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उपयोगी हैं वार्षिक फलादेश (वर्षफल) – Importance of Annual Horoscope Analysis

उपयोगी हैं वार्षिक फलादेश (वर्षफल) | Importance of Annual Horoscope Analysis
उपयोगी हैं वार्षिक फलादेश (वर्षफल) | Importance of Annual Horoscope Analysis

उपयोगी हैं वार्षिक फलादेश (वर्षफल)
Importance of Annual Horoscope Analysis

दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं, पहले केवल भौतिक संसार पर विश्‍वास करने वाले और दूसरे भौतिक संसार के साथ अधिभौतिक संसार को मानने वाले।

अधिभौतिक संसार के मानने वाले दो प्रकार के लोग होते हैं, पहले जो यह मानते हैं कि दुनिया में ईश्‍वर की मर्जी के बिना पत्‍ता भी नहीं हिलता और दूसरे वे जो पुरुषार्थ से अपने भाग्‍य का निर्माण करने का प्रयास करते हैं।

पुरुषार्थ पर यकीन करने वाले दो प्रकार के लोग होते हैं, पहले जो अपने कर्म और ईश्‍वर में आस्‍था के भरोसे हर संभव प्रयास करते हैं, दूसरे जो अपने कर्म और ईश्‍वर के साथ ज्‍योतिष पर भी विश्‍वास करते हैं।

ज्‍योतिष पर विश्‍वास करने वाले दो प्रकार के लोग होते हैं, पहले वे जो ज्‍योतिष को एक स्‍थाई संकेत की तरह देखते हैं और कभी समस्‍या आने पर ज्‍योतिषी के पास जाते हैं, दूसरे वे जो ज्‍योतिषी के लगातार संपर्क में रहते हैं और ज्‍योतिष को आगामी समय के नक्‍शे के रूप में इस्‍तेमाल करते हैं।

समय के नक्‍शे या कहें टाइम मैप को साथ लेकर चलने वाले लोग अधिक ताकत और अधिक उत्‍साह या कहें अधिक सावधानी  के साथ आगे बढ़ते चले जाते हैं। अगर ज्‍योतिषी केवल संकेत के रूप में ही आने वाले समय के बारे में जानकारी देता रहे तो ऐसे लोगों की आगे बढ़ने की रफ्तार कई गुना हो जाती है। ऐसे में एक बार पूरे जीवन का मैप यानी जन्‍म कुण्‍डली का विवरण लेने के बाद ऐसे जातक हर वर्ष के लिए ज्‍योतिषी से दिशा निर्देश लेते हैं।

परंपरागत ज्‍योतिष में वार्षिक कुण्‍डली (Annual Horoscope Analysis) और वार्षिक मुंथा (Phaladesh) निकालने की विधियां और परिणाम दिए गए हैं। एक सीमा के बाद आकर मैंने अपने गुरूजी के सानिध्‍य में परंपरागत विधियों को छोड़कर कृष्‍णामूर्ति पद्धति की ओर रुख कर लिया। कृष्‍णामूर्ति पद्धति में वार्षिक कुण्‍डली फलादेश जैसा कुछ नहीं होता। फिर भी मैं देखता था कि कुछ जातक हर वर्ष वार्षिक फलादेश लेने के लिए आते थे। उसी क्रम में मैंने सीखा कि किस प्रकार कृष्‍णामूर्ति पद्धति में से भी वार्षिक फलादेश निकाले जा सकते हैं।

ऐसे जातकों के साथ मेरा अनुभव धीरे धीरे जुड़ा, आज से दस साल पहले तक मेरे पास आने वाले अधिकांश जातक एक बारगी कुण्‍डली का विश्‍लेषण (Horoscope Analysis) लेते थे और कभी कभार लौटकर आते थे, धीरे धीरे उनके लौटने और तात्‍कालिक स्थितियों पर पूछने का क्रम बढ़ने लगा। एक सीमा के बाद उन्‍हीं जातकों ने मुझसे वार्षिक फलादेश भी लेने शुरू कर दिए। पिछले कुछ सालों में अधिकांशत: दिसम्‍बर और जनवरी में ऐसे जातकों की मेल और संदेश आने शुरू हो जाते हैं। वार्षिक फलादेश (Varshphal) में जातक को  दोहरा लाभ यह होता है कि वर्षभर का एक खाका उनके दिमाग में पहले से बन जाता है और वर्ष के दौरान भी किसी प्रकार का प्रश्‍न हो तो वे उसे बीच वर्ष में भी बिना अतिरिक्‍त खर्च से पूछ लेते हैं।

मूल कुण्‍डली के विश्‍लेषण के बाद प्रतिवर्ष उनकी कुण्‍डली को देखता रहता हूं। मेरे सीखने का क्रम और अनुभव भी निरंतर विकास करते हैं। ऐसे में कोई नई बात या नई स्थिति पकड़ में आने पर उन्‍हें सूचित अथवा अपडेट करता रहता हूं। इस प्रकार के जातक अपने क्षेत्रों में भी अच्‍छा काम कर रहे हैं और ट्रैक पर भी बने रहते हैं।

जो जातक नौकरी करते हैं अथवा एक ही स्‍थान पर लंबे समय तक एक ही प्रकार का काम कर रहे हैं, उनके जीवन में उतार चढ़ाव अपेक्षाकृत कम दिखाई देते हैं, ऐसे जातकों को वार्षिक फलादेश के बजाय एकबारगी संपूर्ण विश्‍लेषण लेना चाहिए और भविष्‍य में किसी विशिष्‍ट परिस्थिति पर सलाह के लिए ऑन कॉल विश्‍लेषण ले लेना चाहिए। जो जातक व्‍यवसाय करते हैं अथवा ऐसे क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं जहां निरंतर परिवर्तन होते हैं, उनके लिए वार्षिक फलादेश अधिक कारगर होते हैं।

अगर आप ज्‍योतिषी से लंबे समय से जुड़ना चाहते हैं तो आपको दोनों प्रकार की सेवाएं लेनी चाहिए। कुण्‍डली का एकबारगी संपूर्ण विश्‍लेषण ताकि आपके दिमाग में अपनी कुण्‍डली और अपने भविष्‍य को लेकर एक स्‍पष्‍ट खाका बन जाए और उसके बाद प्रतिवर्ष वार्षिक फलादेश।

संपूर्ण कुण्‍डली विश्‍लेषण के दौरान जातक को सदैव किए जाने वाले उपचार और तात्‍कालिक महादशा के लिए उपाय बता दिए जाते हैं। वार्षिक फलादेश के दौरान उन उपचारों की समीक्षा भी हो जाती है और वर्ष के दौरान किए जाने वाले अतिरिक्‍त उपचार भी बताए जा सकते हैं। इससे जातक की स्थितियों पर नियंत्रण की योग्‍यता भी बढ़ती है।


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