केतु के प्रभाव और उपाय: लाल किताब के अनुसार
(Remedies for Ketu in various houses according to Lal Kitab)
केतु अपने आप में कोई ग्रह नहीं है और अपने आप में पूर्ण भी नहीं है। एक ही राक्षस के दो भाग हुए, सिर वाला भाग राहू हुआ तो पूंछ वाला भाग केतु हुआ। ऐसे में केतु का कार्य हैडलैस होता है, यानी केतु प्रभावित व्यक्ति काम करेगा तो बताए गए तरीके से ही की प्रोसेस को बार बार करता रहेगा, उसके काम में किसी प्रकार की क्रिएटिविटी नहीं होगी। किसी भी क्रिया, वस्तु अथवा संरचना का आखिरी भाग केतु होता है।
केतु राहू की तरह ही अपने प्रभाव सीधे सीधे नहीं देता, जिस ग्रह और राशि के प्रभाव में होगा, उसी के अनुसार फल देगा, लाल किताब के अनुसार तो जिस भाव में होगा, उसी भाव के अनुसार फल देगा। परंपरागत ज्योतिष में तो इसे कुजवत यानी मंगल के जैसा कहा गया है।
जातक की कुण्डली में केतु निशान बनाने वाला होता है, किसी जातक की कुण्डली में जिस भाव और राशि में केतू होता है, कालपुरुष की कुण्डली के हिसाब से जातक के शरीर के उस हिस्से में कटे, जले अथवा चोट के निशान होने की सर्वाधिक संभावना होती है।
केतु का पहले भाव में फल
Ketu in First (1st) House
केतु का पहले भाव में फल यदि केतु इस घर में शुभ है, तो जातक श्रमसाध्य, अमीर और खुशहाल होगा। लेकिन अपनी संतान की वजह से हमेशा चिंतित और परेशान होगा। वह लगातार स्थानान्तरण या यात्रा डरा रहेगा लेकिन अंत में यह हमेशा ये स्थगित हो जाया करेंगे। जब वर्ष कुंडली में केतू पहले घर में आता है तो जातक के घर पुत्र या या भतीजे का जन्म हो सकता है। लम्बी यात्रा भी हो सकती है। सूर्य की उच्चता के कारण ऐसा जातक हमेशा अपने माता पिता और गुरुजनों के लिए फायदेमंद होगा। यदि पहले घर में केतु अशुभ हो तो जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। उसकी पत्नी स्वास्थ्य समस्याओं और बच्चों से संबंधित चिंताओं से ग्रस्त होगी। यदि दूसरा और सातवां घर खाली हो तो बुध और शुक्र भी बुरे परिणाम देते हैम। बिना फायदे के स्थानांतरण और यात्राएं होंगी। यदि शनि नीच का हो तो यह पिता और गुरु को नष्ट करेगा। यदि सूर्य सातवें या आठवेम स्थान में हो तो पोते के जन्म के बाद स्वास्थ्य खराब रहेगा। सुबह और शाम के समय भीख नहीं देनी चाहिए।
केतु प्रथम भाव के उपाय (Ketu First House Remedy)
- बंदरों को गुड़ खिलायें।
- केसर का तिलक लगाएं।
- यदि संतान से परेशान है तो मंदिर में काले और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।
केतु का दूसरे भाव में फल
Ketu in Second (2nd) House
दूसरा घर चंद्रमा से प्रभावित होता है, जो केतु का शत्रु ग्रह है। यदि दूसरे भाव में स्थित केतू शुभ है तो जातक को पैतृक सम्पत्ति मिलती है। जातक खूब यात्राएं करेगा और यात्राओं से लाभ मिलेगा। ऐसी स्थित में शुक्र अपनी स्थिति के अनुसार अच्छे परिणाम देता है। चंद्रमा बुरे परिणाम देता है। यदि सूर्य 12 वें घर में हो जातक अपनी उम्र के चौबीस साल के बाद से अपनी आजीविका कमाना शुरू कर देता है। यदि केतू के साथ उच्च का बृहस्पति हो तो लाखों की आमदनी होगी। यदि दूसरे भाव में स्थित केतू अशुभ है तो जातक सूखे इलाकों की यात्राएं करेगा। जातक एक जगह पर आराम नहीं कर सकेगा और वह जगह-जगह भटकता रहेगा। आमदनी अच्छी होगी लेकिन, खर्च भी उतना ही हो जाएगा। इसप्रकार वास्तविक लाभ नगण्य हो जाएगा। यदि चंद्रमा या मंगल आठवें घर में हों तो जातक अल्पायु होगा और उसे सोलह या बीस साल की उम्र में गंभीर समस्या होगी। यदि आठवां घर खाली हो तो भी केतू बुरे परिणाम देगा।
केतु द्वितीय भाव के उपाय (Ketu Second House Remedy)
- माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।
