। खास बात यह है कि हर सभ्‍यता ने दुनिया के खत्‍म होने का समय तय किया है।

पर भारतीय सभ्‍यता में ऐसा नहीं है। ठीक है उस प्‍वाइंट पर बाद में विचार करेंगे लेकिन यहां संकेत देना जरूरी है कि प्राचीन भारतीय ज्‍योतिष में इस संबंध में बहुत सी बातें बहुत स्‍पष्‍ट तरीके से बताई गई हैं।