शिफ्ट अफसर ने माना ग्रहों का लोहा KP Experts in India
हम लोग बी शिफ्ट में दोपहर दो बजे से रात 10 बजे तक 26 फरवरी 1972 को काम करते समय इस बात पर विचार कर रहे थे कि हमारी मिल में रोलिंग केबल (तार) बनाने के रिकोर्ड को कैसे तोड़ा जाये? इससे पहले हम सभी ने केबल बनाने का अधिकतम रिकार्ड बनाया था, जिसमें 8 घंटे के अन्दर 496 ब्लूम्स को रोल किया था. अर्थात एक मिनट के अन्दर 1 से ज्यादा ब्लूम्स को रोल किया था.
शाम 6 बजे मेरे एक साथी ने मुझसे पूंछा कि क्या हम अपनी मेहनत से वो रिकार्ड तोड़ पाएंगे? खास करके वह यह जानना चाहता था कि क्या हम आने वाले कुछ दिनों में एक नया रिकार्ड बना पाएंगे? मैं मुस्कुराया और उनसे कहा कि ग्रहों की चाल के द्वारा हम हर एक घटना का अनुमान लगा सकते हैं, जो इस ब्रह्माण्ड में घटित होती है और इसी तरह घटनाओं का सही अनुमान लगाने के लिए हमें ग्रहों की चाल को अच्छी तरह से पढना होगा.
उन्होंने मेरे विश्वास पर संदेह करते हुए मुझसे पूछा कि ज्योतिष जो सिर्फ व्यक्तियों से सम्बंधित होती है, बाकी घटनाओं का अनुमान कैसे लगा सकती है. फिर मैंने उन्हें ज्योतिष के सिद्धांतों के बारे में थोड़ी जानकारी देते हुए उनसे एक से लेकर 249 के बीच में एक अंक देने को कहा. उन्होंने मुझे जो अंक दिया, वह था 15. मैंने भगवान गणेश की आराधना की और अपने गुरुजी स्वर्गीय प्रो. के.एस.कृष्णमूर्ति जी को प्रणाम किया, जिन्होंने हमें शासक ग्रहों के रहस्य को समझाया और हमें घटनाओं के समय तथा उसकी प्रवृत्ति से अवगत कराया.
छह मिनट के अन्दर मैंने अनुमान लगाया और उनसे कहा कि आज नहीं, फिर कभी प्रयास करेंगे. मैं आपको बताता हूँ कि मैंने यह अनुमान कैसे लगाया. मैंने 6 बजकर 34 मिनट पर गणना शुरू की और परिणाम 6 बजकर 40 मिनट पर दिया. अंक था 15 और उसे कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार जांचा गया. इसमें मंगल राशि स्वामी था, शुक्र नक्षत्र स्वामी था और गुरु उप स्वामी था. प्रश्न के फलित होने अर्थात रोलिंग के नए रिकार्ड को स्थापित करने के लिए हमें गुरु को देखना होगा, जो कि उप स्वामी है. 6 बजकर 34 मिनट पर सिंह लग्न थी और सूर्य के द्वारा शासित है. नक्षत्र था पूर्वफाल्गुनी जो शुक्र द्वारा शासित था और लग्न का उप स्वामी गुरु था. चन्द्र अपनी ही राशि कर्क में गोचर कर रहा था और शनि के नक्षत्र पुष्य में था. और उस नक्षत्र में उप राहू द्वारा शासित था. राहू, शनि की राशि मकर में था, जिसकी द्रष्टि कर्क द्वारा चंद्र पर थी. अत: राहू, चन्द्र और शनि दोनों को दर्शाता है.
दिन था शनिवार, जैसा कि सिद्धांत कहते हैं कि अगर लग्न का उप स्वामी उस अंक पर आधारित हो, जो प्रश्नकर्ता ने दिया है तो वह चन्द्र का नक्षत्र स्वामी या फिर उस नक्षत्र का स्वामी हो जाता है, जो उस समय लग्न में गोचर कर रहा होता है. अतः जबाव सकारात्मक होता है अन्यथा नहीं.