- चरित्र का ढीला नहीं होना चाहिए।
- यदि मंदिरों की धार्मिक यात्रा करें और मंदिरों में सिर झुकाएं तो दूसरे भाव का केतू अच्छे परिणाम देगा।
केतु का तीसरे भाव में फल
Ketu in Third (3rd) House
तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है, दोनो ही केतू के शत्रु हैं। तीन की संख्या जातक के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि तीसरे भाव का केतू शुभ है तो जातक के बच्चे अच्छे होंगे। जातक सभ्य और भगवान से डरने वाला होगा। यदि केतू तीसरे भाव में हो और मंगल बारहवें भाव में हो तो जातक को चौबीस साल से पहले पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र जातक के धन और दीर्घायु के लिए अच्छा होता है। तीसरे भाव के केतू वाला जातक लम्बी यात्राओं वाली नौकरी करता है। यदि तीसरे भाव का केतू अशुभ हो तो लातक मुकदमेबाजी में पैसे खर्च करता है। वह अपनी पत्नी या शालियों से अलग हो जाता है। ऐसा जातक दक्षिण मुखी घर में रहता है। उसे बच्चों से सम्बंधित गंभीर समस्याएं रहती हैं। ऐसा जातक किसी भी बात के लिए न नहीं कहता इसलिए वह हमेशा परेशान रहता है। जातक को अपने भाइयों से परेशानी होती है और वह बेकार की यात्रा करेगा।
केतु तृतीय भाव के उपाय (Ketu Third House Remedy)
- माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
- सोना पहनें।
- बहते पानी में चावल और गुड़ बहाएं।
केतु का चौथे भाव में फल
Ketu in Fourth (4th) House
चौथा भाव चंद्रमा का होता है जो कि केतू का शत्रु है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ केतू स्थित हो तो जातक, भगवान से डरने वाला और अपने पिता तथा गुरु के लिए भाग्यशाली होता है। ऐसे जातक को गुरु के आशीर्वाद के बाद ही जातक को पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र दीर्घायु होगा। ऐसा जातक अपने सभी निर्णय भगवान पर छोड़ देता है। यदि चन्द्रमा तीसरे या चौथे घर में हो तो शुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसा जातक एक अच्छा सलाहकार होता है। उसे कभी भी पैसे की कमी नहीं रहती। यदि केतू इस भाव में अशुभ हो तो जातक अप्रसन्न रहेगा, उसकी मां को कष्ट होगा, खुशियां कम होंगी। जातक मधुमेह रोग से पीडित होगा। छत्तीस साल की उम्र के बाद ही बेटा पैदा होगा। ऐसा जातक को पुत्र की तुलना में पुत्रियां अधिक होती हैं।
केतु चतुर्थ भाव के उपाय (Ketu Fourth House Remedy)
- एक कुत्ता पालें।
- मन की शांति के लिए चांदी पहनें।
- बहते पानी में पीली चीजें बहाएं।
केतु का पांचवें भाव में फल
Ketu in Fifth (5th) House
पांचवां घर सूर्य का होता है। यह बृहस्पति से भी प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति, सूर्य या चंद्रमा चौथे, छठवें या बारहवें घर में हों तो आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी होगी और जातक को पांच पुत्र होंगे। चौबीस साल की उम्र के बाद केतू स्वयमेव शुभ हो जाता है। यदि पांचवें भाव में केतू अशुभ हो तो जातक अस्थमा से पीडित हो सकता है। केतू पांच साल की उम्र तक अशुभ परिणाम देता है। संतान जीवित नहीं रहती। उम्र के चौबीस साल बाद ही आजीविका शुरू होती है। जातक अपने पुत्रों के लिए शुभ नहीं होता।
केतु पंचम भाव के उपाय (Ketu Fifth House Remedy)
- दूध और चीनी दान करें।
- बृहस्पति के उपाय उपयोगी रहेंगे।
केतु का छठे भाव में फल
Ketu in Sixth (6th) House
