मंत्र (Mantra)

मंत्र mantra वह ध्वनि है जो अक्षरों एवं शब्दों के समूह से बनती है। यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड एक तरंगात्मक ऊर्जा से व्याप्त है जिसके दो प्रकार हैं – नाद (शब्द) एवं प्रकाश। मंत्र का उद्देश्य हमारे मन को शांत, स्थिर और एकाग्र करना है। मंत्र जपने से हमारे दिमाग की तरंगें समान और सुसंगत हो जाती हैं, जिससे हमें आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति होती है। मंत्र के अनेक प्रकार हैं, जैसे बीज मंत्र, गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शाबर मंत्र, तांत्रिक मंत्र, वैदिक मंत्र, उपनिषदीय मंत्र, योग मंत्र, ध्यान मंत्र, आदि। मंत्र का प्रभाव हमारी श्रद्धा, भक्ति, नियम, विधि और उच्चारण पर निर्भर करता है। मंत्र को किसी योग्य गुरु की दीक्षा से ही प्राप्त करना चाहिए, जो हमें मंत्र के अर्थ, रहस्य, विधि और फल के बारे में बता सकें। मंत्रों से सिद्ध होते हैं 10 तरह के काम, जैसे शांति, स्तंभन, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण, जृंभण, विद्वेष, मारण और पौष्टिक। ये कार्य आध्यात्मिक, लौकिक या तांत्रिक हो सकते हैं। मंत्र ध्यान के विज्ञान से मन को ठीक किया जा सकता है। मंत्र ध्यान से हमारे मन की चिंता, तनाव, अवसाद, भय, घृणा, ईर्ष्या, लोभ, मोह, अहंकार आदि दूर होते हैं। मंत्र ध्यान से हमारे मन में शांति, आनंद, प्रेम, करुणा, संतोष, समता, विवेक, वैराग्य, शक्ति, बुद्धि, स्मृति, धैर्य, आत्मविश्वास आदि गुण विकसित होते हैं।

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