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श्रीदेवी जी की आरती (Shridevi Ji Ki Aarti)

श्रीदेवी जी की आरती (Shridevi Ji Ki Aarti) | अम्बे मैया की आरती | दुर्गा माता की आरती | काली माँ की आरती
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श्रीदेवी जी की आरती
Shridevi Ji Ki Aarti


नवरात्र का पावन त्योहार शुरू हो गया है। कहते हैं कि कोई भी पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब तक आरती न की जाए। इसलिए नवरात्र में भी श्री देवी जी की पूजा करने के बाद आरती करने का विधान है।

जगजननी जय ! जय ! माँ ! जगजननी जय ! जय !
भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय ! जय !! जगo

तू ही सत-चित-सुखमय शुद्ध ब्रह्मरुपा ।
सत्य सनातन सुन्दर पर-शिव सुर-भूपा ।।1।। जगo

आदि अनादि अनामय अविचल अविनाशी ।
अमल अनन्त अगोचर अज आनँदराशी ।।2।। जगo

अविकारी, अघहारी, अकल, कलाधारी ।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि, हर सँहारकारी ।।3।। जगo

तू विधिवधु, रमा, तू उमा, महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू, तू जननी, जाया ।।4।। जगo

राम, कृष्ण तू, सीता, व्रजरानी राधा ।
तू वाण्छाकल्पद्रुम, हारिणि सब बाधा ।।5।। जगo

दश विद्या, नव दुर्गा, नानाशस्त्रकरा ।
अष्टमातृका, योगिनि, नव नव रूप धरा ।।6।। जगo

तू परधामनिवासिनि, महाविलासिनि तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि, ताण्डवलासिनि तू ।।7।। जगo

सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या तू शोभाssधारा ।
विवसन विकट-सरुपा, प्रलयमयी धारा ।।8।। जगo

तू ही स्नेह-सुधामयि, तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही, तू ही अस्थि-तना ।।9।। जगo

मूलाधारनिवासिनि, इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली, कमला तू वरदे ।।10।। जगo

शक्ति शक्तिधर तू ही नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी विमले ! वेदत्रयी ।।11।। जगo

हम अति दीन दुखी मा ! विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे ।।12।। जगo

निज स्वभाववश जननी ! दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि ! चरण-शरण दीजै ।।13।। जगo