छठवां घर बुध का होता है। यहां केतू दुर्बल माना जाता है। हालांकि यह केतू का पक्का घर होता है। यहां केतू के परिणाम बृकस्पति की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यह संतान के लिए अच्छे परिणाम देता है। जातक एक अच्छा सलाहकार होता है। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक दीर्घायु होता है। मां खुशहाल होती है और जीवन शांतिपूर्ण होता है। यदि कोई भी दो पुरुष ग्रह जैसे सूर्य, बृहस्पति, मंगल अच्छी स्थित में हों तो केतू शुभ परिणाम देता है।यदि केतु छठे भाव में अशुभ है तो मामा परेशान रहता है। जातक भी बेकार की यात्राओं से परेशान रहता है। लोग बिना कारण के दुश्मन बन जाते हैं। जातक त्वचा रोग से परेशान रहता है। यदि चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो मां परेशान होती है और स्वयं जातक की बृद्धा अवस्था परेशानियों में गुजरती है।
केतु षष्ठम भाव के उपाय (Ketu Sixth House Remedy)
- बाएं हाथ की उंगली में सोने की अंगूठी पहनें।
- दूध में केसर डालकर पियें और कान में सोना पहनें।
- सोने की सलाई गर्म करके दूध में बुझाएं और इसके बाद उस दूध को पियें इससे मानसिक शांति बढेगी, आयु वृद्धि होगी और यह बेटों के लिए भी अच्छा रहेगा।
- एक कुत्ता पालें।
केतु का सातवें भाव में फल
Ketu in Seventh (7th) House
सातवां घर बुध और शुक्र का होता है। यदि सातवें भाव में स्थित केतू शुभ हो तो जातक चौबीस साल से लेकर चालीस साल तक खूब धन कमाएगा। जातक के बच्चों के अनुपात में धन की बृद्धि होती है। जातक के दुश्मन जातक से डरते हैं। यदि जातक को बुध, बृहस्पति अथवा शुक्र का सहयोग मिलता है तो जातक को कभी भी निराश नहीं होना पडता। यदि सातवें भाव में केतू अशुभ हो तो जातक अक्सर बीमार रहता है, बेकार के वादे करता है और तैतीस साल की अवस्था तक शत्रुओं से पीडित रहता है। यदि लग्न में एक से अधिक ग्रह हों तो जातक के बच्चे नष्ट हो जाते हैं। यदि जातक गालियां देता है तो जातक नष्ट होता है। यदि केतू बुध के साथ हो तो चौतीस सालों के बाद जातक के शत्रु अपने आप नष्ट हो जाते हैं।
केतु सप्तम भाव के उपाय (Ketu Seventh House Remedy)
- झूठे वादे, घमंड और गाली देने से बचे।
- माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
- गंभीर संकट या कष्ट के समय बृहस्पति के उपचार करें।
केतु का आठवें भाव में फल
Ketu in Eighth (8th) House
आठवां घर मंगल ग्रह का है, जो केतु का शत्रु है। यदि आठवें भाव में केतू शुभ है तो जातक को चौंतीस साल की उम्र में अथवा जात्क की बहन या पुत्री की शादी के बाद पुत्र की प्राप्ति होती है। यदि बृहस्पति या मंगल छठवें या बारहवें घर में हों तो केतू अशुभ परिणाम नहीं देता। चंद्रमा के दूसरे भाव में स्थित होने पर भी यही परिणाम मिलता है। यदि आठवें भाव में स्थित केतू अशुभ हो तो जातक की पत्नी बीमार रहती है। पुत्र का जन्म नहीं होता, यदि होता है तो मृत्यु हो जाती है। जातक मधुमेह या मूत्र रोग से ग्रस्त होता है। यदि शनि अथवा मंगल सातवें घर में हों तो जातक दुर्भाग्यशाली होता है। आठवें भाव में अशुभ केतू के होने की अवस्था में जातक का चरित्र उसके पत्नी के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। छब्बीस साल की उम्र के बाद वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं।
केतु अष्ठम भाव के उपाय (Ketu Eighth House Remedy)
- एक कुत्ता पालें।
- किसी मंदिर में काला और सफेद रंग वाला कंबल दान करें।
- भगवान गणेश की पूजा करें।
- कान में सोना पहनें।
- माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
केतु का नौवें भाव में फल
Ketu in Ninth (9th) House
नौवां घर बृहस्पति का होता है जो केतू के पक्षधर हैं। नौवें भाव में केतू उच्च का माना जाता है। ऐसा जातक आज्ञाकारी और भाग्यशाली होता है। जातक का धन बढता है। यदि केतू शुभ हो तो जातक अपने प्रयासों से धनार्जन करता है। प्रगति होगी लेकिन स्थानांतरण नहीं होगा। यदि जातक अपने घर में सोनें की ईंट रखे तो धानागमन होता है। जातक का पुत्र भविष्य का अनुमान लगाने में सक्षम होगा। जातक अपने जीवन का एक बहुत बडा हिस्सा विदेशी भूमि में व्यतीत करता है। यदि चंद्रमा शुभ हो तो जातक अपने ननिहाल वालों की मदद करता है। यदि यहां पर केतू अशुभ हो तो जातक मूत्र विकार, पीठ में दर्द, और पैरों की समस्या से ग्रस्त होता है। जातक के बच्चे मरते जाते हैं।