इस सिद्धांत को लागू करते हुए गुरु जो कि लग्न का उप स्वामी था. वह लग्न के नक्षत्र स्वामी या चन्द्र के नक्षत्र स्वामी से नहीं मिलता था. और हमारे स्वर्गीय गुरु जी के अनुसार घटनाएँ तभी होती हैं, जब लग्न के उप स्वामी और नक्षत्र स्वामी चन्द्र के नक्षत्र स्वामी या राशि स्वामी या फिर दिन स्वामी (वारेश) से मिलता हो. हमारे केस में लग्न का उप स्वामी गुरु है, पर चन्द्र शनि के नक्षत्र में है और अपनी राशि में है और इस तरह कोई सामंजस्य नहीं दीखता है.
इसलिए मैंने बिना हिचकिचाए ये ऐलान कर दिया कि रोलिंग का नया रिकार्ड बनना इस समय हमारी क्षमता के परे है.
मेरे अनुमान लगाने के बाद एक अधिकारी जो हमारे साथ ही बैठे थे. हमारे अनुमान पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि आप ऐसा कैसे कह सकते हैं. जो कुछ भी आपने कहा, वो सिर्फ उस प्रश्नकर्ता पर ही लागू होता है, जिसने आपसे सवाल पूछा. मान लीजिये मैं आपको दूसरा अंक दूँ, जिसके अनुसार जबाव सकारात्मक आये तो क्या इसका मतलब ये होगा कि पिछला वाला अनुमान गलत था. मैंने उनसे कहा कि जबाव कभी नहीं बदलेगा. और वे वही नंबर देंगे, जिसका जबाव एक सा ही होगा.
उन्होंने मेरे विश्वास को जांचना चाहा और अंक 5 दिया. मैंने शासक ग्रहों द्वारा परिणाम निकाला. 4 बजकर 54 मिनट पर. अंक 5 के शासक है मंगल, केतू और मंगल हैं. लग्न को सयुक्त रूप से सूर्य-सूर्य और चन्द्र द्वारा शासित किया जा रहा है. चन्द्र अपने ही राशि में और शनि के नक्षत्र में तथा राहू के उप में था. दिन स्वामी शनि था, जैसा कि पहले कहा गया था. यहाँ पर भी लग्न का उप स्वामी मंगल ना तो लग्न का नक्षत्र स्वामी था और न ही चन्द्र का नक्षत्र स्वामी था. मैंने अपने अनुमान को दुबारा दोहराया कि नया रिकार्ड बनाने में हमें अभी असफलता ही मिलेगी.
अधिकारी ने नाराजगी जताते हुए अपने स्टाफ को बुलाया और सबसे कहा कि वह अपनी पूरी तैयारी करें, पुराने रिकार्ड को तोड़कर नया रिकार्ड बनाना है. शिफ्ट के अंत में रात 10 बजे हम सब एक साथ इकट्ठे हुए और अधिकारी आये. उन्होंने हमसे माफ़ी मांगते हुए अपने व्यव्हार पर अफ़सोस किया. मैंने विनम्रतापूर्वक उनको जबाव दिया कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी उत्तम कोशिशों द्वारा अच्छे परिणाम प्राप्त करें. किन्तु परिणाम हमारी कोशिशों से परे हैं और इस तरह हमने उन्हें श्री कृष्ण के पाठ याद दिलाये, जो उन्होंने भगवत गीता में कहे थे.
दूसरे अध्याय के 27 वें श्लोक में श्री कृष्ण अर्जुन को याद दिलाते हैं कि कर्म किये जा, फल की चिंता मत कर. हम सबकी प्रव्रत्ति ऐसी है कि हम सभी को अपने पूर्व संस्कारों को याद करते हुए हमें उन्हीं कार्यों को करना चाहिए, जिसकी अनुमति प्रकृति हमें देती है और फलों के मामले में भी प्रवृत्ति ही है, जो कार्य करती है. हमारे स्वर्गीय गुरु जी भी इसी ज्ञान पर ज्यादा प्रभाव देते थे.
ईश्वर करे कृष्णमूर्ति पद्धति की प्रसिद्धि पूरे विश्व में हो, जिसकी खोज हमारे स्वर्गीय प्रसिद्द गुरुजी ने की थी.
लेखक-जी.वी.शर्मा, भिलाई
Astrology & Athrishta, February 1973
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