केतु नवम भाव के उपाय (Ketu Ninth House Remedy)
- एक कुत्ते पालें।
- घर में सोने का एक आयताकार टुकड़ा रखें।
- कान में सोना पहनें।
- बड़ों का सम्मान करें, विशेषकर ससुर का सम्मान जरूर करें।
केतु का दसवें भाव में फल
Ketu in Tenth (10th) House
दसवां घर शनि का होता है। यहाँ के केतु के परिणाम शनि की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। यदि केतु शुभ हो तो जातक भाग्यशाली होता, अपने बारे में चिन्ता करने वाला होता है और अवसरवादी होता है। उसके पिता की मृत्यु जल्दी हो जाती है। यदि शनि छठवें भाव में हो तो जातक प्रसिद्ध खिलाड़ी होता है। यदि जातक अपने भाइयों को उनके कुकर्मों के लिए क्षमा करता है तो उसकी तरकी होगी। यदि जातक का चरित्र अच्छा हो तो वह बहुत धन कमाता है। यदि दसम भाव में अशुभ केतु हो तो जातक मूत्र विकार और कान की समस्याओं से ग्रस्त होता है। जातक को हड्डियों में दर्द होता है। यदि शनि चतुर्थ भाव में हो तो जातक का घरेलू जीवन चिंताओं और परेशानियों से भरा होता है। जातक के तीन पुत्रों की मृत्यु हो जाती है।
केतु दशम भाव के उपाय (Ketu Tenth House Remedy)
- घर में शहद से भरा बर्तन रखें।
- घर में एक कुत्ता रखें विशेषकर अडतालिस साल की उम्र के बाद।
- व्यभिचार से बचें।
- चंद्रमा और बृहस्पति का उपचार करें।
केतु का ग्यारहवें भाव में फल
Ketu in Eleventh (11th) House
यहाँ केतु बहुत अच्छा माना जाता है। यह धन देता है। यह घर बृहस्पति और शनि से प्रभावित होता है। यदि केतु यहाँ शुभ हो, और शनि तीसरे घर में हो तो यह बहुत धन देता है, जातक के द्वारा अर्जित धन उसके पैतृक धन से अधिक होगा, लेकिन फिर भी उसे अपने भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत होगी। यदि बुध तीसरे भाव में हो तो यह एक राज योग होगा। यदि केतू यहां अशुभ हो तो जातक को पेट की परेशानी होती है। वह भविष्य के बारे में बहुत चिंता करता है, और बहुत परेशान होता है। यदि शनि भी अशुभ हो तो जातक की दादी अथवा माँ परेशान होती है। साथ की जातक को पुत्र या घर से कोई लाभ नहीं होता।
केतु एकादश भाव के उपाय (Ketu Eleventh House Remedy)
- काला कुत्ता पालें।
- गोमेद या पन्ना पहनें।
केतु का बारहवें भाव में फल
Ketu in Twelfth (12th) House
यहाँ केतु को उच्च का माना जाता है। जातक अमीर होगा, बडा पद प्राप्त करेगा, और अच्छे कामों को समर्पित होगा। यदि राहू छठवें भाव में बुध के साथ हो तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। जातक को सभी तरह के लाभ और विलासिता की चीजों की प्राप्ति होती है। यदि 12वें घर में स्थित केतु अशुभ है तो जातक किसी निस्संतान व्यक्ति से भूमि खरीदता है और खुद भी निस्संतान हो जाता है। यदि जातक किसी कुत्ते को मार देता है तो केतु हानिकर परिणाम देता है। यदि दूसरे भाव में चंद्रमा, शुक्र या मंगल ग्रह हों तो केतु हानिकर परिणाम देता है।
केतु द्वादश भाव के उपाय (Ketu Twelfth House Remedy)
- भगवान गणेश की पूजा करें।
- चरित्र ढीला न रखें।
- एक कुत्ता पालें।
- रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे खांड और सौंफ रखें।
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- केतु की महादशा के उपाय के लिए जैन मंत्र (Jain Mantra for Ketu Mahadasha Remedy)
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